स्थायी कमीशन पर नौसेना के अधिकारियों की याचिकाओं पर निर्णय करे एएफटी : उच्चतम न्यायालय

By भाषा | Updated: August 24, 2021 19:23 IST2021-08-24T19:23:06+5:302021-08-24T19:23:06+5:30

AFT should decide the petitions of Navy officers on permanent commission: Supreme Court | स्थायी कमीशन पर नौसेना के अधिकारियों की याचिकाओं पर निर्णय करे एएफटी : उच्चतम न्यायालय

स्थायी कमीशन पर नौसेना के अधिकारियों की याचिकाओं पर निर्णय करे एएफटी : उच्चतम न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को सशस्त्र बल अधिकरण (एएफटी) की यहां स्थित प्रधान पीठ से कहा कि वह स्थायी कमीशन के लिए दावा खारिज करने के फैसले को चुनौती देने वाले नौसैन्य अधिकारियों की याचिकाओं पर निर्णय करे और पेंशन लाभ उपलब्ध कराए। न्ययालय ने कहा, ‘‘हमें एक राष्ट्रीय संस्थान के रूप में कानून के अनुक्रम का पालन करना होगा।’’ शीर्ष अदालत ने कहा कि महिला अधिकारियों को सेना और नौसेना में स्थायी कमीशन प्रदान करने के लिए उसके द्वारा तय किए गए कानून का सिद्धांत समान रूप से पुरुष अधिकारियों के मामले में भी लागू होगा और कोई भेदभाव नहीं होगा। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने विभिन्न याचिकओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि सशस्त्र बल अधिकरण (एएफटी) पुरुष और महिला अधिकारियों के आवेदनों पर 31 अक्टूबर तक निर्णय करेगा। पीठ ने याचिकार्ताओं से कहा, ‘‘यदि आप एएफटी के शिकायत समाधान से संतुष्ट न हों तो आप हमेशा उच्चतम न्यायालय आ सकते हैं। हम संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत व्यक्तिगत मामलों पर विचार नहीं कर सकते, खासकर तब जब उच्चतम न्यायालय ने कानून का सिद्धांत तय कर दिया है। हमें एक राष्ट्रीय संस्थान के रूप में कानून के अनुक्रम का पालन करना होगा।’’ शीर्ष अदालत ने कहा कि वह नौसेना के अधिकारियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ताओं के इन अभिवेदनों से सहमत है कि ये ‘‘महत्वपूर्ण मुद्दे’’ हैं लेकिन सवाल यह है कि क्या उच्चतम न्यायालय इन व्यक्तिगत मामलों पर अनुच्छेद 32 के तहत विचार करने के लिए अपने द्वार खोलेगा। पीठ ने कहा, ‘‘हम पूर्व के आदेशों में दिए गए आपके संरक्षण को जारी रखेंगे और एएफटी से आग्रह करते हैं कि इन आवेदनों पर तेजी से निर्णय करे। उच्चतम न्यायालय को अपने निर्णयों के परिणामों पर विचार करना चाहिए। हमें अपने निष्कर्षों पर अटल रहना चाहिए और कानून के अनुशासन का पालन करना चाहिए।’’ शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि एएफटी की विभिन्न शाखाओं में दायर स्थायी कमीशन से संबंधित आवेदनों को एएफटी की दिल्ली में स्थित प्रधान पीठ को स्थानांतरित किया जाना चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए कहा कि नौसेना के 18 अधिकारियों ने स्थायी कमीशन के लिए अपने दावे को खारिज किए जाने को चुनौती दी है और दूसरा उन्होंने पेंशन लाभ भी मांगे हैं। इसने कहा कि सेना और नौसेना में स्थायी कमीशन से संबंधित मामलों में इसके फैसले उच्च न्यायालय संबंधी अपील पर थे और वे अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिकाएं नहीं थीं। तीन अधिकारियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सी यू सिंह ने कहा कि शीर्ष अदालत के निर्णय के बाद उनके मुवक्किलों के साथ भेदभाव हुआ है जो उत्कृष्ट अधिकारी हैं और उन्हें स्थायी कमीशन देने पर विचार नहीं किया गया।इसी तरह कुछ अन्य अधिकारियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने कहा कि पेंशन लाभ देने में भेदभाव हो रहा है क्योंकि शीर्ष अदालत ने अपने निर्णय में नौसेना की महिला अधिकारियों को इस तरह का लाभ प्रदान करने के लिए अनुच्छेद 142 लागू किया था। उन्होंने कहा कि नौसेना अब कह रही है कि पेंशन प्रदान करने का आदेश केवल महिलाओं के लिए था, न कि पुरुषों के लिए। शीर्ष अदालत ने अपने ऐतिहासिक निर्णय में व्यवस्था दी थी कि महिलाओं को भेदभाव के इतिहास से मुक्ति मिलनी चाहिए। इसने आईएनएस ज्योति युद्धपोत पर तैनात महिलाओं सहित महिला नौसेना अधिकारियों की उपलब्धियों का उल्लेख किया था। न्यायालय ने कहा था कि नौसेना की शिक्षा, कानून और साजो-सामान संबंधी कैडर में सेवारत सभी एसएससी अधिकारियों को स्थायी कमीशन प्रदान किए जाने पर विचार किया जाएगा।

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Web Title: AFT should decide the petitions of Navy officers on permanent commission: Supreme Court

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