लाइव न्यूज़ :

अर्नब और बार्क के पूर्व सीईओ ने बस दोस्ताना बातचीत की: अदालत में वकील ने कहा

By भाषा | Updated: March 22, 2021 16:22 IST

Open in App

मुंबई, 22 मार्च रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी के वकील ने सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि उनके मुवक्किल और बार्क के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पार्थो दासगुप्ता के बीच व्हाट्सऐप चैट दो घनिष्ठ दोस्तों के बीच की बातचीत है और इसका टीआरपी प्रकरण से कोई लेना-देना नहीं है।

गोस्वामी और रिपब्लिक चैनल की स्वामित्व कंपनी एआरजी आउटलाइर मीडिया के वकील अशोक मुंदारगी ने अदालत में यह बात कही।

वह अदालत के इस प्रश्न का जवाब दे रहे थे कि मुंबई पुलिस की अपराध शाखा द्वारा टीआरपी घोटाले के सिलसिले में आरोपपत्र में बताया गया ठोस सबूत क्या है।

मुंदारगी ने कहा, ‘‘ सबसे बड़ा सबूत बातचीत है। लेकिन, कृपया, पूरी बातचीत को ध्यान से देखिए क्योंकि पुलिस ने अपना मामला बनाने के लिए इस बातचीत को संदर्भ से परे हटकर लिया है।’’

उन्होंने गोस्वामी और दासगुप्ता के बीच की बातचीत का कुछ हिस्सा पढ़कर सुनाया और अदालत से कहा कि दोनों महज कुछ ‘‘व्यक्तियों, बाजार ट्रेंड’’ आदि की चर्चा कर थे।

वकील ने कहा, ‘‘ यह दो घनिष्ठ मित्रों के बीच की बातचीत भर है। इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है, कोई ऐसी सामग्री या एक भी ऐसा संदेश जो दर्शाता हो कि टीआरपी छेड़छाड़ पर चर्चा की गई हो। वे ऐसे विषयों पर बात कर रहे थे जो दो दोस्त संभवत: आम तौर पर चर्चा में करते हैं।’’

न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पिताले की पीठ ने तब सवाल किया कि क्या ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने गोस्वामी की मदद करने के लिए रिपब्लिक टीवी के पक्ष में टीआरपी (टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट्स) में ‘छेड़छाड़’ करने में मदद की।

इसपर मुंदारगी ने कहा कि यही पुलिस का मामला है जिसे वह इस मामले में दो आरोपपत्रों में स्थापित नहीं कर पाई है।

वह टीआरपी घोटाला मामले में गोस्वामी और एआरजी मीडिया द्वारा राहत के लिए दायर की गई अर्जियों पर अपना पक्ष रख रहे थे।

उन्होंने कहा कि मुख्य बात यह है कि पुलिस ने दो आरोपपत्र दाखिल किए लेकिन अब तक उसने गोस्वामी और एआरजी के अन्य कर्मियों को बतौर आरोपी नामजद नहीं किया है।

मुंदारगी ने कहा कि पुलिस ने बस उन्हें संदिग्ध बताया है और वह जांच को लंबा खींच रही है, फलस्वरूप (उनके मुविक्कलों का) निरंतर उत्पीड़न हो रहा है।

उन्होंने अनुरोध किया कि अदालत पुलिस से अनिश्चित समय तक जांच नहीं करने को कहे और गोस्वामी तथा अन्य को गिरफ्तारी से तब तक छूट दे जब तक कि जांच लंबित है।

अदालत ने कहा, ‘‘ यदि एजेंसी जांच को किसी के विरुद्ध उत्पीड़न के औजार के रूप में इस्तेमाल कर रही है तब अदालत किस हद तक टिप्पणी कर सकती है? किसी भी मामले में जांच करना जांच अधिकारी का क्षेत्राधिकार है।’’

हालांकि पीठ ने यह भी कहा कि राज्य या केंद्रीय जांच एजेंसी को नागरिकों को परेशान नहीं करना चाहिए।

अदालत ने यह भी सवाल किया कि गोस्वामी और अन्य को महज संदिग्ध बताने की क्या तुक है।

इसने कहा, ‘‘ यदि आप उन्हें बतौर आरोपी नामजद नहीं कर रहे हैं तो यह बस समय की बर्बादी है।’’

पिछले सप्ताह भी उपरोक्त अर्जियों पर सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने कहा था कि दो आरोपपत्रों के बाद भी पुलिस गोस्वामी के विरूद्ध अभियोजनयोग्य सामग्री प्रदर्शित करने में विफल रही है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतIndiGo Crisis Live: 6 दिन में 2000 से अधिक फ्लाइट कैंसिल, दिल्ली एयरपोर्ट ने यात्रियों के लिए एडवाइज़री जारी की, एयरपोर्ट जाने से पहले लेटेस्ट स्टेटस चेक कर लें

भारतनागपुर विधानमंडल शीतकालीन सत्रः 8000 से अधिक पुलिस कर्मी तैनात, पक्ष-विपक्ष में इन मुद्दों पर टकराव

पूजा पाठPanchang 08 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 08 December 2025: आज इन 4 राशिवालों को बड़ी खुशखबरी मिलने की संभावना, बाकी भी जानें अपना भविष्य

पूजा पाठSaptahik Rashifal: इस सप्ताह इन 5 राशिवालों को मिलेगा धनी बनने का मौका, लग सकती है लॉटरी

भारत अधिक खबरें

भारतSIR Registered: एसआईआर पर राजनीतिक विवाद थमने के नहीं दिख रहे आसार

भारतसिकुड़ता नागपुर विधानसभा सत्र और भंग होतीं अपेक्षाएं!

भारतPutin India Visit: ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे...!

भारतAirport Suitcases Rules: प्लेन में सूटकेस ले जाने का बदला नियम, यात्रा से पहले जरूर जान लें इसे

भारतPM Awas Yojana: अब अपने घर का सपना होगा पूरा, सरकार से पाए 1.30 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता; ऐसे करें आवेदन