वायु प्रदूषण : न्यायालय में सॉलीसीटर जनरल और एससीबीए अध्यक्ष के बीच हुआ वाकयुद्ध
By भाषा | Updated: December 2, 2021 22:46 IST2021-12-02T22:46:38+5:302021-12-02T22:46:38+5:30

वायु प्रदूषण : न्यायालय में सॉलीसीटर जनरल और एससीबीए अध्यक्ष के बीच हुआ वाकयुद्ध
नयी दिल्ली, दो दिसंबर उच्चतम न्यायालय में बृहस्पतिवार को वायु प्रदूषण के विषय पर सुनवाई के दौरान सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता और उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष विकास सिंह के बीच वाकयुद्ध देखने को मिला।
केंद्र की ओर से पेश हुए मेहता ने जब दलील दी कि ‘मेरा एकमात्र एजेंडा प्रदूषण घटाना है और निजी व्यक्तियों को पेश नहीं करना है’, तब उनके बीच तीखी बहस हो गई।
सॉलीसीटर जनरल की दलील में दो याचिकाकर्ताओं पर कथित तौर पर निशाना साधा गया था, जिसका विरोध करते हुए सिंह ने कहा कि (याचिकाकर्ताओं की ओर से) प्रदूषण घटाने के सिवा कोई अन्य एजेंडा नहीं है। ’’
पर्यावरण कार्यकर्ता एवं याचिकाकर्ता आदित्य दुबे और अमन बंका की ओर से पेश हुए सिंह ने कहा, ‘‘एजेंडा होने के आरोप पर मैं कड़ी आपत्ति जताता हूं। एजेंडा सिर्फ प्रदूषण है। वह कह रहे हैं कि एक एजेंडा है। यह क्या बकवास (नॉनसेंस) है? क्या ऐसा कहना सॉलीसीटर जनरल के लिए उपयुक्त है? पिछली बार उन्होंने कहा था कि मेरी याचिका सेंट्रल विस्टा के खिलाफ है। हर बार वह इस तरह की टिप्पणी करते हैं। ’’
इस पर सॉलीसीटर जनरल ने कहा, ‘‘श्रीमान विकास सिंह को अवश्य याद रखना चाहिए कि वह सड़क पर नहीं खड़े हैं। जब बीसीसीआई मामले में इसी तरह के शब्द ‘नॉनसेंस’ का इस्तेमाल किया गया था तब न्यायाधीश ने आपत्ति जताई थी। नॉनसेंस शब्द का अदालत में इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है। ’’
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने तब हस्तक्षेप किया और कहा कि दोनों वकील इस तरह से जुबानी जंग ना करें।
पीठ में न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल हैं।
सुनवाई के दौरान मेहता ने कहा कि वायु प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए सख्त कार्रवाई की जा रही है, जिनमें उल्लंघनकर्ताओं पर जुर्माना लगाना भी शामिल है।
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