नयी दिल्ली, चार अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने उस छात्र को लखनऊ के एक विश्वविद्यालय से स्नातक के लिए छठे सेमेस्टर की परीक्षा देने की सोमवार को अनुमति दी जिसे संशोधिक नागरिकता कानून (सीएए) विरोधी प्रदर्शन आयोजित करने का प्रयास करने को लेकर निष्कासित कर दिया गया था।
न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के इस हलफनामे पर गौर किया कि छात्र ने विश्वविद्यालय के कुलपति से ‘‘माफी’’ मांगी है। विश्वविद्यालय को पहले ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फ़ारसी विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता था।
पीठ ने छात्र अहमद रजा खान की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी की इस दलील से सहमति जतायी कि बाद के घटनाक्रम को देखते हुए उसे परीक्षा देने की अनुमति दी जानी चाहिए।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘याचिकाकर्ता को अब अपने आचरण को सही रखने और विश्वविद्यालय को शिकायत का कोई मौका नहीं देने की आवश्यकता है। इसके मद्देनजर, विश्वविद्यालय को रियायतें देने दिया जाए। यदि याचिकाकर्ता किसी भी मामले में विवि को ऐसा कोई अवसर देता है तो हम विश्वविद्यालय को याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई करने की स्वतंत्रता देते हैं।
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