शुल्क से बचने के लिए छर्रे के रूप में लौह अयस्क के निर्यात का आरोप, न्यायालय ने जवाब मांगा

By भाषा | Updated: September 24, 2021 22:45 IST2021-09-24T22:45:12+5:302021-09-24T22:45:12+5:30

Allegation of export of iron ore in the form of pellets to evade duty, court seeks reply | शुल्क से बचने के लिए छर्रे के रूप में लौह अयस्क के निर्यात का आरोप, न्यायालय ने जवाब मांगा

शुल्क से बचने के लिए छर्रे के रूप में लौह अयस्क के निर्यात का आरोप, न्यायालय ने जवाब मांगा

नयी दिल्ली, 24 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र से उस जनहित याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें शुल्क से बचने के लिए कुछ कंपनियों द्वारा लौह अयस्क का छर्रे के रूप में निर्यात करने का आरोप लगाया गया है।

जनहित याचिका में या तो निर्यात पर प्रतिबंध लगाने या गोले अथवा छर्रों सहित सभी रूपों में लौह अयस्क के निर्यात पर 30 प्रतिशत शुल्क लगाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। गैर सरकारी संगठन ‘कॉमन कॉज’ ने जनहित याचिका में कहा है कि सरकार द्वारा मंजूर कद्रेमुख आयरन ओर कंपनी लिमिटेड (केआईओसीएल) द्वारा निर्मित लौह अयस्क छर्रों के निर्यात को 30 प्रतिशत निर्यात शुल्क से छूट दी जा सकती है।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने एनजीओ की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण की संक्षिप्त दलीलों पर गौर करने के बाद कहा, ‘‘नोटिस जारी किया जाता है।’’

पीठ ने विदेश व्यापार नीति लागू करने वाले विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी), राजस्व विभाग और ‘पैलेट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ को चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है।

याचिका पर संक्षिप्त सुनवाई के दौरान बहस भी हो गई, जब वकील एम एल शर्मा एनजीओ की जनहित याचिका का विरोध करने के लिए डिजिटल तरीके से सुनवाई में शामिल हुए। शर्मा ने इसी मुद्दे पर जनहित याचिका दाखिल की थी, जो शीर्ष अदालत में लंबित है।

शर्मा ने कहा, ‘‘उन्होंने (भूषण ने) मेरी याचिका चुरा ली है। मैंने पैसे खर्च किए और याचिका दाखिल की और उनके कहने पर मेरा वीडियो कनेक्शन पांच बार काट दिया गया। वह हमेशा मेरी याचिका चुराते हैं। वह नकलची हैं।’’ इस पर पीठ ने कहा, ‘‘आपकी (शर्मा) याचिका पहले से ही है। उस पर नोटिस जारी किया गया है। क्या यह भूषण को एक और मामला दर्ज करने से रोकता है...हम उनकी याचिका की अनुमति दे रहे हैं...इसका मतलब यह नहीं है कि हम आपकी याचिका को अस्वीकार कर रहे हैं।’’

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील के मामले में बहस शुरू होने से पहले ही कैविएट दाखिल करने वाला याचिका पर आपत्ति नहीं जता सकता।

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Web Title: Allegation of export of iron ore in the form of pellets to evade duty, court seeks reply

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