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शीर्ष अदालत ने बलात्कार पीड़िता का यौन उत्पीड़न करने वाले पूर्व पादरी से शादी की अनुमति वाली याचिका खारिज की

By भाषा | Updated: August 2, 2021 16:56 IST

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नयी दिल्ली, दो अगस्त उच्चतम न्यायालय ने केरल के कोट्टियूर में रहने वाली बलात्कार पीड़िता की उस याचिका को खारिज कर दिया है कि जिसमें उन्होंने उनके साथ दुष्कर्म करने वाले पूर्व पादरी से शादी करने की इजाजत मांगी थी। यह पूर्व पादरी 20 साल की कैद की सज़ा काट रहा है।

शीर्ष अदालत ने पूर्व पादरी की अलग से दायर याचिका भी खारिज कर दी। इस याचिका में उसने बलात्कार पीड़िता से शादी करने के लिए जमानत देने का आग्रह किया था। पीड़िता घटना के वक्त नाबालिग थी और उसने एक बच्चे को जन्म दिया है।

न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने पूर्व पादरी से कहा, “उच्च न्यायालय ने सोच-समझकर फैसला दिया है और हम उसके निर्णय में दखल नहीं देना चाहेंगे।” पीठ ने पीड़िता से कहा कि वह पूर्व पादरी से शादी करने की अपनी याचिका को लेकर निचली अदालत जा सकती हैं।

पूर्व पादरी के वकील अमित जॉर्ज ने कहा कि उच्च न्यायालय ने इस मामले में शादी के संबंध में व्यापक निर्देश दिए हैं, जो एक मौलिक अधिकार है। पीठ ने जॉर्ज से पूछा कि पीड़िता और पूर्व पादरी की क्या उम्र है, जिस पर उन्होंने कहा कि पूर्व पादरी 49 वर्ष का है जबकि पीड़िता की उम्र 25 साल है। शीर्ष अदालत ने जॉर्ज से कहा, “आपने स्वयं उच्च न्यायालय से व्यापक निर्देश आमंत्रित किए हैं और वह हस्तक्षेप नहीं करना चाहेंगे।”

महिला की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता किरण सूरी ने कहा कि पीड़िता ने आरोपी के लिए दो महीने की अंतरिम जमानत मांगी है, ताकि वह उनसे शादी कर सके और उनके चार साल के बच्चे को वैधता दे सके।

पीठ ने कहा कि पीड़ित और पूर्व पादरी दोनों कानून के तहत उपलब्ध किसी भी उपाय का सहारा ले सकते हैं। रॉबिन वडक्कुमचेरी को 2019 में पोक्सो अधिनियम के तहत दोषी पाया गया था और महिला अपने बयान से मुकर गई थी तथा दावा किया था कि वह उसके साथ सहमित से संबंध में थी।

केरल उच्च न्यायालय ने 16 फरवरी को पूर्व पादरी की पीड़िता से शादी करने के वास्ते जमानत मांगने के लिए दायर याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि इसमें कोई मेरिट नहीं है।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि निचली अदालत का यह निष्कर्ष कि बलात्कार के समय पीड़िता नाबालिग थी, अब भी लागू है और आरोपी की दोषसिद्धि के खिलाफ अपील अब भी उसके समक्ष लंबित है।

उसने कहा था कि निचली अदालत का फैसला बरकरार रहने तक पक्षकारों को शादी करने की इजाजत देने का मतलब विवाह को न्यायिक मंजूरी देना होगा। 13 जुलाई 2018 को, शीर्ष अदालत ने कोट्टियूर बलात्कार मामले में नाबालिग और तत्कालीन कैथोलिक पादरी के शामिल होने के आरोपों को "बहुत गंभीर" करार दिया था और मामले की सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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