अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) विवाद: 'भारतीय मुसलमानों का मोहम्मद अली जिन्ना से कोई रिश्ता नहीं'

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: May 6, 2018 11:56 IST2018-05-06T11:56:34+5:302018-05-06T11:56:34+5:30

इस पर बहस हो सकती है कि 1947 के बाद जिन्ना की तस्वीर होनी चाहिए थी या नहीं। यह फैसला विश्वविद्यालय प्रशासन को करना है। लेकिन बाहरी संगठनों को इसमें दखल नहीं देना चाहिए।

Aligarh-Muslim-University-Mohammed-Ali-Jinnah-Photo-Controversy | अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) विवाद: 'भारतीय मुसलमानों का मोहम्मद अली जिन्ना से कोई रिश्ता नहीं'

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) विवाद: 'भारतीय मुसलमानों का मोहम्मद अली जिन्ना से कोई रिश्ता नहीं'

नयी दिल्ली, 6 मई: पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम के प्रेस सचिव रहे और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के पूर्व छात्र एस. एम. खान पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की विश्वविद्यालय के छात्र संघ कार्यालय में लगी तस्वीर से पैदा विवाद को लेकर काफी क्षुब्ध हैं। भारतीय सूचना सेवा के अधिकारी के तौर पर अपने लंबे करियर के दौरान खान ने सीबीआई के प्रवक्ता, दूरदर्शन न्यूज़ के महानिदेशक और कुछ दूसरी प्रमुख जिम्मेदारियों का निर्वहन किया। विश्वविद्यालय में इस विवाद के संदर्भ में 'भाषा' के उनसे पांच सवाल: 

1. जिन्ना की तस्वीर को लेकर हो रहे विवाद पर आपकी क्या राय है ? 

उत्तर: यह चिंता की बात है कि एक मुद्दे को लेकर बाहर के कुछ लोगों ने हंगामा किया और विश्वविद्यालय में घुसने की कोशिश की। जहां तक जिन्ना की तस्वीर को हटाने या नहीं हटाने का सवाल है तो इसका फैसला विश्वविद्यालय प्रबंधन को करना है।

2. भारत के बंटवारे में जिन्ना की भूमिका को देखते हुए क्या यह तस्वीर वहां होनी चाहिए ? 

उत्तर: पहली बात यह कि जो तस्वीर वहां लगी है उसका यह मतलब यह नहीं है की जिन्ना का महिमामण्डन हो रहा है। यह तस्वीर विश्वविद्यालय के किसी कार्यालय, संकाय या प्रशासनिक दफ्तर में नहीं लगी है। यह तस्वीर छात्र संघ के कार्यालय में लगी हुई है। छात्र संघ की तरफ से जिन प्रमुख लोगों को आजीवन मानक सदस्यता दी गई, उनकी तस्वीरें वहां लगती हैं। शायद यही वजह है कि जिन्ना की तस्वीर भी वहां लगाई गई है। इस पर बहस हो सकती है कि 1947 के बाद जिन्ना की तस्वीर होनी चाहिए थी या नहीं। यह फैसला विश्वविद्यालय प्रशासन को करना है। लेकिन बाहरी संगठनों को इसमें दखल नहीं देना चाहिए।

3. क्या भारतीय मुस्लिम समाज के विमर्श में जिन्ना के लिए कोई स्थान है? 

उत्तर: भारत में रहने वाले मुसलमानों ने बहुत पहले ही जिन्ना को खारिज कर दिया था। मेरा मानना है कि भारतीय मुसलमानों का जिन्ना से कोई रिश्ता नहीं है। भारत का कोई भी मुसलमान जिन्ना से अपनी पहचान कभी नहीं जोड़ेगा। भारत के मुसलमानों की पहचान महात्मा गांधी और मौलाना आजाद से जुड़ी है। आगे भी यही रहेगी।

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4. कुछ लोग पाकिस्तान के एक संग्रहालय में महात्मा गांधी की प्रतिमा होने का हवाला दे रहे हैं, इस पर आपकी क्या राय है? 

उत्तर: हमें किसी भी चीज में पाकिस्तान से तुलना करने की जरूरत नहीं है। महात्मा गांधी एक अंतरराष्ट्रीय व्यक्तित्व हैं। उनकी तस्वीरें और प्रतिमाएं दुनिया भर में हैं। पाकिस्तान में क्या हो रहा है उस पर हमें ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है। 

5. अब आगे इस विवाद का समाधान क्या है? 

उत्तर: अलीगढ़ के सांसद (सतीश गौतम) ने एक बात रखी है और फैसला विश्वविद्यालय प्रशासन को करना है। मुझे लगता है कि विश्वविद्यालय उचित फैसला करेगा। जहां तक एएमयू का सवाल है तो यह देश के किसी दूसरे केंद्रीय विश्वविद्यालय की तरह ही है। इसका देश को मजबूत बनाने में खासा योगदान रहा है। यह एक राष्ट्रवादी संस्थान है। इस पर सवाल खड़े करना उचित नहीं है।

English summary :
Aligarh Muslim University (AMU) is once again in the eye of storm. This time it is the portrait of Mohammed Ali Jinnah. While some students have sought removal of the photo from the university campus, another group of students have demanded that the Jinnah's photo should be allowed.


Web Title: Aligarh-Muslim-University-Mohammed-Ali-Jinnah-Photo-Controversy

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