नई दिल्लीः लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को लोक लेखा संसदीय समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। लोकसभा और राज्य सभा के 19 अन्य सदस्यों को भी समिति के सदस्य के रूप में चुना गया है। बता दें, ये नियुक्तियां ऐसे समय में हुई हैं जब देश में कोरोना वायरस का प्रकोप फैला हुआ है। लगातार संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं। कोरोना से मरने वालों की संख्या मंगलवार को बढ़कर 1,568 हो गई और संक्रमित मामलों की तादाद 46,433 पहुंच गई है। संक्रमण से 12,726 मरीज ठीक हो गए हैं और एक रोगी देश से बाहर जा चुका है।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, अधीर रंजन चौधरी को लोक लेखा संसदीय समिति का अध्यक्ष नियुक्त गया है। इस समिति के सदस्यों में थालिक्कटई राजूथेवर बालू, सुभाष चंद्र बहेरिया, अधीर रंजन चौधरी, सुधीर गुप्ता, दर्शना विक्रम जरदोश, भर्तहरि महताब, अजय मिश्रा, जगदंबिका पाल, विष्णु दयाल राम, राहुल रमेश शेवले, राजीव रंजन सिंह, सत्य पाल सिंह, जयंत सिन्हा, बालशौरी बल्लभनेनी, रामकृपाल यादव, राजीव चंद्रशेखर, नरेश गुजराल, सी एम रमेश, सुखेंदु शेखर राय और भूपेंद्र यादव शामिल हैं।
लोक लेखा समिति
इस समिति का कार्य सरकारी खर्चों के खातों की जांच करना होता है। इसमें सदस्यों की अधिकत संख्या 22 होती है, जिसमें से 15 लोकसभा के होते हैं और 7 राज्य सभा के होते है। लोक लेखा समिति का कार्य एक साल के लिए होता है। ये सदस्य दोनों सदनों द्वारा निर्वाचित किए जाते हैं। यह समिति भारत के नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा दिये गये लेखा परीक्षण संबंधी रिपोर्टों की जांच करती है।
क्या होती हैं संसदीय समितियां
आधुनिक युग में संसद को न केवल विभिन्न और जटिल प्रकार का, बल्कि मात्रा में भी अत्यधिक कार्य करना पड़ता है। संसद के पास इस कार्य को निपटाने के लिए सीमित समय होता है। इसलिए संसद उन सभी विधायी तथा अन्य मामलों पर, जो उसके समक्ष आते हैं, गहराई के साथ विचार नहीं कर सकती। अत: संसद का बहुत सा काम सभा की समितियों द्वारा निपटाया जाता है, जिन्हें संसदीय समितियां कहते हैं। संसदीय समिति से तात्पर्य उस समिति से है, जो सभा द्वारा नियुक्त या निर्वाचित की जाती है अथवा अध्यक्ष द्वारा नाम-निर्देशित की जाती है। अध्यक्ष के निदेशानुसार कार्य करती है व अपना प्रतिवेदन सभा को या अध्यक्ष को प्रस्तुत करती है और समिति का सचिवालय लोकसभा सचिवालय द्वारा उपलब्घ कराया जाता है।