एम्स स्टडी: मधुमेह औरअवसाद का टेलीफोन काउंसलिंग से हो रहा इलाज
By एसके गुप्ता | Published: August 19, 2020 07:31 PM2020-08-19T19:31:35+5:302020-08-19T19:31:35+5:30
एम्स एंड्रोक्रोनोलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रो. निखिल टंडन के नेतृत्व में हुआ यह शोध अंतरराष्ट्रीय जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में भी प्रकाशित हुआ है।
नई दिल्लीः मधुमेह और हृदय रोगियों में अवसाद को नियंत्रित करने में टेलीफोन काउंसलिंग की नई तकनीक कारगर साबित है। इसमें नर्स या अन्य पैरामेडिकल स्टाफ बिना चिकित्सक के तकनीकी मॉडल के आधार पर कुछ सवाल पूछकर मरीजों को न केवल अवसाद मुक्त कर रहे हैं बल्कि उन्हें रोग नियंत्रण में महत्वपूर्ण सहायता दे रहे हैं।
दिल्ली एम्स ने एमोरी यूनिवर्सिटी अटलांटा, और वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर एक अध्ययन किया है। इसमें दिल्ली, बैंगलोर, चेन्नई और विशाखापत्तनम के 400 मरीजों को शामिल किया गया है। एम्स एंड्रोक्रोनोलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रो. निखिल टंडन के नेतृत्व में हुआ यह शोध अंतरराष्ट्रीय जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में भी प्रकाशित हुआ है।
प्रमुख शोधकर्ता और एम्स एंड्रोक्रोनोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर निखिल टण्डन ने लोकमत से कहा कि अनियंत्रित मधुमेह से पीड़ित अधिकतर मरीज जीवनशैली में बदलाव और इस बीमारी के चलते अवसाद ग्रस्त हो जाते हैं।
ऐसे रोगियों पर अध्ययन से यह पुष्टि हुई कि टेलीफोन काउंसिलंग के जरिए इनके शुगर (एच बीए1एसी) और ब्लडप्रेशर के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है। शोध में शामिल रोगियों को 200-200 के दो समूहों में बांटा गया। एक समूह मनोचिकित्सक की मदद से फोन पर कॉउंसलिंग दी गयी और दूसरे समूह के रोगियों को सिर्फ मधुमेह ट्रीटमेंट दिया गया उन्हें काउंसलिंग नहीं दी गई।
इस तकनीक में नर्स या अन्य पैरामेडिकल स्टाफ ने रोगी को फोन पर संपर्क कर समय पर दवा लेने, क्या खाना है क्या नहीं खाना और व्यायाम के लिए हिदायतें दी। जिससे रोगी की दिनचर्या सुधरी और उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ। पैरामेडिकल स्टाफ को कुछ सवाल लिखकर दिए गए थे। इन सवालों के जवाब रोगियों से फोन कर पूछे जाते थे।
जिससे उनकी दिनचर्या में सुधार हुआ और वह दवा न लेने और गलत दिनचर्या से बचे। इसके बाद मनोचिकित्सक की मदद से इसके नतीजे देखे गए जो बिल्कुल सही निकले। प्रो. निखिल टण्डन ने कहा कि कॉउंसलिंग लेने वाले समूह के 70 फीसदी मरीजों में शुगर का स्तर और ब्लड प्रेशर कम पाया गया।
जबकि कॉउंसलिंग नहीं पाने वाले बेहद कम मरीजों में ही शुगर (एचबीए1सी) और रक्तचाप में कमी दर्ज की गई। इस शोध का फायदा यह है कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की टेलीकाउंसलिंग के जरिए कम चिकित्सक अधिक रोगियों को उपचार दे सकेंगे।