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आर्य 'शगुन की ठेकी' हैं: हरीश रावत

By भाषा | Updated: October 12, 2021 16:57 IST

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(दीप्ति सक्सेना)

देहरादून, 12 अक्टूबर कांग्रेस ने पौने पांच साल बाद 'घर वापसी' करने वाले कद्दावर दलित नेता यशपाल आर्य को मंगलवार को 'शगुन की ठेकी' बताया और कहा कि कई और भाजपा नेता उसके संपर्क में हैं।

आर्य और नैनीताल से उनके विधायक पुत्र संजीव के कांग्रेस में शामिल होने के एक दिन बाद कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने यहां ‘पीटीआई-भाषा' से विशेष बातचीत में कहा कि आर्य को वह 'शगुन की ठेकी' (मटकी) मानते हैं जो पूरी तरह से दही से भरी हुई है।

उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, ‘‘पिछली बार शगुन की ठेकी उनकी तरफ (भाजपा में) चली गई थी जो इस बार हमारे पास आ गई है।’’

राज्य में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले आर्य की कांग्रेस में वापसी को भाजपा के लिए एक झटका माना जा रहा है। यशपाल आर्य उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे।

रावत ने एक सवाल के जवाब में कहा कि कांग्रेस दल-बदल को प्रश्रय नहीं देती और उत्तराखंड के लिए इसे अशुभ मानती है लेकिन कहा कि ‘‘अगर भाजपा हमसे दल-बदल की गेंद से खेलेगी तो हम भी चूकेंगे नहीं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा दल-बदल का खेल करेगी तो हम केवल जवाब देंगे। भाजपा हमसे दल-बदल की गेंद से खेलेगी तो अब की बार हम भी चूकेंगे नहीं।’’

पिछले विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस से 10 विधायक पाला बदलकर भाजपा में शामिल हो गए थे। इस बार भी 2022 की शुरूआत में प्रस्तावित विधानसभा चुनावों से पहले पुरोला सीट से कांग्रेस विधायक रहे राजकुमार, कांग्रेस के समर्थन से जीते धनोल्टी के निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार और भीमताल के निर्दलीय विधायक राम सिंह कैडा भाजपा का दामन थाम चुके हैं।

आर्य की कांग्रेस में वापसी के फैसले को हाल में पंजाब में दलित मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद रावत के उत्तराखंड में भी इसकी वकालत करने और उनके चुनाव क्षेत्र बाजपुर में किसानों की बडी संख्या के चलते उनकी चुनावी संभावनाओं पर असर पड़ने के अलावा भाजपा से उनकी नाराजगी को भी कारण माना जा रहा है।

आर्य की तरह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए कई अन्य नेताओं की भी यह शिकायत रही है कि नए दल में उन्हें 'स्वीकार्यता' नहीं मिली। इसी शिकायत को लेकर पिछले दिनों देहरादून के रायपुर क्षेत्र से विधायक उमेश शर्मा काउ भाजपा हाईकमान से भी मिले थे।

राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि नाराजगी को अगर भाजपा द्वारा समय पर दूर न किया गया तो आने वाले समय में कुछ अन्य विधायक भी कांग्रेस में लौट सकते हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने इस संबंध में पूछे जाने पर कहा कि यह (आर्य की वापसी) तो केवल ‘ट्रेलर’ है और पूरी ‘पिक्चर’ तो अभी बाकी है। उन्होंने दावा किया कि सत्ताधारी दल के कई विधायक उनके संपर्क में हैं जो वहां के दमघोंटू वातावरण से परेशान हैं।

कांग्रेस की प्रदेश चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष रावत ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की संभावनाएं बहुत अच्छी हैं और भाजपा के कुशासन और हर मोर्चे पर विफलता से त्रस्त जनता कांग्रेस को एक 'आवश्यक विकल्प' के रूप में देख रही है ।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछली बार 2017 के चुनाव में लोगों ने भाजपा को कांग्रेस का केवल एक विकल्प माना लेकिन इस बार जनता कांग्रेस को भाजपा का आवश्यक विकल्प मान रही है।’’

इस बार के मुख्य चुनावी मुद्दों के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस नेता ने कहा कि 'भाजपा हटाओ', 'डबल इंजन फेल', 'किसानों को कुचला, दबाया', 'लोकतंत्र खतरे में' और ‘अर्थव्यवस्था को चौपट किया’ जैसे मुद्दे छाए रहेंगे।

उन्होंने कहा कि पार्टी का ज्यादा ध्यान राज्य के मुद्दों पर रहेगा लेकिन लोकतंत्र एक सार्वभौमिक मुद्दा है जो जरूर सामने आएगा।

एक सर्वेंक्षण में मुख्यमंत्री पद के लिए उत्तराखंड के लोगों की पहली पसंद के रूप में अपना नाम सामने आने के बारे में पूछे जाने पर रावत ने कहा कि इसके लिए वह लोगों के आभारी हैं। हांलांकि, उन्होंने कहा, ‘‘मैं केवल एक राजनीतिक कार्यकर्ता हूं और मेरी राजनीतिक समझ कहती है कि इस बार कांग्रेस आएगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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