देश में मुसलमानों के खुश रहने संबंधी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर कटाक्ष करते हुए एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह संविधान ने निर्धारित किया है न कि ‘‘बहुमत की व्यापकता’’ ने। ओवैसी ने शनिवार को भागवत के भाषण का उल्लेख करते हुए ट्वीट किया, ‘‘वह (मुस्लिम) खुश हैं कि नहीं इसकी माप संविधान है, न कि बहुमत की विशालता ।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि भागवत हमें विदेशी मुसलमानों से जोड़ने की कितनी कोशिश करते हैं, लेकिन इससे मेरी भारतीयता कम नहीं होगी।’’ उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘भागवत हिंदू नाम देकर भारत में हमारे इतिहास को मिटा नहीं सकते हैं। यह काम नहीं करेगा। भारत न कभी हिंदू राष्ट्र था, न है, न ही कभी बनेगा, इंशाअल्ला।’’ गौरतलब है कि भागवत ने कहा था कि देश में मुस्लिम खुश हैं। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने किसी के प्रति कोई घृणा न होने पर जोर देते हुए शनिवार को कहा था कि संघ का उद्देश्य भारत में परिवर्तन तथा उसे बेहतर भविष्य की ओर ले जाने के वास्ते देश में पूरे समाज को संगठित करना है, न कि केवल हिंदू समुदाय को। समाज को एकजुट करना आवश्यक है और सभी वर्गों को एक साथ आगे बढ़ना चाहिए तथा आरएसएस इस दिशा में काम कर रही है।
ओडिशा के नौ दिन के दौरे पर आए भागवत ने कहा था यह हमारी इच्छा है कि आरएसएस ठप्पा हट जाए और आरएसएस तथा समाज एक समूह के तौर पर काम करें। चलिए सारा श्रेय समाज को दें। पूरा देश एक सूत्र से बंधा है। भारत के लोग विविध संस्कृति, भाषाओं, भौगोलिक स्थानों के बावजूद खुद को एक मानते हैं।
भागवत ने कहा था कि एकता के इस अनूठे अहसास के कारण मुस्लिम, पारसी और अन्य जैसे धर्मों से संबंधित लोग देश में सुरक्षित महसूस करते हैं। पारसी भारत में काफी सुरक्षित हैं और मुस्लिम भी खुश हैं। सही तरीका यह है कि ऐसे उत्कृष्ट इंसान तैयार किये जाए जो समाज को बदलने तथा देश की कायापलट करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सके क्योंकि 130 करोड़ लोगों को एकसाथ बदलना मुमकिन नहीं होगा।