Allahabad High Court: आखिर क्या है चिकित्सा न्यायशास्त्र, कोर्ट ने दुष्कर्म आरोपी को दिया जमानत

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 27, 2024 16:43 IST2024-07-27T16:42:09+5:302024-07-27T16:43:02+5:30

Allahabad High Court: उच्च न्यायालय ने कहा कि समाचार पत्रों में अक्सर यह रिपोर्ट छपती है कि एक महिला को क्लोरोफॉर्म सुंघाकर बेहोश करने के बाद उसके साथ दुष्कर्म किया गया, जोकि विश्वास करने लायक नहीं है।

Allahabad High Court Bail to rape accused what is medical jurisprudence uttar pradesh police | Allahabad High Court: आखिर क्या है चिकित्सा न्यायशास्त्र, कोर्ट ने दुष्कर्म आरोपी को दिया जमानत

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Highlightsन्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने चिकित्सा न्यायशास्त्र एवं विष विज्ञान का हवाला दिया।शिकायतकर्ता महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाए।तथ्य छिपाया कि पहली पत्नी से उसके दो बच्चे हैं।

प्रयागराजः इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दुष्कर्म के एक आरोपी को चिकित्सा न्यायशास्त्र के आधार पर जमानत दे दी है। अपीलकर्ता पर आरोप है कि उसने पीड़िता के रुमाल को क्लोरोफॉर्म में भिगोकर उसे अचेत कर दिया और उसके साथ दुष्कर्म किया। अदालत ने चिकित्सा न्यायशास्त्र को आधार बनाते हुए कहा कि एक अनुभवहीन व्यक्ति के लिए बिना बाधा के एक सोते हुए व्यक्ति को बेहोश करना संभव नहीं है। उच्च न्यायालय ने कहा कि समाचार पत्रों में अक्सर यह रिपोर्ट छपती है कि एक महिला को क्लोरोफॉर्म सुंघाकर बेहोश करने के बाद उसके साथ दुष्कर्म किया गया, जोकि विश्वास करने लायक नहीं है।

 

न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने चिकित्सा न्यायशास्त्र एवं विष विज्ञान का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि “एक महिला जब होश में हो तो उसकी इच्छा के बगैर उसे चेतनाशून्य करना असंभव है।” याचिकाकर्ता रवीन्द्र सिंह राठौर पर आरोप है कि उसने 2022 में एक फर्जी शादी करने के बाद शिकायतकर्ता महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाए।

राठौर ने कथित तौर पर यह तथ्य छिपाया कि पहली पत्नी से उसके दो बच्चे हैं। शिकायतकर्ता महिला का दावा है कि राठौर ने क्लोरोफॉर्म का उपयोग कर उसे बेहोश किया, दुष्कर्म किया और इसका वीडियो बनाने के बाद इसे वायरल करने की धमकी दी। अदालत ने सतेन्दर कुमार अंतिल बनाम केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो(सीबीआई) के मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय का हवाला देते हुए “जब तक दोषी साबित ना हो जाए, तब तक निर्दोष रहने का अनुमान लगाना” के सिद्धांत पर जोर दिया।

अदालत ने बृहस्पतिवार को आरोपी की जमानत मंजूर करते हुए कहा कि जब तक तर्कसम्मत संदेह से परे दोष साबित नहीं हो जाता, महज आरोप के आधार पर एक व्यक्ति के जीवन जीने और आजादी के अधिकार (संविधान के अनुच्छेद 21) को छीना नहीं जा सकता। 

Web Title: Allahabad High Court Bail to rape accused what is medical jurisprudence uttar pradesh police

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