कृषि कानूनों से देश की रीढ़ को तोड़ा जा रहा है : राहुल गांधी

By भाषा | Updated: February 13, 2021 18:06 IST2021-02-13T18:06:36+5:302021-02-13T18:06:36+5:30

Agricultural laws are breaking the backbone of the country: Rahul Gandhi | कृषि कानूनों से देश की रीढ़ को तोड़ा जा रहा है : राहुल गांधी

कृषि कानूनों से देश की रीढ़ को तोड़ा जा रहा है : राहुल गांधी

जयपुर, 13 फरवरी कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर एक बार फिर केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए शनिवार को कहा कि इन कानूनों के जरिए देश की रीढ़ को तोड़ा जा रहा है।

इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि इन कानूनों के जरिए देश के दो-तीन उद्योगपतियों के लिए रास्ता साफ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे लोगों को 'आंदोलनजीवी' कहकर उनका अपमान किया है।

राजस्थान के दो दिन के दौरे पर आए गांधी शनिवार को मकराना नागौर में किसान महापंचायत को संबोधित कर रहे थे।

कृषि को देश और दुनिया का सबसे बड़ा व्यापार बताते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री इसे देश की 40 प्रतिशत जनता से छीनकर दो-तीन उद्योगपतियों को देना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कृषि दुनिया का सबसे बड़ा व्यापार है और यह 40 लाख करोड़ रुपये का व्यवसाय है। नरेन्द्र मोदी यह कानून इसलिए लाए हैं ताकि वह इस व्यापार को हिंदुस्तान की 40 प्रतिशत आबादी से छीन कर हिंदुस्तान के दो-तीन सबसे बड़े उद्योगपतियों के हाथ में दे सके। यही इन तीन कानूनों का लक्ष्य है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ये कृषि क्षेत्र हिंदुस्तान की जनता को रोजगार देता है। इसके बिना हिंदुस्तान रोजगार पैदा नहीं कर पाएगा। जो आपका है, उसे प्रधानमंत्री मोदी दो लोगों को दे रहे हैं। युवाओं का भविष्य उनसे छीना जा रहा है। हिंदुस्तान की रीढ़ की हड्डी को आपकी आंखों के सामने तोड़ा जा रहा है।’’

गांधी ने कहा, ‘‘यह नयी बात नहीं है। इसकी शुरुआत मोदी ने नोटबंदी से की। आपकी जेब से पैसा निकालकर उन्हीं दो-तीन उद्योगपतियों को दिया। इसके बाद जीएसटी, गब्बर सिंह टैक्स ... रास्ता साफ किया जा रहा है। किसानों को, मजदूरों को, व्यापारियों को, छोटे कारोबारियों को परे किया जा रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कहा कि कोरोना से किसानों, मजदूरों और गरीबों को भयानक चोट लगने वाली है। प्रेस वालों ने मेरा मजाक उड़ाया था। प्रेस वाले कहते हैं कि ये किसान नहीं है। ये देशद्राही हैं ....नरेन्द्र मोदी संसद में उनको आंदोलनजीवी कहते हैं, उनका अपमान करते हैं उनका मजाक उड़ाते हैं।’’

गांधी ने कहा, ‘‘उन्होंने आंदोलन के दौरान शहीद हुए 200 किसानों के लिए दो मिनट का मौन रखने को कहा तो भाजपा का एक भी सांसद, मंत्री खड़ा नहीं हुआ। दुनिया के सामने इन लोगों ने किसान का मजाक किया। मैं अध्यक्ष को लिखकर दूंगा कि राज्यसभा और लोकसभा दोनों के सदस्यों को शहीद किसानों के लिए मौन रखना चाहिए। मुझे पूरा भरोसा है कि अध्यक्ष लोकसभा के सदस्यों को दो मिनट का मौन रखने को कहेंगे।’’

उन्होंने कहा कि किसानों के लिए दो मिनट का मौन रखकर उन्होंने ‘‘कोई गलती नहीं की। अगर गलती की तो यह फिर से करूंगा और करता जाऊंगा।’’

राजस्थान के दो दिवसीय दौरे पर आए गांधी ने इससे पहले सुरसुरा में लोक देवता तेजाजी महाराज मंदिर में दर्शन किए और पूजा की। उन्होंने रूपनगढ़ में भी किसान संवाद किया जहां उन्होंने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हिंदुस्तान का सबसे बड़ा व्यापार कृषि का है। 40 लाख करोड़ रुपये का व्यापार है। दुनिया का सबसे बड़ा व्यापार है और यह किसी एक व्यक्ति का व्यापार नहीं है। कृषि का व्यापार हिंदुस्तान के 40 प्रतिशत लोगों का व्यापार है। इसमें किसान, छोटे व्यापारी, मजदूर सब भागीदार हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि यह पूरा का पूरा व्यापार उनके दो मित्रों के हवाले हो जाए। इन कृषि कानूनों का यही लक्ष्य है। मोदी जी चाहते हैं कि जो आपका है जो 40 प्रतिशत हिंदुस्तान का है वह सिर्फ दो लोगों के हाथ में चला जाये।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन किसान कह रहा है कि हम मर जाएंगे लेकिन हम ये नहीं होने देंगे कभी नहीं होने देंगे।’’

ट्रालियों को जोड़कर बनाए गए मंच से किसानों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यह मत सोचिए कि सिर्फ किसान बोल रहा है। किसान के पीछे मजदूर है, मजदूर के साथ छोटा व्यापारी खड़ा है। अगर ये कानून लागू हो गए तो इसका नुकसान सिर्फ किसानों को नहीं होगा। सबके सब बेरोजगार हो जाएंगे।’’

गांधी ने रूपनगढ़ में ट्रैक्टर भी चलाया। उनके साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी बैठे। गांधी ने वहां मौजूद लोगों का अभिभावदन करते हुए काफी देर तक ट्रैक्टर चलाया।

कांग्रेस के इस कार्यक्रम में किसान अपने-अपने ट्रैक्टर लेकर पहुंचे थे। वहां मंच भी बड़ी-बड़ी ट्रालियों को जोड़कर बनाया गया था। मंच पर बैठने के लिए कुछ नहीं था लेकिन गांधी के संबोधन के बाद वहां कुछ चारपाइयां रखी गयीं। मंच के पास पानी के मटके रखे गए थे।

यहां से मकराना जाते हुए परबत सर के पास गांधी का स्वागत किया गया। वहां गांधी ने विशेष रूप से सजाई गई ऊंट गाड़ी पर चढ़कर लोगों का अभिवादन किया। इस अवसर गांधी का स्वागत गेहूं की बालियों का बना गुच्छ देकर किया गया।

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