किसान आंदोलन के पीछे ‘भारत विरोधी और सामंतवादी ताकत’ का हाथ : प्रधान
By भाषा | Updated: December 16, 2020 18:16 IST2020-12-16T18:16:23+5:302020-12-16T18:16:23+5:30

किसान आंदोलन के पीछे ‘भारत विरोधी और सामंतवादी ताकत’ का हाथ : प्रधान
इंदौर (मध्यप्रदेश), 16 दिसंबर केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को आरोप लगाया कि नये कृषि कानूनों को लेकर जारी किसान आंदोलन के पीछे उस भारत विरोधी और सामंतवादी ताकत का हाथ है जो भारतीयता और आत्मनिर्भर भारत की अवधारणाओं के भी खिलाफ है।
प्रधान ने यहां भाजपा के संभागीय किसान सम्मेलन में हिस्सा लेने के दौरान संवाददाताओं से कहा, "देश में एक ताकत है जो मूलत: भारतविरोधी और सामंतवादी है। इस ताकत से जुड़े लोग भारतीयता और भारत की आत्मनिर्भरता के भी खिलाफ हैं। किसान आंदोलन के पीछे भी यही ताकत है।"
उन्होंने कहा, "(भारत पर) चीन के आक्रमण के खिलाफ चीन के साथ कौन खड़ा था? भारत में आपातकाल किसने लागू कराया था? देश में वर्ष 2004 से 2014 के बीच भाई-भतीजावाद और दामादवाद किसने चलाया था? इन कामों में शामिल लोग अब किसान आंदोलन को भड़काने में लगे हैं।"
प्रधान ने किसान आंदोलन के औचित्य पर सवाल खड़ा करते हुए कहा, "कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इस बात की लिखित गारंटी देने को राजी हो चुके हैं कि देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसल खरीदी की व्यवस्था जारी रहेगी। फिर किसान आंदोलन आखिर किस मुद्दे पर हो रहा है?"
केंद्रीय मंत्री ने यह आरोप भी लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वातावरण बनाने और देश में अस्थिरता व अराजकता का माहौल पैदा करने के लिए किसान आंदोलन को भड़काया जा रहा है। उन्होंने कहा, "नये कृषि कानूनों पर देश की जनता मोदी के साथ है।"
प्रधान ने केंद्र सरकार के नये कृषि कानूनों को लेकर कांग्रेस के विरोध को इस विपक्षी दल का मानसिक दिवालियापन करार देते हुए दावा किया, "महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, उड़ीसा और अन्य राज्यों में इस तरह के कानून पहले ही बनाए जा चुके हैं।"
उन्होंने नये कृषि कानूनों को भारतीय किसानों की उपज को अंतरराष्ट्रीय मंडियों में पहुंचाने की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम बताया और कहा, "वैश्विक जिंस बाजार में प्रतिस्पर्धा में उतरने के लिए भारत में एक देश, एक बाजार की अवधारणा को अमली जामा पहनाया जाना जरूरी है।"
प्रधान ने कहा कि नये कृषि कानूनों से पहले की फसल कारोबार व्यवस्था में किसानों का काफी शोषण होता था और बिचौलियों को बड़ा फायदा होता था।
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