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चीन की बढ़ेगी टेंशन! पहली बार मालाबार नेवल अभ्यास में भारत, अमेरिका, जापान के साथ जुड़ेगा ऑस्ट्रेलिया

By विनीत कुमार | Updated: July 11, 2020 14:04 IST

चीन एक बार फिर रणनीतिक तौर पर घिरता नजर आ रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार इस साल के अंत में मालाबार नेवल अभ्यास में भारत, अमेरिका और जापान के साथ अब ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हो सकता है।

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ठळक मुद्देमालाबार नेवल अभ्यास में इस बार भारत, अमेरिका और जापान के साथ ऑस्ट्रेलिया के जुड़ने की संभावनाअगले हफ्ते तक ऑस्ट्रेलिया को औपचारिक रूप से निमंत्रण भेजने के प्रस्ताव पर लग सकती है मुहर

कोरोना वायरस से जुड़ी अहम जानकारियां छिपाने का आरोप झेल रहे चीन के लिए मुश्किल अब और बढ़ सकती है। हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में चीन को 'जवाब' देने के लिए पहली बार एक साथ चार बड़ी महाशक्तियां सामने आ रही है। इस साल के अंत में मालाबार नेवल अभ्यास में भारत, अमेरिका और जापान के साथ अब ऑस्ट्रेलिया भी शामिल होना चाहता है। ऑस्ट्रेलिया को जल्द ही न्योता मिल सकता है।

ऐसे में पहली बार अनौपचारिक रूप से बने क्वॉड ग्रुप (Quad group) को एक साथ सैन्य अभ्यास में देखा जाएगा। अभी तक भारत ने ऑस्ट्रेलिया को इससे अलग रखा था लेकिन लद्दाख में सीमा पर चीन की हरकत को देखते हुए उसे भी बुलाने की योजना है। ऐसे में ड्रैगन की बैचेनी बढ़ना स्वाभाविक है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अगले हफ्ते तक ऑस्ट्रेलिया को औपचारिक रूप से निमंत्रण के प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है। मालाबार दरअसल पहले नौसैनिक युद्धाभ्यास हुआ करता था लेकिन अब इसे इंडो-पैसिफिक रणनीति का अहम हिस्सा माना जाता है। जापान इससे 2015 में जुड़ा था।

चीन को भारत का जवाब!

ये सबकुछ ऐसे समय में हो रहा है जब भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव बरकरार है। हाल के दिनों में हालात तो बेहद खराब हो गए थे जब हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए।

बता दें कि मालाबार अभ्यास की शुरुआत भारतीय और अमेरिकी नौसेना के बीच 1992 में हई थी। पिछले कुछ सालों से ऑस्ट्रेलिया भी इसमें शामिल होना चाहता है। गौरतलब है कि पिछले महीने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री और पीएम नरेंद्र मोदी के साथ वर्चुअल समिट के दौरान कई अहम समझौते भी हुए थे। 

ऑस्ट्रेलिया काफी पहले से इस ग्रुप का हिस्सा बनना चाहता था। हालांकि, भारत ने 2017 में ऑस्ट्रेलिया को शामिल करने से रोक दिया था। भारत को अहसास था कि चीन इसे सैन्य विस्तार के तौर पर देख सकता है लेकिन सीमा पर बढ़ी तनातनी और चीन के आक्रामक रवैये को देखते हुए आखिरकार भारत ने भी अब अपना रुख बदल लिया है। 

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