यदि कानून ने कहा तो जमीन सौंपने को तैयार हैं, अन्यथा एक इंच भी अतिक्रमण नहीं होने देंगे : सरमा

By भाषा | Updated: July 27, 2021 20:06 IST2021-07-27T20:06:32+5:302021-07-27T20:06:32+5:30

Are ready to hand over the land if the law says so, otherwise not even an inch of encroachment will be allowed: Sarma | यदि कानून ने कहा तो जमीन सौंपने को तैयार हैं, अन्यथा एक इंच भी अतिक्रमण नहीं होने देंगे : सरमा

यदि कानून ने कहा तो जमीन सौंपने को तैयार हैं, अन्यथा एक इंच भी अतिक्रमण नहीं होने देंगे : सरमा

सिलचर, 27 जुलाई असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने मिजोरम के साथ सीमा पर तनाव के बीच मंगलवार को कहा कि उनका राज्य संसद से पारित किसी भी कानून का पालन करेगा और यदि कानून ने कहा तो दूसरे राज्य को अपनी भूमि तक सौंप देगा, लेकिन ऐसा होने तक ‘‘एक इंच अतिक्रमण’’ नहीं होने देगा।

मिजोरम के साथ लगती सीमा पर संघर्ष में असम के पांच पुलिसकर्मियों एवं एक आम नागरिक की मौत होने तथा 50 से अधिक लोगों के घायल होने की घटना के एक दिन बाद सरमा की यह टिप्पणी आई है।

उन्होंने यह भी कहा कि असम सरकार ‘इनरलाइन फॉरेस्ट रिजर्व’ को नष्ट होने और अतिक्रमण से बचाने के लिए उच्चतम न्यायालय जाएगी तथा मिजोरम की सीमा से लगते कछार, करीमगंज तथा हैलाकांडी जिलों में सुरक्षा को मजबूत करने के लिए तीन कमांडो बटालियन तैनात करेगी।

मुख्यमंत्री ने मारे गए पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘सीमा निर्धारण करना केंद्र का दायित्व है और हम इसका पालन करेंगे...यदि कल संसद कोई ऐसा कानून लाती है जिससे हमारी जमीन दूसरे राज्य को जा सकती है तो हम यह करेंगे, लेकिन तब तक हम अपनी संवैधानिक सीमा की रक्षा करेंगे।’’

उन्होंने सिलचर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल का दौरा भी किया और हमले में घायल पुलिसकर्मियों से मुलाकात की।

असम ने घटना के बाद तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है।

सरमा ने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि मिजो लोग इस बात के लिए पश्चाताप करेंगे कि उन्होंने अपने देश के लोगों पर गोलीबारी की, लेकिन हम इसे उनके विवेक और अंतरात्मा पर छोड़ रहे हैं। यह दो राज्यों के बीच का विवाद है, न कि देशों के बीच की लड़ाई। लेकिन हमारे पास मौजूद वीडियो सबूत, जिसमें मिजो बल हमारे लोगों पर हमले के बाद जश्न मनाते दिखते हैं, से हमें दुख पहुंचा है।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि उपग्रह से प्राप्त चित्रों से पता चला है कि सड़कों का निर्माण किया जा रहा है और झूम खेती के लिए जंगलों को साफ किया जा रहा है जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘हम वनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।’’

झूम कृषि खेती का ऐसा तरीका है, जिसमें पहले खेतों से वृक्षों तथा वनस्पतियों को काटकर उन्हें जला दिया जाता है। पूर्वोत्तर के अधिकतर राज्यों में ऐसा किया जाता है।

सरमा ने कहा, ‘‘विवाद भूमि को लेकर नहीं है, बल्कि मुद्दा आरक्षित वनों का अतिक्रमण है। वन क्षेत्रों में हमारी कोई बस्तियां नहीं हैं और अगर मिजोरम सबूत दे सकता है, तो हम तुरंत बाहर निकल जाएंगे।’’

मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि पड़ोसी राज्य असम की एक इंच जमीन पर भी कब्जा नहीं कर सकता।

उन्होंने कहा, ‘‘लोगों ने अपने जीवन का बलिदान दिया है, लेकिन सीमा की रक्षा की गई है, और हम हर कीमत पर इसकी रक्षा करना जारी रखेंगे। हमारी सीमा में पुलिस की मजबूत तैनाती है और एक इंच जमीन पर भी अतिक्रमण नहीं होने दिया जाएगा।’’

सरमा ने कहा कि मई में पद संभालने के बाद उन्होंने मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा से बात की थी और कहा था कि दोनों राज्यों को यथास्थिति बनाकर रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मिजोरम के मुख्यमंत्री सहमत हो गए थे, लेकिन मुख्य सचिव स्तर की वार्ता जारी रखने को कहा था।

उन्होंने कहा कि गत आठ जुलाई को नयी दिल्ली में केंद्रीय गृह सचिव के अधीन मुख्य सचिव स्तर की वार्ता हुई थी लेकिन मिजोरम के अधिकारी ने यथास्थिति बनाए रखने के लिए उपग्रह तस्वीरों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और सहमति पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में हैलाकांडी, कछार और करीमगंज जिलों में पांच सेक्टरों में असम की भूमि पर अतिक्रमण करने के कई प्रयास हुए हैं, लेकिन पुलिस ने हर प्रयास को विफल कर दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘25 जुलाई को कछार डीएफओ ने सूचना दी कि इनर लाइन फॉरेस्ट में एक सड़क बनाई जा रही है और जब अगले दिन हमारे उपायुक्त, पुलिस महानिरीक्षक तथा उपमहानिरीक्षक स्थल पर पहुंचे तो पता चला कि न सिर्फ सड़क, बल्कि वन में एक चौकी भी स्थापित कर दी गई है।’’

सरमा ने कहा कि कोलासिब पुलिस अधीक्षक से चौकी हटाने को कहा गया था और जब शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत जारी थी तो ‘‘मिजोरम पुलिस ने आम लोगों के साथ पथराव, गोलीबारी शुरू कर दी और बाद में एक पहाड़ी से एलएमजी से गोलीबारी शुरू कर दी जो 30 से 35 मिनट तक चली।’’

उन्होंने कहा कि जब गोलीबारी चल रही थी तो उन्होंने जोरमथंगा से छह बार बात की और उनसे स्थिति को नियंत्रित करने को कहा, लेकिन ‘‘उन्होंने सिर्फ ‘माफ कीजिए’ कहा।’’

सरमा ने कहा, ‘‘मैंने उनसे यह तक कहा कि मैं यथास्थिति सुनिश्चित रखने के लिए आइजोल पहुंचने को तैयार हूं लेकिन वह सिर्फ माफी मांगते रहे।’’

असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को दोनों मुख्यमंत्रियों से तीन बार बात की।

उन्होंने कहा कि शाह ने स्थिति के बारे में जानकारी लेने के लिए उनसे मंगलवार को भी बात की।

यह पूछे जाने पर कि दोनों राज्यों में राजग से जुड़ी सरकारें हैं तो क्या समस्या का समाधान हो सकता है, सरमा ने कहा, ‘‘यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, यह दीर्घकालिक सीमा विवाद है। पूर्व में दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकारें थीं। क्या तब मुद्दे का समाधान हुआ?’’

इस सवाल पर कि क्या तनाव भड़काने में कोई विदेशी हाथ हो सकता है, सरमा ने कहा कि उनकी सरकार ने पिछले दो महीनों में जो निर्णय किए हैं, हो सकता है कि उनकी वजह से ‘‘राज्य से इतर कुछ निहित स्वार्थ वाले तत्व’’ परेशान हों।

उन्होंने दावा किया कि म्यामां से भारत में घुसे कुछ लोग मिजोरम के जरिए असम के दीमा हसाओ जिले में स्थापित होना चाहते थे, लेकिन उनकी सरकार ने प्रयासों को विफल कर दिया।

मुख्यमंत्री ने सीमा पर हुई झड़प में मारे गए लोगों के परिजनों को पचास-पचास लाख रुपये का अनुदान और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की भी घोषणा की। घायलों को एक-एक लाख रुपये दिए जाएंगे और सीमा पर तैनात घायल कर्मियों को एक महीने का अतिरिक्त वेतन भी दिया जाएगा।

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