राजनीतिक विरोधी अपने हितों के लिए किसान आंदोलन का दुरुपयोग कर रहे, सरकार बातचीत को तैयार: मोदी

By भाषा | Updated: December 25, 2020 16:31 IST2020-12-25T16:31:22+5:302020-12-25T16:31:22+5:30

Anti-political leaders are abusing the peasant movement for their own interests, government ready to negotiate: Modi | राजनीतिक विरोधी अपने हितों के लिए किसान आंदोलन का दुरुपयोग कर रहे, सरकार बातचीत को तैयार: मोदी

राजनीतिक विरोधी अपने हितों के लिए किसान आंदोलन का दुरुपयोग कर रहे, सरकार बातचीत को तैयार: मोदी

नयी दिल्ली, 25 दिसंबर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों और सरकार के बीच जारी गतिरोध के लिए इसकी आड़ में राजनीतिक हित साधने वाले लोगों को दोषी ठहराया। उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर चिंताओं की जगह हिंसा के आरोपियों की रिहाई और राजमार्गों को टोल मुक्त बनाने जैसे असंबंद्ध मुद्दे इसमें हावी होने लगे हैं।

तीन कृषि कानूनों को पुरजोर तरीके से बचाव करते हुए मोदी ने कहा कि सरकार उन लोगों के साथ भी बातचीत करने को तैयार है जो अलग विचारधारा के चलते सरकार के खिलाफ हैं लेकिन यह बातचीत ‘‘तर्कसंगत, तथ्यों और मुद्दों’’ पर आधारित होनी चाहिये।

उन्होंने दावा किया कि बड़ी संख्या में देश के किसानों ने इन तीन कृषि कानूनों का स्वागत किया है और वे इसके फायदे भी उठा रहे हैं। उन्होंने तर्क दिया कि हाल कि दिनों में असम, राजस्थान ओर जम्मू एवं कश्मीर सहित विभिन्न राज्यों में हुए स्थानीय निकाय के चुनावों में भाजपा को जीत मिली और इन चुनावों में भाग लेने वाले मतदाता मुख्यत: किसान थे।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस पर ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ योजना की नयी किस्त में नौ करोड़ से अधिक किसानों के लिए औपचारिक रूप से 18,000 करोड़ रुपये की राशि जारी करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी वीडियो कांफ्रेस के जरिए देश के किसानों को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि देश की जनता ने जिन राजनीतिक दलों को नकार दिया है वे अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए किसानों को गुमराह कर रहे हैं।

किसानों के प्रदर्शन् का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि जब आंदोलन की शुरुआत हुई थी तब नये कानूनों को लेकर उनकी एमएसपी सहित कुछ वाजिब चिंताएं थीं लेकिन बाद में इसमें राजनीतिक लोग आ गए और उन्होंने किसानों के कंधों पर बंदूक रखकर चलाना आरंभ कर दिया और असंबंद्ध मुद्दों को उठाना आरंभ कर दिया।

उन्हरोंने कहा, ‘‘आपने देखा होगा कि जब आंदोलन की शुरुआत हुई थी तो उनकी मांग एमएसपी गारंटी की थी। उनके मुद्दे वाजिब थे क्योंकि वे किसान थे। लेकिन अब इसमें राजनीतिक विचारधारा के लोग हावी हो गए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘एमएसपी वगैरह को अब किनारे रख दिया गया है। अब वहां क्या हो रहा है। वे हिंसा के आरोपियों की जेल से रिहाई की मांग कर रहे हैं...वे राजमार्गों को टोल-फ्री करवाना चाहते हैं। किसानों की मांग से वह दूसरी मांगों की ओर क्यों चले गए?’’

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी परिस्थिति में भी देशभर के किसानों ने कृषि सुधारों का समर्थन किया है... भरपूर समर्थन किया है और स्वागत किया है। मैं सभी किसानों का आभार व्यक्त करता हूं और उन्हें भरोसा दिलाना चाहता हूं कि आप के विश्वास पर हम कोई आंच नहीं आने देंगे।’’

मोदी ने आरोप लगाया कि किसानों के आंदोलन का इस्तेमाल कई अन्य मौजूदा नीतियों के विरोध के लिए भी किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने हालांकि किसी राजनीतिक दल या समूह का नाम नहीं लिया लेकिन उनका इशारा साफ तौर वामपंथी दलों की ओर था।

उन्होंने कहा कि जिनके राजनीतिक एजेंडे हैं वे किसानों को सरकार के साथ वार्ता नहीं करने दे रहे हैं जिससे कि उनकी चिंतायें दूर की जा सकें। उन्होंने विपक्षी दलों पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए उनपर जमकर निशाना साधा।

उल्लेखनीय है कि हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर लगभग एक महीने से इन कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार के साथ किसानों की पांच दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन गतिरोध टूट नहीं सका। सरकार कानूनों के प्रावधानों में संशोधनों को लेकर चर्चा करने का तैयार है लेकिन किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं।

अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने पीएम-किसान योजना लागू न करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार की तीखी आलोचना भी की। उन्होंने कहा कि जहां तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं वहीं पश्चिम बंगाल में इस योजना को राज्य सरकार द्वारा क्रियान्वित न किए जाने पर वहां कोई आंदोलन नहीं हो रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘पूरे हिंदुस्तान के किसानों को इस योजना का लाभ मिल रहा है। सभी विचारधारा की सरकारें, इससे जुड़ी हैं लेकिन लेकिन एकमात्र पश्चिम बंगाल है जहां के 70 लाख से अधिक किसान इस योजना के लाभ नहीं ले पा रहे हैं। उनको यह पैसे नहीं मिल पा रहे हैं, क्योंकि बंगाल की सरकार अपने राजनीतिक कारणों से इसे लागू नहीं कर रही है।’’

उन्होंने कहा कि राज्य के किसानों को भारत सरकार से पैसा जाने वाला है और इसमें राज्य सरकार का कोई खर्चा नहीं है फिर भी उन्हें इस लाभ से वंचित रखा जा रहा हैं

प्रधानमंत्री ने कहा कि कई किसानों ने भारत सरकार को इसके लाभ के लिए सीधी चिट्ठी भी लिखी है लेकिन राज्य सरकार उसमें भी रोड़े अटका रही है।

मोदी ने कहा कि ‘देश में 80 प्रतिशत से अधिक गरीब किसान हैं, पिछली सरकारों के दौरान ये किसान और अधिक गरीब हुये हैं, इन्हीं गरीब किसानों की स्थिति को देखते हुये कृषि सुधार जरूरी हो गये थे।’

प्रधानमंत्री ने आनलाइन तरीके से ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ योजना के तहत नौ करोड़ से अधिक किसानों के लिए 18,000 करोड़ रुपये की राशि जारी की। इसके जरिये किसानों के बैंक खाते में 2,000 रुपये सीधे हस्तांतरित किये गये।

मोदी ने कहा कि कुछ पार्टियां नये कृषि कानूनों का विरोध कर अपना राजनीतिक एजेंडा आगे बढ़ा रहे हैं। कुछ लोग यह भ्रम और झूठ फैला रहे हैं कि यदि किसान अनुबंध खेती करेंगे तो उनकी जमीन चली जायेगी। उन्होंने यह भी कहा, ‘जो लोग केरल में कई साल से राज कर रहे हैं वही लोग पंजाब में किसानों के साथ सेल्फी खिंचाने के लिये पहुंच रहे हैं, लेकिन इन लोगों ने अपने राज्य (केरल) में मंडी प्रणाली के लिये कुछ नहीं किया।’

मोदी ने कहा कि कुछ लोग किसानों की जमीन को लेकर चिंता जताने का नाटक कर रहे हैं, हम उन सभी के बारे में जानते हैं जिनके नाम जमीन पर कब्जा करने को लेकर मीडिया में आ चुके हैं।

मोदी ने कहा जिन लोगों को मतदाताओं ने नकार दिया अब वही लोग प्रचार पाने के लिये नये नये कृत्यों में लगे हैं लोगों को इनके भ्रमजाल में नहीं फंसना चाहिये। उन्होंने कहा, ‘हमने एक हजार से अधिक मंडियों को आनलाइन एक दूसरे से जोड़ा है, इन मंडियों में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार पहले ही हो चुका है।’

उन्होंने कहा, ‘हम गांवों में किसानों के जीवन को आसान बना रहे हैं। जो लोग आज बड़े बड़े भाषण दे रहे हैं जब वह सत्ता में थे तब उन्होंने किसानों के लिये कुछ नहीं किया।’

मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने और अधिक फसलों को नयूनतम समर्थन मूल्य का लाभ दिया और किसानों को रिकार्ड धनराशि उपलब्ध कराई है।

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