Ahmed Patel:कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य सभा अहमद पटेल का बुधवार तड़के निधन हो गया। उनके बेटे फैसल ने ट्वीट कर बताया कि कांग्रेस नेता ने बुधवार तड़के 3.30 बजे अंतिम सांस ली। वे कोरोना पॉजिटिव थे और कई दिनों से अस्पताल में भर्ती थे। अहमद पटेल के निधन पर राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, कांग्रेस के कई बड़े नेताओं सहित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शोक जताया है। प्रधानमंत्री मोदी ने तो ट्वीट कर लिखा कि कांग्रेस को मजबूत बनाने में अहमद पटेल की भूमिका को हमेशा याद किया जाएगा।
अहमद पटेल का जन्म गुजरात के भरूच जिले के पिरामण गांव में 21 अगस्त 1949 को हुआ था। उनके पिता सामाजिक कार्यों से जुड़े थे। अहमद पटेल छात्र जीवन में ही कांग्रेस पार्टी के छात्र विंग 'यूथ कांग्रेस' से जुड़ गए थे। कांग्रेस से जुड़ा उनका ये नाता ताउम्र रहा। इसके बाद वे आगे चलकर राजनीति के करियर में तीन बार लोक सभा सांसद और पांच बार राज्य सभा सांसद रहे।
अहमद पटेल 28 साल की उम्र में बने थे सासंद
अहमद पटेल ने पहला लोकसभा चुनाव 1977 में भरूच सीट से लड़ा था। वो चुनाव इमरजेंसी के खत्म होने के बाद कराये जा रहे थे और लोगों में कांग्रेस को लेकर बहुत नाराजगी थे। हालांकि, अहमद पटेल ने 62 हजार 879 वोटों से जीत हासिल की। इस समय उनकी उम्र केवल 28 साल थी।
इसके बाद अहमद पटेल ने 1980 और 1984 में भी भरूच सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। हालांकि, 1989 में उन्हें हार मिली और फिर वे बाद में राज्य सभा के लिए चुन लिए गए। इस बीच 1986 में वे गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने।
गांधी परिवार के करीबी, सोनिया गांधी के रहे 'सलाहकार'
अहमद पटेल को गांधी परिवार का बेहद करीबी माना जाता था। वे न केवल कांग्रेस और उसके साथ गठबंधन वाली पार्टियों के बीच संवाद में अहम भूमिका निभाते थे बल्कि ये भी कहा गया कि वे पार्टी और 2004 से 2014 तक मनमोहन सिंह सरकार के बीच बड़ी भूमिका निभाते नजर आए। साल 2001 से वे सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार थे।
कॉरपोरेट से लेकर नेताओं तक उनकी अच्छी पहुंच थी। हालांकि, बीच में कुछ ऐसी भी खबरें आईं कि राहुल गांधी से उनके संबंध बहुत अच्छे नहीं रहे। इसके बावजूद 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अगस्त 2018 में राहुल ने उन्हें पार्टी के कोषाध्यक्ष के तौर पर बड़ी भूमिका दी।
मनमोहन सिंह सरकार के समय भले ही 2G स्पेक्ट्रम ऑक्शन स्कैम का मामला हो या फिर जुलाई-2008 में भारत-अमेरिका न्यूक्लियर डील के दौरान लेफ्ट पार्टियों का यूपीए को छोड़ने का प्रकरण, अहमद पटेल ने पर्दे के पीछे से सरकार को बचाने में बड़ी भूमिका निभाई थी।