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सशस्त्र सीमा बल में शामिल होने के बाद वर्दी में गांव पहुंचने पर युवती का हुआ जोरदार स्वागत

By भाषा | Updated: December 22, 2021 16:37 IST

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राजगढ़, 22 दिसंबर मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में एक खेतिहर मजदूर की 27 वर्षीय बेटी शस्त्र सीमा बल (एसएसबी) में नियुक्ति के बाद जब दफा वर्दी में पहली अपने पैतृक गांव पहुंची तब ग्रामीणों ने ढ़ोल की थाप पर उसका जोरदार स्वागत किया।

संध्या भिलाला के लिए यह गर्व और खुशी का क्षण था। वह गांव में अपने पिता को खेती के काम में हाथ बंटाती थी और अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाती थी।

लोग सशस्त्र बल में शामिल होने के उसके दृढ़ संकल्प की सराहना कर रहे हैं और कह रहे हैं कि उसने मध्य प्रदेश के अपने छोटे से गांव और परिवार को भी सम्मान दिलाया है।

संध्या का कहना है कि लड़कियों को कभी हार नहीं माननी चाहिए और अपने लिए निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने के लिए संघर्ष जारी रखना चाहिए।

वह इस साल अप्रैल में चयन के बाद एसएसबी प्रशिक्षण के लिए अलवर (राजस्थान) गयी थी और लंबे अंतराल के बाद शनिवार को मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में स्थित अपने पैतृक गांव पिपलिया रसोदा लौटी है।

वर्दी पहने अपने घर लौटने पर गांव वालों ने ढोल की थाप पर और फूल-मालाओं से उसका स्वागत किया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि ग्रामीण ने उसे घोड़े पर बैठा कर गांव में जुलूस निकाला। उसके इस गर्मजोशी भरे स्वागत कार्यक्रम का वीडियो सोशल मीडिया में व्यापक रुप से प्रसारित हुआ है। इसमें उसे ग्रामीणों के साथ डांस करते हुए भी देखा जा सकता है।

अपने स्वागत से अभिभूत संध्या ने कहा कि यह क्षण उनके लिए एक भावनात्मक पल था जब उसके गांव वालों ने उसका स्वागत किया।

उसके छोटे भाई उमेश भिलाला ने कहा कि एसएसबी के लिए चुने जाने से पहले संध्या खेती के काम में पिता देवचंद भिलाला की सहायता करती थी और इसके साथ ही वह हिंदी साहित्य में एमए की पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए ट्यूशन क्लास भी लेती थी।

संध्या ने कहा कि माता-पिता के समर्थन के बिना उसके लिए यह लक्ष्य हासिल करना संभव नहीं था। महिलाओं को सशस्त्र बलों में शामिल होने की अपील करते हुए संध्या ने कहा, ‘‘ लड़कियों को कभी हार नहीं माननी चाहिए और अपने द्वारा निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए संघर्ष जारी रखना चाहिए।’’

संध्या के भाई ने कहा, ‘‘ मेरी बहन को शुरु से ही सशस्त्र बलों में शामिल होने का जुनून था। उसने बहुत मेहनत की और अपना लक्ष्य हासिल किया। अब लोग हमारा सम्मान करने लगे हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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