पशु संरक्षण, मानव-पशु संघर्षों से निपटने के लिए जनभागीदारी, स्थानीय क्षेत्रों का ज्ञान जरूरी: यादव

By भाषा | Updated: August 12, 2021 17:39 IST2021-08-12T17:39:30+5:302021-08-12T17:39:30+5:30

Animal protection, public participation, knowledge of local areas necessary to deal with human-animal conflicts: Yadav | पशु संरक्षण, मानव-पशु संघर्षों से निपटने के लिए जनभागीदारी, स्थानीय क्षेत्रों का ज्ञान जरूरी: यादव

पशु संरक्षण, मानव-पशु संघर्षों से निपटने के लिए जनभागीदारी, स्थानीय क्षेत्रों का ज्ञान जरूरी: यादव

नयी दिल्ली, 12 अगस्त केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बृहस्पतिवार को कहा कि पशु संरक्षण तथा मानव-पशु संघर्षों से निपटने के लिए जनभागीदारी और स्थानीय क्षेत्रों का ज्ञान आवश्यक हैं।

मंत्री ने कहा, ‘‘ हमें उन क्षेत्रों की पहचान करने की जरूरत है जहां मानव-पशु संघर्ष होते हैं। हमें इन मुद्दों को हल करने के लिए नीति तैयार करते समय स्थानीय क्षेत्रों का दौरा करना होगा।’’

मंत्री ने एक कार्यक्रम में यह बात कही जिसमें उन्होंने हाथी और बाघों की आबादी के आकलन के लिए अखिल भारतीय समकालिक पद्धति जारी की।

यादव ने कहा कि शेर संरक्षण का मुद्दा आने के बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने छह-सात दिनों तक गिर में डेरा डाला था।

उन्होंने कहा, ‘‘ एशियाई शेर अगर कहीं भी सुरक्षित है तो वे गिर (गुजरात) में हैं और इसका श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को जाता है, क्योंकि उन्होंने जमीनी स्तर पर काम किया।’’

मंत्री ने कहा कि पशु संरक्षण जमीनी स्तर पर काम किए बिना नहीं हो सकता क्योंकि केवल तकनीक के जरिए यह मुमकिन नहीं है। जनभागीदारी और स्थानीय क्षेत्र का ज्ञान इसके लिए आवश्यक है।

एक आकलन के मुताबिक दुनिया भर में 50 हजार से 60 हजार एशियाई हाथी हैं, जिनमें से 60 फीसदी से अधिक भारत में हैं।

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Web Title: Animal protection, public participation, knowledge of local areas necessary to deal with human-animal conflicts: Yadav

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