पीड़िता की जांघों के बीच में यौनाचार जैसा कोई भी कृत्य बलात्कार के बराबर: अदालत

By भाषा | Updated: August 5, 2021 16:25 IST2021-08-05T16:25:54+5:302021-08-05T16:25:54+5:30

Any act of sexual intercourse between victim's thighs tantamount to rape: Court | पीड़िता की जांघों के बीच में यौनाचार जैसा कोई भी कृत्य बलात्कार के बराबर: अदालत

पीड़िता की जांघों के बीच में यौनाचार जैसा कोई भी कृत्य बलात्कार के बराबर: अदालत

कोच्चि, पांच अगस्त केरल उच्च न्यायालय ने कहा है कि पीड़िता की जांघों के बीच में यौनाचार जैसा कोई भी कृत्य महिला के शरीर के साथ छेड़छाड़ है और यह बलात्कार के अपराध के समान है।

उच्च न्यायालय ने बलात्कार के अपराध के दोषी की अपील पर सुनाये गये फैसले में यह टिप्पणी की। इस मामले में निचली अदालत ने एक व्यक्ति को बलात्कार का दोषी ठहराया था क्योंकि उसने अपने पड़ोस में रहने वाली नाबालिग लड़की के शरीर के विभिन्न अंगों के साथ गलत तरीके से छेड़छाड़ करके उसका यौन उत्पीड़न किया था।

न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति जियाद रहमान की पीठ ने सोमवार को फैसला सुनाया, ‘‘..पीड़िता की जांघों के बीच में यौनाचार जैसा कोई भी कृत्य महिला के शरीर के साथ छेड़छाड़ है और यह बलात्कार के अपराध के समान है। जब इस प्रकार जांघों के बीच यौनाचार जैसा कोई कृत्य किया जाता है तो वह निश्चित तौर पर यह भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के तहत परिभाषित ‘‘बलात्कार’’ के समान होगा।’’

अदालत ने कहा कि जब जांघों के बीच यौनाचार किया जाता है, तो यह निश्चित रूप से धारा 375 के तहत परिभाषित ‘‘बलात्कार’’ के बराबर होगा।

अदालत ने कहा, ‘‘अपीलकर्ता द्वारा किया गया यौन कृत्य भारतीय दंड संहिता की धारा 375 (सी) के साथ ही धारा 376 (1) के तहत अपराध को आकर्षित करने के लिए पर्याप्त है।’’

उच्च न्यायालय ने कहा कि चूंकि उसे सत्र अदालत ने दंड संहिता की धारा 376(2) (आई) और 377 के बजाये धारा 376(1) के साथ ही धारा 375(सी) के तहत अपराध का दोषी पाया है, तो इसलिए उसकी शेष जीवन की उम्र कैद सजा में संशोधन करके इसे उम्रकैद में तब्दील किया जाता है।

अदालत ने आदेश में कहा, ‘‘सत्र अदालत द्वारा धारा 354 और 354ए (1)(आई) के तहत पारित सजा की पुष्टि की जाती है। ये सजाएं साथ-साथ चलेंगी।

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Web Title: Any act of sexual intercourse between victim's thighs tantamount to rape: Court

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