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उत्तर व मध्य भारत के कई भागों में वायु गुणवत्ता बिगड़ी, आप सरकार ने भाजपा पर आरोप लगाया

By भाषा | Updated: November 5, 2021 20:25 IST

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नयी दिल्ली/लखनऊ, पांच नवंबर दिवाली पर प्रतिबंध के बावजूद पटाखे फोड़े जाने के कारण उत्तर और मध्य भारत के कई भागों समेत राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता बिगड़ी, जिसके चलते दिवाली के अगले दिन दिल्ली में पिछले पांच साल में सबसे खराब वायु गुणवत्ता दर्ज की गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक, पटाखे फोड़े जाने और पराली जलाए जाने की घटनाओं के चलते पिछले 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 462 दर्ज किया गया।

दिल्ली में वर्ष 2020 में दिवाली के अगले दिन 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 435 था जबकि 2019 में 368, 2018 में 390, 2017 में 403 और 2016 में 445 रहा था। इस साल दिवाली के दिन एक्यूआई 382 दर्ज किया गया जोकि वर्ष 2020 में 414, 2019 में 337, 2018 में 281, 2017 में 319 और 2016 में 431 रहा था।

इस बीच, दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने शुक्रवार को कहा कि राजधानी की वायु गुणवत्ता पराली जलाने की घटनाओं और प्रतिबंध के बावजूद दीपावली पर पटाखे फोड़ने के कारण खराब हुई है। उन्होंने भाजपा पर बृहस्पतिवार को दीपोत्सव पर लोगों को पटाखे फोड़ने की सलाह देने का आरोप लगाया।

इस पर पलटवार करते हुए भाजपा की दिल्ली इकाई के प्रवक्ता नवीन कुमार जिंदल ने कहा कि दिवाली किसी राजनीतिक दल का नहीं बल्कि हिंदुओं का त्योहार है। उन्होंने पूछा कि क्या आम आदमी पार्टी से जुड़े हिंदुओं को अपने त्योहार मनाने की अनुमति नहीं है।

प्रतिबंध को दरकिनार कर दिवाली पर पटाखे फोड़ने और पराली जलाए जाने से होने वाले उत्सर्जन का योगदान बढ़कर 36 फीसदी होने के कारण शुक्रवार को दिल्ली-एनसीआर में आसमान में धुएं का गुबार छा गया। दिल्ली के पड़ोसी शहरों में शुक्रवार दोपहर को एक्यूआई ''गंभीर'' की श्रेणी में दर्ज किया गया जो फरीदाबाद में 460, ग्रेटर नोएडा में 423, गाजियाबाद में 450, गुरुग्राम में 478 और नोएडा में 466 दर्ज किया गया।

उल्लेखनीय है कि शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को ''अच्छा'', 51 और 100 के बीच ''संतोषजनक'', 101 और 200 के बीच ''मध्यम'', 201 और 300 के बीच ''खराब'', 301 और 400 के बीच ''बहुत खराब'', तथा 401 और 500 के बीच को ''गंभीर'' माना जाता है।

वहीं, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक, देश के कई अन्य शहरों और जिलों में भी एक्यूआई ''गंभीर'' श्रेणी में दर्ज किया, जिनमें उत्तर प्रदेश में आगरा, बागपत और वृंदावन जबकि हरियाणा में बल्लभगढ़, भिवानी, हिसार, जींद, पानीपत और रोहतक तथा राजस्थान में भिवाड़ी शामिल रहा।

सीपीसीबी के मुताबिक, हरियाणा में अंबाला, राजस्थान में जयपुर, जोधपुर, कोटा और मध्यप्रदेश में ग्वालियर, उत्तर प्रदेश में गोरखपुर जबकि पंजाब में जालंधर में एक्यूआई ''बहुत खराब'' दर्ज किया गया।

इसी तरह, पश्चिम बंगाल के कोलकाता और हावड़ा, पंजाब में पटियाला और बिहार में पटना समेत विभिन्न राज्यों के कई जिलों में एक्यूआई ''खराब'' श्रेणी में दर्ज किया गया।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सीपीसीबी के अनुसार, फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले महीन कण यानी पीएम2.5 की 24 घंटे की औसत सांद्रता बढ़कर शुक्रवार को दोपहर दो बजे 430 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गयी जो 60 माइकोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित दर से करीब सात गुना अधिक है। बृहस्पतिवार शाम छह बजे इसकी औसत सांद्रता 243 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर थी।

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि राजधानी की वायु गुणवत्ता पराली जलाने की घटनाओं और प्रतिबंध के बावजूद दीपावली पर पटाखे फोड़ने के कारण खराब हुई है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर बृहस्पतिवार को दीपोत्सव पर लोगों को पटाखे फोड़ने की सलाह देने का आरोप लगाया। राय ने कहा कि दिल्ली का बेस पॉल्यूशन (प्रदूषण का आधार) जस का तस बना हुआ है, केवल दो कारक जुड़े हैं - पटाखे और पराली जलाना।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘बड़ी संख्या में लोगों ने पटाखे नहीं फोड़े। मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूं, लेकिन कुछ लोगों ने जानबूझकर पटाखे फोड़े। भाजपा ने उनसे यह सब करवाया।’’

राष्ट्रीय राजधानी के कई हिस्सों और उसके उपनगरों में लोगों ने सुबह सिर में दर्द, गले में जलन और आंखों में पानी आने की शिकायतें की। चिंतित नागरिकों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर आतिशबाजी की तस्वीरें और वीडियो साझा किए और पटाखों पर प्रतिबंध को ‘‘मजाक’’ बताया।

वहीं, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश एस रविंद्र भट ने शुक्रवार को कहा कि दिवाली के बाद राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण की मात्रा अधिक है और बाहर मौसम बिल्कुल ठीक नहीं है। एक पुस्तक के विमोचन समारोह में न्यायमूर्ति भट ने कहा, “मैं कहूंगा तो आप चौंक जाएंगे कि आज सुबह कुछ अच्छा है तो यह समारोह है, क्योंकि बाहर का मौसम बिल्कुल भी अच्छा नहीं है।”

हरियाणा सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आने वाले सभी 14 जिलों में पटाखे जलाने पर प्रतिबंध लगाया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने दिवाली पर केवल दो घंटे के लिए हरित पटाखे फोड़ने की अनुमति दी थी।

सरकारी वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान एजेंसी ‘सफर’ के अनुसार शुक्रवार को दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान 36 प्रतिशत रहा, जो इस मौसम में अब तक का सबसे अधिक उत्सर्जन है। ‘सफर’ के संस्थापक-परियोजना निदेशक गुफरान बेग ने कहा, ‘‘आतिशबाजी से हुए उत्सर्जन के साथ दिल्ली की वायु गुणवत्ता का सूचकांक‘ गंभीर’ श्रेणी के ऊपरी छोर तक पहुंचा...पराली जलाने से होने वाले उत्सर्जन का हिस्सा शुक्रवार को 36 प्रतिशत पर पहुंच गया है।’’

बेग ने कहा, ‘‘स्थानीय हवाएं तेज हो गई हैं और अब (प्रदूषकों के) तेजी से फैलाव की आशंका है। आतिशबाजी से अधिक उत्सर्जन के बिना ही शुक्रवार रात तक एक्यूआई ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंच जाएगा, हालांकि पराली का योगदान लगभग (शनिवार को) समान रहने का अनुमान है।’’

इस बीच, काली पूजा की रात बृहस्पतिवार को दक्षिण कोलकाता के कुछ हिस्सों को छोड़कर शहर के ज्यादातर क्षेत्रों से पटाखे जलाने की बहुत कम घटनाएं सामने आईं, इसके बावजूद महानगर में वायु गुणवत्ता ‘मध्यम’ से ‘खराब’ श्रेणी में चली गई। पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा, “हवा की गुणवत्ता में गिरावट के लिए पटाखों को पूरी तरह दोष नहीं दिया जा सकता। हवा में आर्द्रता और वाहनों से निकलने वाला धुआं इसका मुख्य कारण है क्योंकि काली पूजा की रात भारी संख्या में वाहन सड़कों पर थे।।”

उधर, महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में दिवाली के मौके पर लक्ष्मी पूजन सादगी भरा रहा। हालांकि, पिछले साल की तुलना में पटाखे अधिक फोड़े गए। सीपीसीबी के मुताबिक, मुंबई में एक्यूआई ‘मध्यम’ श्रेणी में जबकि नवी मुंबई और नासिक में ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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