सिलचर, 27 जुलाई असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने मिजोरम के साथ लगती सीमा पर संघर्ष में असम के पांच पुलिसकर्मियों एवं एक आम नागरिक की मौत होने और 60 अन्य लोगों के घायल होने की घटना के एक दिन बाद मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार ‘इनरलाइन फॉरेस्ट रिजर्व’ को नष्ट होने और अतिक्रमण से बचाने के लिए उच्चतम न्यायालय जाएगी।
सरमा ने सिलचर में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उपग्रह से प्राप्त चित्रों से पता चला है कि सड़कों का निर्माण किया जा रहा है और झूम खेती के लिए जंगलों को साफ किया जा रहा है जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘हम वनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।’’
झूम कृषि खेती का ऐसा तरीका है, जिसमें पहले खेतों से वृक्षों तथा वनस्पतियों को काटकर उन्हें जला दिया जाता है। पूर्वोत्तर के अधिकतर राज्यों में ऐसा किया जाता है।
सरमा ने कहा, ‘‘विवाद भूमि को लेकर नहीं है, बल्कि मुद्दा आरक्षित वनों का अतिक्रमण है। वन क्षेत्रों में हमारी कोई बस्तियां नहीं हैं और अगर मिजोरम सबूत दे सकता है, तो हम तुरंत बाहर निकल जाएंगे।’’
मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि पड़ोसी राज्य असम की एक इंच जमीन पर भी कब्जा नहीं कर सकता। उन्होंने कहा, ‘‘लोगों ने अपने जीवन का बलिदान दिया है, लेकिन सीमा की रक्षा की गई है, और हम हर कीमत पर इसकी रक्षा करना जारी रखेंगे।’’
असम और मेघालय के बीच सीमा विवाद के सोमवार को खूनी संघर्ष में बदल जाने के बाद केंद्र ने दोनों राज्यों को सीमा चौकी से अपने बलों को हटाने का निर्देश दिया था।
सरमा ने कहा, ‘‘हमने ऐसा कर लिया है, लेकिन मिजोरम ने अभी तक ऐसा नहीं किया है। हमारे पुलिस बल चौकी से 100 मीटर की दूरी पर तैनात हैं।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि असम सुरक्षा कड़ी करने के लिए मिजोरम की सीमा से लगते जिलों कछार, करीमगंज और हैलाकांडी में तीन कमांडो बटालियन तैनात करेगा।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।