(सिद्धार्थ कानूनगो)
भुवनेश्वर, 27 दिसंबर ओडिशा के लिए 2020 का साल बहुत अच्छा नहीं रहा और कोरोना वायरस के अलावा राज्य को चक्रवात और बाढ़ जैसी प्राकृतिक विभीषिकाओं का भी सामना करना पड़ा। इस दौरान राज्य में कई विवाद भी पैदा हुए।
मौजूदा महामारी से निपटने के लिए नवीन पटनायक सरकार ने त्वरित कदम उठाए और इसके लिए उसकी सराहना भी हुयी। सरकार के कदमों का असर दिखा और राज्य में कोरोना वायरस महामारी की वजह से करीब 1,850 लोगों की मौत हुयी जबकि इस बीमारी से दुनिया भर में बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं।
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने मार्च के दूसरे सप्ताह में ही कई सार्वजनिक स्थलों को बंद करने का आदेश दिया था। उस समय तक राज्य में कोरोना वायरस से संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया था। देशव्यापी लॉकडाउन भी कुछ दिन बाद लागू किया गया था।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि प्रभावी शासन, मजबूत स्वास्थ्य ढांचा और बड़े पैमाने पर जांच, प्रवासी कामगारों की जांच और पृथक-वास, महिला स्व-सहायता समूहों की भागीदारी तथा मिशन शक्ति महामारी प्रबंधन के खास विषय रहे।
मिशन शक्ति बीजद सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है और इसका मकसद महिलाओं के सशक्तीकरण तथा उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए उनकी सहायता करना है।
अधिकारी ने कहा कि ओडिशा उन कुछ राज्यों में था, जिन्होंने रिकॉर्ड समय में हर जिले में एक कोविड-19 अस्पताल तैयार किया था। राज्य में महामारी प्रबंधन की निगरानी के लिए एक अंतर-विभागीय कार्यबल का भी गठन किया गया।
मुख्य सचिव ए के त्रिपाठी ने कहा कि राज्य सरकार ने अन्य उपायों के अलावा किसानों और प्रवासी श्रमिकों सहित विभिन्न लोगों की आजीविका में मदद करने के लिए 17,000 करोड़ रुपये की योजना बनायी।
राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव पी के महापात्र ने कहा कि ओडिशा में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के ठीक होने की दर अब बढ़कर देश में सबसे ज्यादा 98.50 प्रतिशत हो गयी है।
महामारी के दौरान राज्य को चक्रवाती तूफान अम्फान का सामना करना पड़ा। इस तूफान ने मई में केंद्रपाड़ा, जगतसिंहपुर, भद्रक और बालासोर में खासी तबाही मचायी।
हालांकि राज्य सरकार ने सुनिश्चित किया कि तूफान के कारण कम से कम लोग हताहत हों और इसके लिए संवेदनशील स्थानों से लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने पर जोर दिया गया। अगस्त में राज्य को भीषण बाढ़ का भी सामना करना पड़ा।
इस साल राज्य में कई विवाद भी पैदा हुए और विपक्षी कांग्रेस तथा भाजपा ने बीजद सरकार पर कोविड देखभाल केंद्रों में " कुप्रबंधन" और उपकरण और पीपीई किटों की खरीद में "बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार" का आरोप लगाया।
इन आरोपों पर ओडिशा लोकायुक्त ने सतर्कता विभाग को गहन जांच करने का आदेश दिया। जांच के तहत दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पहले ही चार बार लोकायुक्त के समक्ष पेश हो चुके हैं।
राज्य में पांच साल की एक बच्ची के अपहरण और हत्या की घटना को लेकर भी खासा विवाद हुआ। बच्ची के अभिभावकों ने नवंबर में राज्य विधानसभा के सामने आत्मदाह का प्रयास किया और इसके बाद यह घटना सामने आयी।
इस मुद्दे पर विपक्ष ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि कृषि मंत्री अरुण कुमार साहू मुख्य आरोपी को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
सरकार ने विशेष जांच दल द्वारा अदालत की निगरानी में इस मामले की जांच का आदेश दिया। हालांकि सरकार को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की आलोचना का भी शिकार होना पड़ा।
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