अदालतों को हस्तक्षेप करने की अनुमति देने से मध्यस्थता कार्यवाही की कार्यक्षमता घट जाएगी: न्यायालय

By भाषा | Updated: January 6, 2021 22:44 IST2021-01-06T22:44:14+5:302021-01-06T22:44:14+5:30

Allowing courts to intervene will reduce the efficiency of arbitration proceedings: Courts | अदालतों को हस्तक्षेप करने की अनुमति देने से मध्यस्थता कार्यवाही की कार्यक्षमता घट जाएगी: न्यायालय

अदालतों को हस्तक्षेप करने की अनुमति देने से मध्यस्थता कार्यवाही की कार्यक्षमता घट जाएगी: न्यायालय

नयी दिल्ली, छह जनवरी उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि यदि अदालतों को कानून के दायरे के बाहर मध्यस्थता प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने की अनुमति दी जाती है तो इस तरह की कार्यवाही की कार्यक्षमता घट जाएगी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालयों को उन दुर्लभ मामलों में अपवाद के तौर पर संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत प्राप्त असाधारण रिट शक्ति का उपयोग करना चाहिए, जिनमें मध्यस्थता कानून द्वारा निस्तारण किये जाने वाले विवादों में एक वादी के पास कोई राहत-उपाय नहीं बच गया हो।

न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने गुजरात की कंपनी भावेन कंस्ट्रक्शंस द्वारा उच्च न्यायालय के 2012 के एक आदेश के खिलाफ खिलाफ दायर अपील पर यह टिप्पणी की।

गुजरात उच्च न्यायालय ने अपनी रिट शक्तियों का उपयोग करते हुए सरदार सरोवर नर्मद निगम लिमिटेड के खिलाफ उपरोक्त कंपनी द्वारा शुरू की गई मध्यस्थता कार्यवाही में हस्तक्षेप किया था।

उल्लेखनीय है कि इस सरकारी कंपनी को भुगतान और ईंट की आपूर्ति को लेकर एक विवाद हो गया था।

शीर्ष न्यायालय के पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय भी शामिल थे।

न्यायूर्ति रमण ने फैसला लिखते हुए कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि अनुच्छेद 227 व्यापक और विस्तारित है।

शीर्ष न्यायालय ने दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता कार्यवाही में हस्तक्षेप करने वाले उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया।

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Web Title: Allowing courts to intervene will reduce the efficiency of arbitration proceedings: Courts

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