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आंदोलनकारी किसानों ने भूख हड़ताल शुरू की, कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे तेज

By भाषा | Updated: December 14, 2020 14:12 IST

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नयी दिल्ली, 14 दिसंबर किसान नेताओं ने केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ सोमवार को एक दिवसीय भूख हड़ताल शुरू की जबकि किसान आंदोलन देश के अन्य हिस्सों में फैल गया और अब विभिन्न किसान संगठन सभी जिला मुख्यालयों में भी विरोध प्रदर्शन का आयोजन कर रहे हैं।

किसान नेता बलदेव सिंह ने कहा, ‘‘किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने सिंघू बॉर्डर पर भूख हड़ताल शुरू कर दी है।’’

भूख हड़ताल सुबह आठ बजे शुरू हुई और शाम पांच बजे तक चलेगी।

सरकार के साथ वार्ता बेतनतीजा रहने के बाद किसानों ने आंदोलन को तेज कर दिया है। दिल्ली की सीमा पर जारी आंदोलन से और भी किसानों के जुड़ने की संभावना है।

किसान नेताओं ने दावा किया कि देश के सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन के आह्वान के तहत अनेक जिलों में भी विरोध प्रदर्शन चल रहा है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी सोमवार को लोगों से अपील की कि वे जहां पर हैं वहीं पर किसानों के समर्थन में उपवास रखें और भरोसा जताया कि अंत में किसानों की जीत होगी।

केजरीवाल भी सोमवार को प्रदर्शनकारी किसानों के समर्थन में एक दिवसीय उपवास रख रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने आम आदमी पार्टी (आप) के स्वयंसेवकों, समर्थकों और देश के लोगों से किसानों के आंदोलन में शामिल होने की अपील की।

केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘‘ उपवास पवित्र होता है। आप जहां हैं, वहीं हमारे किसान भाइयों के लिए उपवास कीजिए। प्रभु से उनके संघर्ष की सफलता की प्रार्थना कीजिए। अंत में किसानों की अवश्य जीत होगी।’’

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी कहा कि वह भी पार्टी कार्यालय में पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ एक दिन का अनशन करेंगे।

सिसोदिया ने ट्वीट किया, ‘‘देश का अन्नदाता किसान अपनी रोज़ी रोटी बचाने की ख़ातिर, केन्द्र सरकार के तीन क़ानूनों को वापस लिए जाने की मांग करते हुए आज अनशन पर है। किसानों की मांग के समर्थन में आज आम आदमी पार्टी कार्यालय में सभी साथियों के साथ मैं भी उपवास पर हूं।’’

सिसोदिया के अलावा गोपाल राय, सत्येंद्र जैन, आतिशी और राघव चड्डा सहित आप के कई मंत्री और विधायक पार्टी कार्यालय में किसानों के समर्थन में अनशन कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि बड़ी संख्या में जमा हुए किसानों ने रविवार प्रमुख दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग को उस समय बाधित कर दिया ,जब पुलिस ने उन्हें हरियाणा-राजस्थान सीमा पर उन्हें दिल्ली जाने से रोक दिया।

राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन के आलावा सोमवार को देश के सभी जिला मुख्यालय पर भी किसान धरना देंगें।

राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने शहर की सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ा दी है।

सीमा पर बहु स्तरीय कंक्रीट के बने अवरोधक लगाए गए हैं। इनके अलावा अतरिक्त पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई है और प्रदर्शन स्थल सिंघू बॉर्डर पर सुरक्षा के पहले स्तर की सुरक्षा के लिए कंटीले तार लगाए गए हैं। दूसरे सुरक्षा घेरे के तहत दिल्ली पुलिस ने अवरोधक लगाए हैं जहां रैपिड एक्शन फोर्स (आरएफ) के जवानों के साथ अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है। इसके बाद टोल नाका के पास मुख्य अवरोध लगाए गए हैं जहां पर पुलिस जवानों की भारी तैनाती देखी जा रही है।

दिल्ली यातायात पुलिस ने किसानों के प्रदर्शन के चलते यात्रियों को वैकल्पिक मार्ग चुनने का परामर्श जारी किया है।

यातायात पुलिस ने बताया,, ‘‘ सिंघू, औचंदी, पियाउ मनियारी, सभोली और मंगेश सीमा बंद हैं इसलिए यात्री वैकल्पिक लामपुर, सफियाबाद और सिंघू स्कूल टोल नाका बार्डर के रास्ते आवागमन करें। मुकर्बा और जीटी करनाल रोड पर यातायात का मार्ग बदला गया है। यात्री बाहरी रिंग रोड और एनएच-44 से बचे।’’

दिल्ली यातायात पुलिस ने कई ट्वीट कर बताया, ‘‘गाजियाबाद से दिल्ली आने वालों के लिए गाजीपुर बॉर्डर किसानों के प्रदर्शन की वजह से बंद रहेगा, इसलिए लोगों को सलाह दी जाती है कि वे दिल्ली आने के लिए आनंद विहार, डीएनडी, चिल्ला, अप्सरा और भोपरा बॉर्डर के वैकल्पिक रास्ते को चुने।’’

उल्लेखनीय है कि हजारों किसान जिनमें से अधिकतर पंजाब और हरियाणा के हैं दिल्ली की हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लगती सीमा पर जमे हैं और केंद्र द्वारा बनाए तीन कृषि कानूनों -कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून- 2020, कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत अश्वासन और कृषि सेवा करार कानून- 2020, आवश्यक वस्तु संशोधन कानून- 2020 -का विरोध कर रहे हैं।

आंदोलनकारी किसानों को आशंका है कि इन कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को खत्म करने का रास्ता साफ होगा और बड़े उद्योगों की ‘दया’ पर वे निर्भर हो जाएंगे।

सरकार का कहना है कि नए कानूनों से किसानों को बेहतर अवसर मिलेंगे और कृषि क्षेत्र में नयी प्रौद्योगिकी आएगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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