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आंध्र प्रदेश विस ने ‘‘तीन राजधानियां’’ कानून निरस्त किया, जगन ने वापस लाने का संकल्प लिया

By भाषा | Updated: November 22, 2021 20:53 IST

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अमरावती, 22 नवंबर आंध्र प्रदेश में वाई एस जगन मोहन के नेतृत्व वाली सरकार ने विवादास्पद ‘आंध्र प्रदेश विकेंद्रीकरण और सभी क्षेत्रों के समावेशी विकास कानून, 2020’ को निरस्त करने के लिए सोमवार को विधानसभा में एक विधेयक पारित किया। साल 2020 के कानून का उद्देश्य राज्य के लिए तीन राजधानियां स्थापित करना था।

हालांकि, मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने विधानसभा को बताया कि उनकी सरकार विकेंद्रीकृत विकास के लिए एक ‘‘व्यापक, पूर्ण और बेहतर’’ विकेंद्रीकरण विधेयक लाएगी। उन्होंने दावा किया कि लोगों के व्यापक हितों की रक्षा के लिए 2020 के कानून को निरस्त किया गया है।

मुख्यमंत्री ने अपने बयान में एक बार भी अमरावती का जिक्र नहीं किया और केवल ‘‘इस क्षेत्र’’ के रूप में इसका संदर्भ दिया। जगन ने दावा किया, ‘‘पिछले डेढ़ से दो वर्षों में जब से हम विकेंद्रीकृत विकास (तीन राजधानियों की स्थापना) के विचार के साथ आए, इसे तोड़ मरोड़कर पेश किया गया, गलतफहमी पैदा की गई, कानूनी बाधाएं पैदा की गईं। पिछले दो वर्षों में यह तर्क देकर दुष्प्रचार किया गया कि इससे (तीन राजधानियों से) कुछ वर्ग के साथ अन्याय होगा।’’

उन्होंने दावा किया कि चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार का राज्य की राजधानी ‘‘इस क्षेत्र में’’ स्थापित करने का निर्णय विवादास्पद था। जगन ने कहा, ‘‘उसने हर तरह से श्रीकृष्ण समिति की रिपोर्ट का उल्लंघन किया। इसके बावजूद चंद्रबाबू ने यहां 50,000 एकड़ में राजधानी बनाने का फैसला किया।’’

रक्षात्मक रुख अपनाते हुए जगन ने कहा कि उनका ‘‘इस क्षेत्र’’ के प्रति कोई विरोध नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा यहां एक मकान है और मैं इस क्षेत्र से प्यार करता हूं।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि दो करोड़ रुपये प्रति एकड़ की दर से सड़क और बिजली जैसे बुनियादी ढांचे को भी बनाने के लिए कम से कम एक लाख करोड़ रुपये की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह आज की दरों के अनुसार है। हमें नहीं पता कि एक लाख करोड़ रुपये जुटाने में दस साल या उससे अधिक समय लगता है और तब तक (विकास) लागत छह लाख करोड़ रुपये या सात लाख करोड़ रुपये हो सकती है।’’ जगन ने हैरानी जताते हुए कहा, ‘‘हम ऐसी स्थिति में हैं जहां हमारे पास सड़क, नाली बनाने या बिजली की आपूर्ति के लिए भी पैसा नहीं है। तो क्या यहां राजधानी नाम की काल्पनिक तस्वीर संभव है?’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि विशाखापत्तनम राज्य का सबसे बड़ा शहर है। उन्होंने कहा, ‘‘वहां सड़कें, जल निकासी की व्यवस्था, बिजली और सभी बुनियादी सुविधाएं हैं। अगर हम कुछ मूल्यवर्धन करते हैं तो विशाखापत्तनम पांच या दस वर्षों में हैदराबाद जैसे महानगरों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए एक प्रमुख शहर के रूप में विकसित होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, हम लोगों की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए विशाखापत्तनम में कार्यकारी राजधानी, यहां (अमरावती) विधायी राजधानी और कुर्नूल में न्यायिक राजधानी स्थापित करना चाहते थे।’’ जगन ने दावा किया कि 2019 के आम चुनाव परिणाम ‘‘केंद्रीकरण की प्रवृत्ति’’ के लिए लोगों के विरोध को दर्शाते हैं।

इससे पहले, वित्त मंत्री बुगना राजेंद्रनाथ ने निरस्त करने वाला विधेयक पेश किया, जिसे ध्वनि मत से स्वीकार कर लिया गया। इस बीच, उच्च न्यायालय ने विकेंद्रीकरण कानून को चुनौती देने वाली कुछ याचिकाओं पर सुनवाई अगले सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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