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किसानों के प्रदर्शन पर अमेरिकी प्रतिक्रिया को अवश्य ही संपूर्णता में देखा जाना चाहिए : भारत

By भाषा | Updated: February 5, 2021 01:08 IST

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नयी दिल्ली, चार फरवरी किसानों के प्रदर्शनों पर बाइडन प्रशासन के प्रतिक्रिया व्यक्त करने के कुछ घंटों बाद भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि टिप्पणियों को अवश्य ही उनकी संपूर्णता में देखा जाना चाहिए।

साथ ही, विदेश मंत्रालय 26 जनवरी के दिन हिंसा और लाल किले में तोड़फोड़ की घटनाओं के बाद भारत में हुई प्रतिक्रियाओं और प्रकट की गई भावनाओं की तुलना हाल ही में ‘यूएस कैपिटल हिल’ में हुई हिंसा की घटनाओं से करता नजर आया।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि किसी भी प्रदर्शन को लोकतांत्रिक आचार एवं राजनीतिक व्यवस्था के संदर्भ में तथा गतिरोध खत्म करने के लिए सरकार एवं संबद्ध किसान संगठनों के प्रयासों को अवश्य ही देखा जाना चाहिए।

श्रीवास्तव ने कहा कि भारत ने अमेरिका की टिप्पणी पर संज्ञान लिया है और दोनों देश जीवंत लोकतंत्र हैं और मूल्यों को साझा करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी को हिंसा की घटनाएं, लाल किले में तोड़फोड़ ने भारत में उसी तरह की भावनाएं और प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की, जैसा कि छह जनवरी को (अमेरिका में) ‘कैपिटल हिल’ घटना के बाद देखने को मिला था। भारत में हुई घटनाओं से हमारे संबद्ध स्थानीय कानूनों के मुताबिक निपटा जा रहा है।’’

श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कुछ हिस्सो में इंटरनेट को लेकर अस्थायी कदम उठाया गया है और यह समझा जा सकता है कि यह हिंसा को और फैलने से रोकने के लिए किया गया है।’’

अमेरिका ने किसानों के आंदोलन पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में बृहस्पतिवार को कहा कि वह वार्ता के जरिए दोनों पक्षों के बीच मतभेदों के समाधान को बढ़ावा देता है।

अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा, ‘‘हम मानते हैं कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन और निर्बाध इंटरनेट किसी भी सफल लोकतंत्र की पहचान है।

अमेरिका ने यह भी कहा कि वह उन कदमों का समर्थन करता है, जिससे भारतीय बाजार की कुशलता बढ़ेगी एवं बड़े निवेश आकर्षित होंगे।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘आप देख सकते हैं कि अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत द्वारा कृषि क्षेत्र में सुधान के लिए उठाए गए कदम का स्वागत किया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने अमेरिकी विदेश विभाग की टिप्पणी पर गौर किया है। यह महत्वपूर्ण है कि ऐसी टिप्पणी को उस संदर्भ में देखा जाए, जिस संदर्भ में वे की गई हैं और उन्होंने संपूर्णता में देख जाए।’’

जब श्रीवास्तव से पूछा गया कि क्या ‘प्रेरित अभियान’ चलाया जा रहा है और किसानों के आंदोलन पर विदेशी प्रतिक्रिया के पीछे किसी का हाथ है? तो उन्होंने इसका कोई सीधा जवाब नहीं दिया।

प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ मैं व्यापक तौर पर यह कह सकता हूं कि कृषि क्षेत्र में सुधार बहस का एक मुद्दा है, जिसका सर्वश्रेष्ठ समाधान भारतीय लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था द्वारा हो सकता है।’’

श्रीवास्तव ने बताया कि भारत ने आपसी कानूनी सहायता का अनुरोध ‘सिख फॉर जस्टिस ऐंड रिफ्रेंडम-2020’ की अमेरिकी जांच में किया है।

उन्होंने बताया, ‘‘प्रक्रिया के तहत अनुरोध सीधे संबंधित प्राधिकार द्वारा अमेरिकी न्याय विभाग को भेजा गया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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