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एयर इंडिया के निजीकरण को लेकर चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने लिखा खुला पत्र, कहा- 'प्रतिबंध हमें आर्थिक रूप से विकलांग बनाते हैं'

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 8, 2019 12:06 IST

एयर इंडिया पर फिलहाल लगभग 58,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। इसके अलावा सरकारी विमानन कंपनी का परिचालन घाटे में बना हुआ है।

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ठळक मुद्देये पत्र ऐसे वक्त आया है कि जब एयर इंडिया के कर्मचारी संघों ने राष्ट्रीय एयरलाइन के निजीकरण का विरोध करने का फैसला किया है। नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि एयर इंडिया के निजीकरण की प्रक्रिया पूरी गति से बढ़ रही है और आने वाले महीनों में इसके पूरा हो जाने का अनुमान है।

एयर इंडिया के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार को एक खुला पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने एयर इंडिया के निजीकरण की प्रक्रियाओं और आर्थिक घाटों के बारे में लिखा है। अश्विनी लोहानी ने पत्र में लिखा है कि एक एयरलाइन कंपनी होने के नाते वह एक प्रतिस्पर्धी भरे माहौल में काम करते हैं। जिसमें प्रतियोगियों को आर्थिक और परिचालन रूप से रखी गई प्रक्रियाओं और प्रतिबंधों द्वारा विवश नहीं किया जाता है। पत्र में अश्विनी लोहानी ने लिखा है कि कंपनी पर लगे प्रतिबंध उन्हें आर्थिक रूप से विकलांग बना रहे हैं।

इसके अलावा पत्र में एयर इंडिया के सीएमडी ने यह भी लिखा कि एयरलाइन हमेशा अपने उत्कृष्ट मानव संसाधन के लिए जानी जाती है जिसने अक्सर दूसरों के अनुकरण के लिए उदाहरण स्थापित किए हैं और वह आगे भी ऐसा करता रहेगा।  ये पत्र 7 नवंबर 2019 को जारी किया गया है। 

ये पत्र ऐसे वक्त आया है कि जब एयर इंडिया के कर्मचारी संघों ने राष्ट्रीय एयरलाइन के निजीकरण का विरोध करने का फैसला किया है। कर्मचारियों के बकाया वेतन और पेंशन के भुगतान सहित विभिन्न मुद्दों पर अभी भी स्पष्टता नहीं है। कर्मचारी यूनियनों के प्रतिनिधियों की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब सरकार घाटे में चल रही एयर इंडिया के प्रस्तावित विनिवेश के लिए अंतिम रूपरेखा पर काम कर रही है।

 मुंबई में विभिन्न यूनियनों के प्रतिनिधियों की बैठक में यह भी तय किया गया कि निजीकरण के खिलाफ सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन (आईटीएफ) को पत्र लिखा जाएगा। इनमें पायलटों, चालक दल के सदस्यों, इंजीनियरों और ग्राउंड स्टाफ समेत अन्य का प्रतिनिधित्व करने वाली यूनियनें शामिल थी। यूनियन के प्रतिनिधि के अनुसार, यूनियनों ने निजीकरण का विरोध करने का फैसला किया है और इसके लिए सभी कानूनी विकल्प तलाशें जाएंगे। 

बता दें कि नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि एयर इंडिया के निजीकरण की प्रक्रिया पूरी गति से बढ़ रही है और आने वाले महीनों में इसके पूरा हो जाने का अनुमान है।

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