गुवाहाटीः कांग्रेस नेता रिपुन बोरा ने इस्तीफा दे दिया है। सोनिया गांधी को संबोधित एक पत्र में बोरा ने कहा कि भाजपा से लड़ने के बजाय पार्टी के नेता अपने निहित स्वार्थों के लिए एक-दूसरे से लड़ने में व्यस्त हैं। बोरा रविवार को कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल हो गए।
असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष, राज्यसभा सांसद और शिक्षा मंत्री के रूप में भी कार्य किया था। टीएमसी ने ट्वीट कर बोरा का स्वागत किया और कहा कि पूर्व पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री, असम में शिक्षा मंत्री, पूर्व राज्यसभा सांसद और असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष का स्वागत करते हुए खुशी हो रही है! वह अभिषेक बनर्जी की उपस्थिति में शामिल हुए।"
असम में विपक्षी दलों के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में बोरा ने हाल ही में राज्यसभा का चुनाव लड़ा था और असफल रहे थे। बनर्जी ने पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी टीएमसी में बोरा का स्वागत किया। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘तृणमूल कांग्रेस परिवार में शामिल हुए दिग्गज और कुशल राजनेता रिपुन बोरा का बहुत गर्मजोशी से स्वागत करते हैं। हम आपको अपने साथ पाकर बेहद खुश हैं और अपने लोगों की भलाई के लिए एकसाथ काम करने के लिए उत्सुक हैं।’’
भाजपा के उदय पर चिंता व्यक्त करते हुए बोरा ने भगवा पार्टी को सांप्रदायिक और विभाजनकारी ताकतों का प्रतीक बताया और देश भर में इसके विकास को भारत के लोकतंत्र, संविधान और धर्मनिरपेक्षता और अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर खतरा बताया। बोरा हाल ही में हुए राज्यसभा चुनावों में अपनी हार के बाद तृणमूल कांग्रेस टीएमसी में शामिल होंगे।
रिपुन बोरा ने कहा कि महत्वपूर्ण मोड़ पर भाजपा को रोकने के लिए एकजुट और आक्रामक तरीके से लड़ने के बजाय, पुरानी पार्टी के नेता अपने निहित स्वार्थों के लिए एक-दूसरे से लड़ रहे हैं। बोरा 1976 से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े हुए हैं और उन्होंने विभिन्न क्षमताओं में भव्य पुरानी पार्टी की सेवा की है।
उन्होंने लिखा, ''मैडम, मुझे बेहद दुख और अफसोस के साथ आपको बताना पड़ रहा है कि कड़ी मेहनत के बावजूद हम भाजपा तथा आरएसएस द्वारा की गई विभाजनकारी और सांप्रदायिक राजनीति का मुकाबला नहीं कर पाए।''
गोहपुर सीट पर भाजपा उम्मीदवार तथा मौजूदा विधायक उत्पल बोरा के हाथों 29,294 मतों से हार का सामना करने वाले बोरा ने कहा कि वह तमाम कोशिशों के बावजूद असम इकाई के अध्यक्ष के रूप में बीते चार साल में पार्टी को पुनर्जीवित नहीं कर पाए।