फरार अमृतपाल सिंह के फाइनेंसर दलजीत सिंह कलसी के बैंक खाते में विदेश से जमा हुए थे 35 करोड़ रुपये
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 20, 2023 12:03 PM2023-03-20T12:03:08+5:302023-03-20T12:09:52+5:30
फरार अमृतपाल सिंह की करीबी और गुरुग्राम से सुरक्षा एजेंसियों के हत्थे चढ़े दलजीत सिंह कलसी के बैंक खातों की जांच में पाया गया है कि उसके बैंक खाते में पिछले दो वर्षों में विदेशों से कम से कम 35 करोड़ रुपये जमा किये गये थे। दलजीत सिंह को अमृतपाल सिंह का फाइनेंसर माना जा रहा है।

फरार अमृतपाल सिंह के फाइनेंसर दलजीत सिंह कलसी के बैंक खाते में विदेश से जमा हुए थे 35 करोड़ रुपये
चंडीगढ़: पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्यादे और फरार खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह की धर-पकड़ के लिए पंजाब पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है। इस बीच अमृतपाल सिंह की कुंडली खंगाल रही जांच एजेंसियों को कई ऐसे पुख्ता सबूत मिले हैं, जिनके आधार पर कहा जा सकता है कि अमृतपाल सिंह 80 के दशक में पंजाब के लिए नासूर बने जरनैल सिंह भिंडरांवाले की तर्ज पर विदेशी ताकतों के साथ मिलकर देश तोड़ने की साजिश में लगा हुआ था।
समाचार वेबसाइट इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार अमृतपाल सिंह की बेहद बारीकी से जांच कर रही खुफिया एजेंसियों ने बताया है कि गुरुग्राम से गिरफ्तार किए गए दलजीत सिंह कलसी के बैंक खातों की जांच में पाया गया है कि पिछले दो वर्षों में उसे विदेशों से कम से कम 35 करोड़ रुपये मिले हैं।
इस जानकारी से स्पष्ट है कि 'वारिस पंजाब दे' की कमान संभालने वाले अमृतपाल सिंह के इरादे बेहद खतरनाक थे। यही नहीं जांच एजेंसियों का दावा है कि अमृतपाल सिंह और दलजीत सिंह कलसी का पाकिस्तान कनेक्शन भी जल्द ही सामने आ सकता है और इसके लिए एजेंसियों के रडार पर पाकिस्तान के करीब दो दर्जन मोबाइल फोन नंबर लगे हुए हैं, जिनसे कालसी के फोन से या तो कॉल की गई या फिर रिसीव हुई है।
इस खुलासे से पहले जांच एजेंसियां अमृतपाल के उस रहस्य से पर्दा उठा चुकी हैं, जिसमें बताया गया था कि वो और उनके करीबी सहयोगी आनंदपुर खालसा फोर्स (एकेएफ) के नाम से खालिस्तान के समर्थन एक फोर्स का गठन कर रहे थे, जिनका मकसद पंजाब के अमन-चैन को बर्बाद करके एक बार फिर 80 के दशक की दहशतगर्दी को वापस लाना था। छानबीन में जांच एजेंसियों को कुछ ऐसे भी वीडियो मिले हैं, जिनमें अमृतपाल अपने एकेएफ सहयोगियों के साथ मय हथियार सफर करता हुआ दिखाई दे रहा है।
मामले की जांच कर रहे अधिकारियों की मानें तो दलजीत सिंह कलसी ही अमृतपाल सिंह और 'वारिस पंजाब दे' को धन मुहैया कराता था। कलसी ने 2000 के शुरूआती दशक में स्टर्लिंग इंडिया नाम से एक कंपनी शुरू की थी। इस कंपनी का दिल्ली में मुख्यालय है और ये एक मल्टी-लेवल मार्केटिंग कंपनी के तौर पर काम करती है।
कलसी पोंजी योजनाओं को चलाता था और उसी के जरिये हवाला की आड़ में पैसों का लेनदेन करता था। दलजीत सिंह कलसी 21 अप्रैल 2018 को सरबजीत सिंह के फर्जी नाम पर तिरुमल्ला तिरुपति मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी के निदेशक मंडल में भी शामिल हुआ था।
अब तक की मिली सूचना के अनुसार तिरुमल्ला तिरुपति मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी भी स्टर्लिंग इंडिया की तरह मल्टी-लेवल मार्केटिंग में शामिल है और इसका दफ्तर मुंबई में स्थित है। खबरों के मुताबिक इसके निदेशकों में से एक की ड्रग रैकेट में कथित संलिप्तता और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गोवा पुलिस की अपराध शाखा जांच भी कर रही है।
इन सबके अलावा दलजीत सिंह कलसी आइकॉन इंफ्राप्रॉप प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी के भी निदेशक मंडल में था और यह कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 164 (2) (ए) के तहत वित्तीय वर्ष 2014 से 2016 के लिए लगातार तीन वर्षों तक आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करने के लिए अयोग्य घोषित की गई थी।
जांच एजेंसियों की पड़ताल में यह बात भी सामने आयी है कि अमृतपाल सिंह जिस ऑडी कार का इस्तेमाल करता था, वह भी स्टर्लिंग इंडिया में दलजीत सिंह कलसी के पार्टनर के नाम पर पुणे में रजिस्टर्ड है।