बरेली (उप्र), दो अक्टूबर दिव्यांग बच्चों को स्कूलों में लाने के अपने प्रयास के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तारीफ पा चुकीं बरेली जिले के एक स्कूल की प्रधानाध्यापिका ने अपने इस अभियान से आज कई जरूरतमंद बच्चों का भविष्य संवारा है।
बरेली जिले में एक स्कूल की प्रधानाध्यापिका दीपमाला पांडे ने दिव्यांग छात्रों को सरकारी स्कूलों में भर्ती कराने के इस नेक काम की शुरूआत तीन साल पहले की, जिससे ऐसे सैकड़ों बच्चों की किस्मत बदल गयी।
पिछले रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा कि दीपमाला व इनके साथी शिक्षक दिव्यांग बच्चों को नई राह दिखा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘दिव्यांगजन के कल्याण के लिए कई प्रयास हो रहे हैं। इसी कड़ी में बरेली में ‘वन टीचर, वन कॉल’ अभियान के बारे में जानने का अवसर मिला।’’
'वन टीचर, वन कॉल’ अभियान का नेतृत्व उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के विकास खण्ड के भुता के प्राथमिक विद्यालय डभौरा गंगापुर की प्रधानाध्यापिका दीपमाला पांडे कर रहीं हैं। प्रधानाध्यापिका पांडे ने कहा कि इस अभियान के कारण बड़ी संख्या में बच्चों का स्कूलों में प्रवेश संभव हो पाया। साथ ही करीब 350 शिक्षक भी इस अभियान से जुड़ चुके हैं। ये शिक्षक गांव-गांव जाकर दिव्यांग बच्चों को तलाशते हैं, उनका किसी न किसी स्कूल में दाखिल सुनिश्चित करते है।
पांडे ने कहा कि वर्ष 2018 की बात है, स्कूल के पड़ोस में रहने वाला दिव्यांग बच्चा अनमोल स्कूल आने-जाने वाले छात्र-छात्राओं को दूर से निहारा करता था। उसके परिजनों से पूछा तो पता चला कि वह जन्म से बोल नहीं पाता, इसलिए कभी स्कूल नहीं भेजा। इसके बाद अनमोल को स्कूल में दाखिला दिया गया।
उन्होंने बताया कि आज साढ़े नौ साल का अनमोल कक्षा चार में पढ़ रहा है। अनमोल में आये परिवर्तन से उत्साहित होकर गांव के ही तीन अन्य दिव्यांग बच्चों को स्कूल में लाया गया। वर्ष 2019 में उन्होंने 'वन टीचर, वन कॉल’ को अभियान के तौर पर शुरू किया।
पांडे ने बताया कि महामारी के चलते अभियान में शिथिलता के मद्देनजर उन्होंने सोशल मीडिया और वेबिनार के माध्यम से साथी शिक्षकों से चर्चा की और इस अभियान से 350 शिक्षक जुड़ गए। शिक्षकों की मदद से अब तक करीब छह सौ दिव्यांग बच्चों को विभिन्न स्कूलों में प्रवेश कराया जा चुका है।
बरेली के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी विनय कुमार ने कहा कि दीपमाला व साथी शिक्षकों ने अनूठा अभियान चलाया है। बरेली जिले में सात हजार दिव्यांग बच्चों को स्कूलों में प्रवेश दिया जा चुका है। दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने के लिए बरेली में 38 विशेष प्रशिक्षित शिक्षक हैं।
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