अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड ने आयोगों के सभी सुझावों को किया दरकिनार, उठ रही खतरे की आशंका

By सुरेश डुग्गर | Updated: June 26, 2019 18:01 IST2019-06-26T18:01:43+5:302019-06-26T18:01:43+5:30

अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड ने उन सभी सुझावों और संस्तुतियों को एक बार फिर दरकिनार कर श्रद्धालुओं की जान खतरे में डालने का फैसला किया है जो यात्रा में हुए दो हादसों के बाद गठित किए गए आयोगों ने दिए थे।

Amarnath Yatra Shrine Board bypasses all suggestions of commissions | अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड ने आयोगों के सभी सुझावों को किया दरकिनार, उठ रही खतरे की आशंका

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

अमरनाथ यात्रा में शामिल होने जा रहे लाखों श्रद्धालुओं की जान खतरे में है? अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड ने उन सभी सुझावों और संस्तुतियों को एक बार फिर दरकिनार कर श्रद्धालुओं की जान खतरे में डालने का फैसला किया है जो यात्रा में हुए दो हादसों के बाद गठित किए गए आयोगों ने दिए थे। यही नहीं यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या फ्री फॉर ऑल करने के बाद प्रदूषण से बेहाल हुए पहाड़ों को बचाने के लिए पर्यावरण बोर्ड ने भी श्रद्धालुओं की संख्या कम करने को कई बार कहा है पर नतीजा हमेशा ढाक के तीन पात रहा है।

वर्ष 1996 में यात्रा में हुए प्राकृतिक हादसे में 300 से अधिक श्रद्धालुओं की जान गंवाने के बाद गठित सेन गुप्ता आयोग की सिफारिशें फिलहाल रद्दी की टोकरी में हैं। यही नहीं वर्ष 2002 में श्रद्धालुओं के नरसंहार के बाद गठित मुखर्जी आयोग की सिफारिशें भी अब कहीं नजर नहीं आतीं।

सेनगुप्ता आयोग ने श्रद्धालुओं की संख्या को कम करने की संस्तुति करते हुए कहा था कि अधिक संख्या में श्रद्धालुओं को भिजवाना उन्हें मौत के मुंह में धकेलना होगा। आयोग ने 75 हजार से अधिक श्रद्धालुओं को यात्रा में शामिल नहीं करने की संस्तुति करते हुए कहा था कि इसके लिए उम्र की सीमा भी रखी जानी चाहिए थी। हालांकि इस बार उम्र की सीमा की संस्तुति को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद मान लिया गया है।

मगर ऐसा हुआ नहीं। तत्कालीन फारूक सरकार ने एकाध साल के लिए इसे अपनाया मगर धार्मिक दबाव के चलते इसे हटाना पड़ा। मुफ्ती सरकार चाहती तो यही थी पर श्राइन बोर्ड के गठन ने राज्यपाल एसके सिन्हा और मुफ्ती सईद के बीच आरंभ हुई लड़ाई ने यात्रा को गुगली बना दिया।

यही नहीं मुखर्जी आयोग ने सुरक्षा पर चिंता व्यक्त की तो श्राइन बोर्ड खामोश हो गया। उसे चिंता नहीं है। वह बस सेना पर इसका जिम्मा छोड़ना चाहता है। श्राइन बोर्ड प्रवक्ता कहते हैं, ''सुरक्षाबल इस मसले पर पूरी तरह से सचेत हैं।'' पर मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट कहती थी यात्रा मार्ग में सुरक्षा मुहैया करवा पाना असंभव है।

श्राइन बोर्ड से राज्य प्रदूषण बोर्ड भी नाराज है। नाराजगी का कारण यात्रा मार्ग पर फैलने वाली गंदगी है। इससे पहाड़ भी बेहाल हैं। इस संबंध में तैयार की गई रिपोर्ट में राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड का कहना है कि पिछले कुछ सालों से यात्रा में शामिल होने वालों की बढ़ती संख्या का परिणाम है कि लिद्दर दरिया का पानी पीने लायक नहीं रहा और बैसरन तथा सरबल के जंगल, जो अभी तक मानव के कदमों से अछूते थे, अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।

Web Title: Amarnath Yatra Shrine Board bypasses all suggestions of commissions

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