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अलविदा जेटलीः कॉलेज के दिनों से शुरू हुआ राजनीतिक सफर, कई बार बने पीएम मोदी के 'संकटमोचक'

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 24, 2019 14:47 IST

Former Finance Minister Arun Jaitley Death News:पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली का निधन हो गया है। जानिए प्रधानमंत्री मोदी के 'संकटमोचक' माने जाने वाले अरुण जेटली की राजनीतिक यात्रा के कुछ अहम पड़ाव...

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ठळक मुद्देअरुण जेटली ने छात्र जीवन से ही राजनीति में रुचि लेना शुरू कर दिया था।प्रधानमंत्री मोदी के 'संकटमोचक' माने जाने वाले अरुण जेटली का राजनीतिक सफरनामा।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली का शनिवार दोपहर निधन हो गया है। उन्होंने राजधानी दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। उन्हें 9 अगस्त को उन्हें सांस लेने में तकलीफ की वजह से दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। अरुण जेटली ने छात्र जीवन से ही राजनीति में रुचि लेना शुरू कर दिया था। कई आंदोलनों में शामिल रहे। जानिए प्रधानमंत्री मोदी के 'संकटमोचक' माने जाने वाले अरुण जेटली का राजनीतिक सफरनामा।

छात्र राजनीति से शुरुआत

अरुण जेटली का राजनीति करियर तो उनके छात्र रहते ही शुरू हो गया था। दरअसल, 1973 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने 'संपूर्ण क्रांति आंदोलन' शुरू किया। इस आंदोलन में विद्यार्थी और युवा संगठनों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। जयप्रकाश नारायण (जेपी) ने अधिक से अधिक छात्रों को आंदोलन से जोड़ने के लिए राष्ट्रीय समिति बनाई। जेपी ने जेटली को इस राष्ट्रीय समिति का संयोजक बनाया। आपातकाल के वक्त 19 महीने रहे नजरबंद जेटली वर्ष 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष बने।

जनसंघ से जुड़े

1975-77 तक देश में आपातकाल के दौरान उनको मीसा एक्ट के तहत 19 महीने तक नजरबंद रहना पड़ा। मीसा एक्ट हटने के बाद जेटली जनसंघ में शामिल हो गए। अटल ने कैबिनेट में किया शामिल वर्ष 1991 में पहली बार जेटली को भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सदस्य के तौर पर शामिल किया गया। इसके बाद वह काफी लंबे वक्त तक भाजपा प्रवक्ता रहे। 1999 में एनडीए सरकार बनने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जेटली को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किया।

अटल कैबिनेट में भी निभाई अहम जिम्मेदारी

तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कैबिनेट में जेटली को सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में जिम्मेदारी सौंपी। इसके अलावा निर्गुण राज्य (स्वतंत्र प्रभार), विश्व व्यापार संगठन मंत्रालय की जिम्मेदारी भी जेटली को सौंपी गई। 23 जुलाई 2000 को राम जेठमलानी ने अटल कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी अटल ने जेटली को सौंपी। 

राज्यसभा से शुरू हुआ संसद का सफर

वर्ष 2006 में जेटली पहली बार राज्यसभा सांसद बने। जून 2009 से वे राज्यसभा में विपक्ष के नेता बने। पार्टी में जेटली ने एक महत्वपूर्ण रणनीतिकार से लेकर कई बड़ी जिम्मेदारियां संभाली। 2014 लोकसभा चुनावों में उनको अमृतसर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा गया। हालांकि, जेटली यह चुनाव हार गए, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें अपने कैबिनेट में शामिल करना चाहते थे। मोदी कैबिनेट में मिले 2 बड़े मंत्रालय जेटली की मेहनत और लगन को देखते पीएम मोदी ने उन्हें केंद्रीय वित्त और रक्षा मंत्रालय की दो बड़ी जिम्मेदारियां दी।

मोदी कैबिनेट के अहम स्तंभ रहे

जेटली को राज्यसभा से सांसद बनाया गया और केंद्रीय मंत्रिमंडल में उनका पद सुरिक्षत हो गया। नोटबंदी और जीएसटी में निभाई अहम भूमिका मई 2014 में जेटली राज्यसभा में सदन के नेता बने। कुछ समय बाद प्रधानमंत्री मोदी ने गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर को रक्षा मंत्री बना दिया और तबसे जेटली ने देश के वित्त मंत्री का पद संभाला था। नोटबंदी से लेकर जीएसटी लागू करने में जेटली की अहम भूमिका रही। ऐसा रहा कानूनी करियर कानूनी करियर की बात करें तो जेटली ने बतौर वकील खूब नाम कमाया।

टॅग्स :अरुण जेटलीभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)नरेंद्र मोदी
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