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एनआरसी की फाइनल लिस्ट जारी करने से पहले अतिरिक्त सुरक्षा इंतजाम, विपक्ष ने उठाए निष्पक्षता पर सवाल

By भाषा | Updated: August 30, 2019 08:50 IST

असम में एनआरसी के प्रकाशन के दौरान शांति-व्यवस्था कायम रखने के लिए सुरक्षा कड़ी कर दी गयी है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में धारा 144 लगायी गयी है। 

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ठळक मुद्देसभी बड़े राजनीतिक दलों ने शंका जाहिर की है कि कई वास्तविक भारतीय नागरिकों के नाम छूट सकते हैं एनआरसी को राज्य में मूल लोगों को अवैध बांग्लादेशियों से बचाने के लिए सुरक्षा कवच और असमी पहचान के सबूत के रूप में देखा जा रहा है। 

राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) का 31 अगस्त को प्रकाशन होने से पूर्व असम पुलिस ने बृहस्पतिवार को लोगों से समाज में भ्रम की स्थिति पैदा करने की कोशिश में जुटे कुछ तत्वों द्वारा फैलायी जा रही अफवाहों में नहीं आने अपील की । उसने कहा कि सरकार ने उन लोगों के लिए समुचित सुरक्षा मानकों की व्यस्था की है जिनका नाम अंतिम एनआरसी में नहीं आया हो। असम में एनआरसी के प्रकाशन के दौरान शांति-व्यवस्था कायम रखने के लिए सुरक्षा कड़ी कर दी गयी है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में धारा 144 लगायी गयी है। 

एएएसयू को छोड़ कर भाजपा, कांग्रेस और एआईयूडीएफ समेत सभी बड़े राजनीतिक दलों ने शंका जाहिर की है कि कई वास्तविक भारतीय नागरिकों के नाम छूट सकते हैं जबकि अवैध विदेशियों के नाम शामिल किए जा सकते हैं। एनआरसी को राज्य में मूल लोगों को अवैध बांग्लादेशियों से बचाने के लिए सुरक्षा कवच और असमी पहचान के सबूत के रूप में देखा जा रहा है। 

इसी तरह का शक मूल याचिकाकर्ता - असम पब्लिक वर्क्स (एपीडब्ल्यू)- ने भी जताया है जिसकी उच्चतम न्यायालय के समक्ष दायर याचिका पर शीर्ष अदालत ने अपनी निगरानी में एनआरसी को अद्यतन करने का निर्देश दिया। एनजीओ एपीडब्ल्यू के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा ने बृहस्पतिवार को पीटीआई-भाषा को बताया, “एनआरसी मामले के मूल याचिकाकर्ताओं के तौर पर हम इस प्रक्रिया से खुश नहीं हैं। हमने उच्चतम न्यायालय से 100 प्रतिशत पुन: सत्यापन का अनुरोध किया है लेकिन हमारी मांग नहीं मानी गई।”

सत्तारूढ़ भाजपा ने भी हाल में भी चिंता जाहिर की थी कि अवैध विदेशी नागरिकों के नाम एनआरसी में शामिल हो सकते हैं और राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला पर “महज दो या तीन संगठनों से विचार-विमर्श कर एकपक्षीय तरीके से काम करने” का आरोप भी लगाया। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रंजीत दास ने कहा, “ऐसी स्थिति में, त्रुटि मुक्त एनआरसी संदेहपूर्ण है। ऐसा लगता है कि हमें ऐसी एनआरसी मिलेगी जिसमें असल भारतीय नागरिकों की बजाए अवैध विदेशियों के नाम शामिल हो सकते हैं।’’ 

असम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा ने भी चिंता जताई है कि अंतिम एनआरसी “स्वतंत्र एवं निष्पक्ष नहीं होगी और मैं यह एनआरसी प्रकाशन के मसौदे के अपने पूर्व अनुभवों से कह रहा हूं जहां असल भारतीय नागरिकों के नाम छोड़ दिए गए थे।” राज्यसभा सदस्य ने पीटीआई-भाषा को बताया कि जिन्हें बाहर किया गया है उनमें सेना एवं बीएसएफ कर्मियों, स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार, साहित्य अकादमी विजेता, चाय की खेती करने वाले आदिवासी और कई अन्य शामिल हैं। उन्होंने कहा कि “हमें लगता है कि यह सरकार प्रेरित है और कुछ अधिकारियों पर किसी खास धर्म के लोगों के नाम हटाने का दबाव बनाया जा रहा है।”

किसी अप्रिय घटना को टालने के लिए पुलिस बल ने पांच सूत्री परामर्श भी जारी किया है जिसमें कहा गया है कि एनआरसी में नाम नहीं आने का मतलब यह नहीं है कि अमुक व्यक्ति को विदेशी घोषित कर दिया गया। अंतिम एनआरसी से बाहर रह गया हर व्यक्ति विदेशी न्यायाधिकरण में अपील कर सकता है। पुलिस ने कहा है, ‘‘ विदेशी न्यायाधिकरण में अपील करने की समय सीमा 60 से बढ़ाकर 120 कर दी गयी है।

सरकार जिला विधिक सेवा प्राधिकारियों के माध्यम से उन जरूरतमंदों को कानूनी सहायता प्रदान करेगी जो एनआरसी से बाहर रह गये हैं तथा सुविधाजनक स्थानों पर और विदेशी न्यायाधिकरण स्थापित किये जा रहे हैं।’’ इस बीच असम सरकार ने एनआरसी के प्रकाशन, उससे पहले और बाद के लिए सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किये हैं। मुख्यमंत्री ने 23 अगस्त को यहां सभी जिलों के उपायुक्तों एवं पुलिस अधीक्षकों के साथ एक बैठक में कानून व्यवस्था की समीक्षा की थी। 

टॅग्स :एनआरसीअसम
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