‘करवा चौथ’ का विज्ञापन ‘जनता की असहिष्णुता की वजह से वापस लिया गया : न्यायमूर्ति चंद्रचूड़

By भाषा | Updated: November 1, 2021 20:11 IST2021-11-01T20:11:13+5:302021-11-01T20:11:13+5:30

Advertisement for 'Karva Chauth' withdrawn due to 'intolerance of public': Justice Chandrachud | ‘करवा चौथ’ का विज्ञापन ‘जनता की असहिष्णुता की वजह से वापस लिया गया : न्यायमूर्ति चंद्रचूड़

‘करवा चौथ’ का विज्ञापन ‘जनता की असहिष्णुता की वजह से वापस लिया गया : न्यायमूर्ति चंद्रचूड़

नयी दिल्ली, एक नवंबर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने ‘‘जनता की असहिष्णुता’ की वजह से समलैंगिक जोड़े को प्रदर्शित करने वाले ‘करवा चौथ’ का विज्ञापन वापस लेने पर नराजगी जताई और कहा कि पुरुषों और महिलाओं को मानसिकता बदलने की जरूरत है।

न्यायाधीश भारतीय कंपनी डाबर के ‘करवा चौथ’ पर जारी विज्ञापन का संदर्भ दे रहे थे। यह त्योहार उत्तर भारत में पत्नी अपने पति की सलामती और लंबी उम्र के लिए रखती हैं।

डाबर के विज्ञापन में दो महिलाओं को जोड़े के रूप में दिखाया गया था जो त्योहार मना रही हैं। इस विज्ञापन को लेकर सोशल मीडिया पर मध्यप्रदेश के एक नेता द्वारा व्यक्त की गई नाराजगी के बाद वापस ले लिया गया था।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘केवल दो दिन पहले, सभी को पता चला कि इस विज्ञापन को कंपनी को वापस लेना पड़ा। यह समलैंगिक जोड़े के लिए करवा चौथ का विज्ञापन था। इसे जनता की असहिष्णुता के आधार पर वापस लिया गया।’’

न्यायमूर्ति ने यह बात शनिवार को वाराणसी में राष्ट्रव्यापी विधि जागरूकता कार्यक्रम ‘विधि जागरूकता के जरिये महिलाओं का सशक्तिकरण’ कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर को डिजिटल तरीके से संबोधित करते हुए कही।

जागरूकता अभियान राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण के जरिये चलाय जा रहा है और इसका नेतृत्व सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश यूयू ललित कर रहे हैं। इस अभियान में राष्ट्रीय महिला आयोग और उत्तर प्रदेश राज्य विधि सेवा प्राधिकरण सहयोग कर रहा है।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि महिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरूकता का तभी अर्थ होगा जब यह युवा पीढ़ी के पुरुषों में पैदा की जाए।

उन्होंने कहा, ‘‘जागरूकता केवल महिलाओं का मुद्दा नहीं है। मेरा मानना है कि महिलाओं को अधिकारों से वंचित करने की समस्या का हमें समाधान तलाशना है तो उसके पैदा होने के केंद्र की मानसिकता को बदलना होगा, पुरुष और महिलाओं दोनों की। महिलाओं की वास्तविक स्वतंत्रता, वास्तव में विरोधाभासी है।’’

यह कार्यक्रम वाराणसी में आयोजित किया गया जिसमें उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल भी मौजूद रहे।

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