‘दुष्कर्म आरोपी से लड़की से शादी के लिये पूछना न्यायिक रिकॉर्ड पर आधारित’
By भाषा | Updated: March 3, 2021 21:34 IST2021-03-03T21:34:13+5:302021-03-03T21:34:13+5:30

‘दुष्कर्म आरोपी से लड़की से शादी के लिये पूछना न्यायिक रिकॉर्ड पर आधारित’
नयी दिल्ली, तीन मार्च दुष्कर्म के एक आरोपी से यह पूछना कि क्या वह पीड़ित से विवाह करेगा “न्यायिक रिकॉर्ड” पर आधारित है जिसमें व्यक्ति ने शपथ-पत्र पर कहा था कि वह नाबालिग लड़की (रिश्तेदार) से उसके 18 साल के होने पर विवाह करेगा। बुधवार को एक बयान में यह जानकारी दी गई।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोब्डे की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा आरोपी की याचिका पर सुनवाई के दौरान की गई इस टिप्पणी को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया हुई। आरोपी ने बंबई उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ द्वारा अपनी अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करने के फैसले को चुनौती दी थी।
माकपा की पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात ने प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बोब्डे को पत्र लिखकर उनसे टिप्पणी वापस लेने का अनुरोध करते हुए कहा कि अदालतों को यह आभास नहीं देना चाहिए कि वे ऐसे “प्रतिगामी” दृष्टिकोण का समर्थन करती हैं।
कई महिला अधिकार कार्यकर्ताओं, प्रमुख हस्तियों, प्रबुद्धजनों, लेखकों और कलाकारों ने भी सीजेआई को खुला पत्र लिखकर उनसे माफी और टिप्पणी वापस लेने की मांग की है।
शीर्ष अदालत के एक अधिकारी ने आलोचना को अनुचित करार देते हुए मामले के न्यायिक रिकॉर्ड का संदर्भ दिया।
आरोपी की याचिका के मुताबिक, “जब दुष्कर्म पीड़ित अपनी मां के साथ शिकायत दर्ज कराने थाने पहुंची तो याचिकाकर्ता (आरोपी) की मां ने उनसे शिकायत न दर्ज कराने का अनुरोध करते हुए कहा कि वह याचिकाकर्ता की गलती स्वीकार करती हैं और वह पीड़िता को अपनी बहु बनाने के लिये तैयार हैं।”
इसमें कहा गया, “यह भी आरोप लगाया गया कि 2-6-2018 को नोटरी शपथ-पत्र देने के बाद जब दुष्कर्म पीड़ित 18 साल की हो गई तब पीड़िता की मां ने याचिकाकर्ता की मां से उपरोक्त शादी का वादा पूरा करने को कहा लेकिन याचिकाकर्ता की मां इससे मुकर गई और इसलिये पीड़िता ने याचिकाकर्ता के खिलाफ मौजूदा शिकायत दर्ज कराई।”
सर्वोच्च न्यायालय के अधिकारी ने कहा कि आरोपी की याचिका पर जिरह के दौरान अदालत ने यह सवाल पूछे। आरोपी पीड़िता का रिश्तेदार भी है।
मामले की सुनवाई कर रही पीठ ने न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायामूर्ति वी रामसुब्रमण्यम भी शामिल हैं। सुनवाई शुरू होने पर पीठ ने आरोपी से पूछा, “क्या तुम उससे शादी करना चाहते हो?”
अधिकारी ने बताया कि पीठ ने कहा, “अगर तुम उससे विवाह करना चाहते हो तो हम इस पर विचार कर सकते हैं, अन्यथा तुम जेल जाओगे।” पीठ ने कहा, “हम तुम पर विवाह के लिये दबाव नहीं डाल रहे हैं।”
पीठ ने आरोपी की याचिका निस्तारित करते हुए उससे संबंधित अदालत से जमानत मांगने को कहा।
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