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कश्मीर सहित हिमालय के सभी 11 राज्य खुद खोजेंगे अपनी समस्याओं के समाधान

By भाषा | Updated: July 27, 2019 14:06 IST

आयोजन से जुड़े उत्तराखंड सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस दौरान पर्यावरण संरक्षण और विकास के विरोधाभासों को भी दूर करने के उपाय खोजे जाएंगे। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में जम्मू कश्मीर के राज्यपाल, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नगालैंड, त्रिपुरा, मिजोरम एवं मणिपुर के मुख्यमंत्री शामिल होंगे।

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ठळक मुद्देसम्मेलन में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार और वित्त आयोग के अध्यक्ष एन के सिंह ने भी शिरकत करने की सहमति दी है। क्षमताओं के मुताबिक भविष्य के विकास का संयुक्त रोडमैप तैयार कर इसे समयबद्ध तरीके से अमल में लाना है।

जम्मू कश्मीर सहित सभी हिमालयी राज्यों ने विकास की राह में आ रही साझा समस्याओं के समाधान खुद खोजने की पहल करते हुये केन्द्र सरकार की भागीदारी में हिमालयी राज्यों का पहला सम्मेलन रविवार को उत्तराखंड के मसूरी में आयोजित किया है।

सम्मेलन का आयोजन कर रही उत्तराखंड सरकार की ओर जारी बयान के अनुसार “हिमालयी राज्यों की समस्यायें और समाधान” विषय पर यह पहला सम्मेलन है। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में एकदिवसीय सम्मेलन के दौरान हिमालय क्षेत्र के सभी 11 राज्य, विकास संबंधी उन समस्याओं को चिह्नित करेंगे जो आपसी हितों में साझा समन्वय क़ायम करने में बाधक बन रही है।

आयोजन से जुड़े उत्तराखंड सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस दौरान पर्यावरण संरक्षण और विकास के विरोधाभासों को भी दूर करने के उपाय खोजे जाएंगे। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में जम्मू कश्मीर के राज्यपाल, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नगालैंड, त्रिपुरा, मिजोरम एवं मणिपुर के मुख्यमंत्री शामिल होंगे।

उन्होंने बताया कि इन समस्याओं के कारगर और स्थायी समाधान सुझाने के लिये सम्मेलन में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार और वित्त आयोग के अध्यक्ष एन के सिंह ने भी शिरकत करने की सहमति दी है। जिससे नीतिगत एवं वित्तीय समस्याओं के तात्कालिक समाधान सुनिश्चित किये जा सकें।

अपने तरह के पहले सम्मेलन में शासन, प्रशासन और विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों की मौजूदगी वाले सभी संबद्ध राज्यों के उच्च स्तरीय प्रतिनिधि मंडल हिमालयी राज्यों की समस्याओं और समाधान पर विस्तृत विचार विमर्श कर कार्ययोजना बनायेंगे। कार्ययोजना का मसौदा नीति आयोग और केन्द्र सरकार को सौंपा जायेगा।

इसका मकसद हिमालयी राज्यों की जरूरतों, अपेक्षाओं और क्षमताओं के मुताबिक भविष्य के विकास का संयुक्त रोडमैप तैयार कर इसे समयबद्ध तरीके से अमल में लाना है।

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