पश्चिम बंगाल के विधान सभा के बाहर गुरुवार सुबह उस समय अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई जब राज्यपाल जगदीप धनखड़ वहां पहुंच गये। पश्चिम बंगाल में विधान सभा सत्र दो दिन के लिए स्थगित है। ऐसे में राज्यपाल जगदीप धनखड़ को गेट बंद होने की वजह से गेट नंबर-2 पर कुछ देर तक इंतजार भी करना पड़ा। हालांकि, थोड़ी देर बाद वे गेट नंबर-1 से परिसर में दाखिल हुए।
इस दौरान राज्यपाल ने फाटक बंद होने के लेकर सवाल भी उठाए। राज्यपाल ने विधान सभा पहुंचने पर कहा, 'मेरा मकसद इस ऐतिहासिक इमारत को देखने का था, लाइब्रेरी विजिट करने का था। विधानसभा स्थगित है, इसका ये मतलब नहीं है कि सदन को भी बंद रखना है। पूरा सचिवालय खुला होना चाहिए।'
इसके बाद राज्यपाल ने कहा, 'जब मैं यहां आया था तो राज्यपाल और दूसरे वीवीआईपी के लिए इस्तेमाल होने वाले गेट बंद थे लेकिन मैं दूसरी गेट से गया जो खुला हुआ था। विधानसभा स्थगित होने का मतलब सदन बंद होना नहीं है।'
पश्चिम बंगाल में क्या है विवाद
दरअसल, पश्चिम बंगाल विधानसभा की कार्यवाही दो दिन के लिए स्थगित किए जाने पर राज्यपाल के साथ सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के साथ गतिरोध और अधिक गहरा गये हैं।
राज्यपाल ने बुधवार को कहा था उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी को पत्र लिख कर कहा कि वह विधानसभा की सुविधाओं का जायजा लेने विधानसभा जाएंगे और पुस्तकालय भी जाएंगे। इससे पहले दिन में उन्होंने तृणमूल कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि वह संविधान का पालन कर रहे हैं और ‘रबड़ स्टांप’ नहीं हैं।
सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी और राज्यपाल के बीच गतिरोध उस समय और अधिक गहरा गया, जब विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी ने मंगलवार को सदन को दो दिनों के लिए स्थगित कर दिया क्योंकि विधानसभा में जो विधेयक पेश होने थे, उन्हें अब तक राज्यपाल की सहमति नहीं मिली थी जो कि अनिवार्य है। इस दावे को राज भवन ने खारिज कर दिया।
धनखड़ की ओर से किए गये ट्वीट में कहा गया, ‘राज्यपाल के तौर पर मैं संविधान का पालन करता हूं और आंख बंद कर फैसले नहीं ले सकता। मैं ‘न तो रबड़ स्टांप हूं और न ही पोस्टऑफिस।’ उन्होंने कहा, ‘मैं संविधान के आलोक में विधेयकों की जांच करने और बिना विलंब के काम करने के लिए बाध्य हूं। इस मामले में सरकार की तरफ से विलंब हुआ है।’
(भाष इनपुट)