पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने देश की देश को हर से खुली छूट दे दी है। इमरान ने कहा है कि अगर भारत की ओर सेना किसी भी प्रकार की कार्यवाही करती है तो वह भी जवाब दे इसकी उनको पूरी छूट है। साथ ही पाक ने यह संदेश भी जारी किया है कि पुलवामा में भारतीय सुरक्षा बलों पर हुए हमले की साजिश जम्मू-कश्मीर में ही बनी थी।
दरअसल पीएम मोदी ने हाल ही में साफ किया है कि भारतीय सेना को खुली छूट दे दी गई है। ऐसे में पाक सख्त में है और वह इस तरह के कदम उठा रहा है। पाक की ओर से यह संदेश आने से पहले पाकिस्तानी सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात की थी।
एआरवाई न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस बैठक में भारत से सटे इलाकों पर चर्चा हुई है। एआरवाई को सूत्रों ने बताया कि इमरान खान और जनरल बाजवा की मुलाकात में पुलवामा हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच पनपे हालातों पर भी चर्चा हुई।
इससे पहले पाक पीएम ने कहा था
। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा पुलवामा आतंकी हमले में जैश-ए-मोहम्मद की संलिप्तता के संबंध में सबूत मांगे गए थे। जिसको भारत ने सिरे से खारिज कर दिया है। भारत ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान के साथ भारत कोई सबूत साझा नहीं करेगा। भारत सारे सबूत पड़ोसी देशों को दिखाकर हमले में पाकिस्तान देश की भूमिका की पोल खोलेगा। इस बात की जानकारी नरेन्द्र मोदी सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी है। पुलवामा आत्मघाती हमले में 14 फरवरी को सीआरपीएफ के 40 से ज्यादा जवान शहीद हो गए हैं।
इस वजह से भारत नहीं करेगा पाकिस्तान के साथ सबूत साझा
पिछले अतीत के अनुभवों को देखते हुए भारत पुलवामा हमले के संबंध में पाकिस्तान के साथ कोई सबूत साझा नहीं करना चाहता है। इससे पहले 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले और पठानकोट एयरबेस हमले के संबंध में भारत ने पाकिस्तान के साथ डोजियर पर डोजियर साझा किए हैं लेकिन पड़ोसी देश ने किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की है। इसी से सबक लेते हुए भारत ने सबूत नहीं देने से इनकार किया है।
भारत सरकार के अधिकारी ने कहा, पाकिस्तान को कोई भी सबूत देने का सावाल ही नहीं उठता। इसकी जगह हम उन्हें मित्र देशों के साथ साझा करेंगे ताकि पुलवामा और भारत में हुए अन्य आतंकवादी हमलों में उसकी भूमिका की पोल खोली जा सके।
2008 मुंबई हमले के संबंध में पाकिस्तान को तमाम सबूत मुहैया कराए गए लेकिन, लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद, समूह के शीर्ष नेता जकी-उर-रहमान लखवी और आईएसआई के कुछ अधिकारियों के खिलाफ 11 साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पठानकोट एयरबेस हमले के सिलसिले में पाकिस्तानी जांचकर्ताओं की पांच सदस्यीय टीम को मौके पर जाने और साक्ष्य जुटाने की अनुमति दी गई।
लेकिन, इस संवेदनशील एयरबेस का दौरा करने के बाद जब टीम पाकिस्तान लौटी तो उन्होंने दावा किया कि भारत उन्हें ऐसा कोई भी साक्ष्य मुहैया कराने में असफल रहा है, जिससे साबित हो कि पाकिस्तानी आतंकवादियों ने भारतीय वायुसेना बेस पर हमला किया था।
पाकिस्तान ने नहीं दिखाया कभी सकारात्मक रवैया
अधिकारी ने कहा, ''जब हमें पाकिस्तान से ऐसी प्रतिक्रिया मिल रही है तो, उनके साथ सबूत साझा करने का कोई मतलब नहीं है। अब हमारा पहला काम आतंक को मदद और उसे बढ़ावा देने में पाकिस्तान की भूमिका को लेकर दुनिया के सामने उसे बेनकाब करना है।