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कृषि कानून: अब किसानों के खिलाफ मामले भी वापस लिए जाने चाहिए : हुड्डा

By भाषा | Updated: November 29, 2021 17:52 IST

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चंडीगढ़, 29 नवंबर केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को संसद द्वारा निरस्त किये जाने के शीघ्र बाद हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इन कानूनों के खिलाफ करीब साल भर चले आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज सभी मामले वापस लिये जाने की सोमवार को मांग की।

कृषि कानून विरोधी आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ 48,000 से अधिक मामले दर्ज किये जाने का दावा करते हुए हरियाणा भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने भी किसानों पर दर्ज मामले वापस लेने की मांग की।

संसद ने तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए सोमवार को कृषि कानून निरसन विधेयक,2021 पारित किया।

हुड्डा ने संवाददाताओं से अनौपचारिक बातचीत के दौरान तीनों कानूनों के निरस्त होने पर कहा, ‘‘देर आए, दुरूस्त आए। ’’

हुड्डा ने कहा, ‘‘हम शुरू से कहते आ रहे थे कि ये कानून किसानों के हित में नहीं है। अब चूंकि इन कानूनों को निरस्त कर दिया गया है इसलिए किसानों के खिलाफ मामले भी वापस लिये जाने चाहिए। ’’

हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता हुड्डा ने कहा कि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए एक कानून बनाने सहित किसानों की अन्य मांगें भी पूरी की जाएं।

उन्होंने कहा कि एमएसपी को कानूनी गारंटी देने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों का सरकार द्वारा हरसंभव तरीके से सहयोग करने की जरूरत है।

उन्होंने इन कानूनों के खिलाफ साल भर लंबे आंदोलन के दौरान 700 से अधिक किसानों की मौत होने का भी उल्लेख किया। कांग्रेस नेता ने मांग की कि इन मृतकों में हरियाणा से ताल्लुक रखने वालों को राज्य सरकार द्वारा शहीद का दर्जा और उनके निकट परिजन को नौकरी दी जाए।

वहीं, चढूनी ने कहा, ‘‘700 से अधिक किसानों की जान चली गई। उनके निकट परिजन को मुआवजा दिया जाना चाहिए। ’’

कृषि कानूनों को निरस्त किये जाने के बाद उनकी भविष्य की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर चढूनी ने कहा, ‘‘हम कहना चाहते हैं कि यदि सरकार स्पष्ट इरादे के साथ हमारे मुद्दों का समाधान करना चाहती है तो उसे एमएसपी की कानूनी गारंटी देने सहित अन्य मांगों पर फैसला करना चाहिए ताकि किसान अपने घर लौट सकें। ’’

इस बीच, हुड्डा ने हरियाणा में डेंटल सर्जन भर्ती में हुए कथित घोटाले की पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश से जांच कराने की भी मांग की।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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