नयी दिल्ली, नौ जुलाई दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में दायर अपनी उस याचिका को वापस ले लिया जिसमें उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में कोयला चलित ताप बिजली संयंत्रों का संचालन तब तक बंद करने का अनुरोध किया गया था जब तक वे हानिकारक उत्सर्जन कम करने के लिये फ्लू गैस डीसल्फराइजेशन (एफजीडी) प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल शुरू नहीं कर देते।
दिल्ली सरकार की दलील थी कि ये बिजली संयंत्र कथित तौर पर राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण में योगदान देते हैं।
न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, “हम इसे बेहद चौंकाने वाला पाते हैं कि भारत संघ के खिलाफ राज्य जनहित याचिका (पीआईएल) लेकर आया है।”
दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्वेज ने कहा कि सल्फर डाईऑक्साइड और नाइट्रोजन डाईऑक्साइड “मारक गैस” हैं तथा यह उन नागरिकों के स्वास्थ्य से जुड़ा मामला है जो वायु प्रदूषण से प्रभावित हुए हैं।
पीठ ने कहा, “आपका कहना है कि उन्होंने (केंद्र ने) इस अदालत के समक्ष कुछ बयान दिया और अब वे उससे हट रहे हैं। अगर केंद्र ने इस अदालत के समक्ष जो कहा उससे कुछ विरोधाभासी किया है तो आप उस मामले में अदालत के समक्ष जाकर उसके सूचित कर सकते हैं।”
शीर्ष अदालत ने कहा, “हमारे पास पूछने के लिये कई सवाल हैं। आपने एक रिट याचिका दायर की। हम यह सोच रहे हैं कि इस रिट याचिका को स्वीकार करें या नहीं।”
गोसाल्वेज ने दलील दी थी कि पीठ याचिका पर नोटिस जारी कर सकती है और लंबित मामले के साथ इसे संलग्न कर सकती है, हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि वह याचिका वापस ले लेंगे और प्रदूषण मामले में दखल देंगे।
सुनवाई के दौरान गोंसाल्वेज ने पीठ को बताया कि उत्सर्जन मानकों के अनुपालन की समय सीमा नजदीक की होनी चाहिए क्योंकि प्रदूषण की समस्या खराब होती जा रही है।
अधिवक्ता सत्य मित्र के जरिये दायर याचिका में दावा किया गया था कि ये 10 बिजली संयंत्र दिल्ली के वायु प्रदूषण में पांच प्रतिशत का योगदान करते हैं और उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा कई बार दखल देने के बावजूद इन पर नियंत्रण की दिशा में बमुश्किल कोई प्रगति हुई है।
याचिका में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा नौ ताप बिजली संयंत्रों को जारी 16 अक्टूबर 2020 का आदेश रद्द करने की मांग की गई थी जिसमें उन्हें एफजीडी स्थापित करने के लिये दी गई समय सीमा को बढ़ाया गया था।
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