जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबेः मेरे प्रिय मित्र की खराब सेहत के बारे में जानकार दु:ख हुआ, पीएम मोदी का ट्वीट

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 28, 2020 20:42 IST2020-08-28T19:38:40+5:302020-08-28T20:42:11+5:30

मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘मेरे प्रिय मित्र शिंजो आबे, आपकी खराब सेहत के बारे में जानकर दु:ख हुआ। पिछले कुछ साल में आपके बुद्धिमता पूर्ण नेतृत्व और निजी प्रतिबद्धता की वजह से भारत-जापान साझेदारी पहले से कहीं अधिक गहरी और मजबूत हो गयी है। मैं आपके जल्द स्वस्थ होने की कामना और प्रार्थना करता हूं।’’

AbeShinzo pm modi Pained to hear about your ill health, my dear friend leadership and personal commitment I wish and pray for your speedy recovery | जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबेः मेरे प्रिय मित्र की खराब सेहत के बारे में जानकार दु:ख हुआ, पीएम मोदी का ट्वीट

अपने अनेक लक्ष्यों को पूरा किए बिना पद छोड़ना ‘‘दिल को दुखाने’’ वाला है। (file photo)

Highlightsजापान के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री बने रहने वाले आबे ने आज कहा था कि वह सेहत संबंधी एक गंभीर समस्या के दोबारा उभरने के बाद पद छोड़ना चाहते हैं।आबे ने बताया कि उन्हें किशोरावस्था से ही अलसेरेटिव कोलाइटिस (आंत संबंधी दिक्कत) है और इलाज की वजह से स्थिति नियंत्रण में थी।ग्रीष्मकाल से ही आबे के स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं जताई जा रही थीं। इस महीने यह चर्चा तब और तेज हो गई जब वह लगातार दो सप्ताह स्वास्थ्य जांच के लिए गए।

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के खराब स्वास्थ्य पर दु:ख जताते हुए कहा कि उनके बुद्धिमता पूर्ण नेतृत्व और निजी प्रतिबद्धता के कारण भारत-जापान की साझेदारी पहले से कहीं अधिक गहरी और मजबूत हुई है।

जापान के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री बने रहने वाले आबे ने आज कहा था कि वह सेहत संबंधी एक गंभीर समस्या के दोबारा उभरने के बाद पद छोड़ना चाहते हैं। मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘मेरे प्रिय मित्र शिंजो आबे, आपकी खराब सेहत के बारे में जानकर दु:ख हुआ। पिछले कुछ साल में आपके बुद्धिमता पूर्ण नेतृत्व और निजी प्रतिबद्धता की वजह से भारत-जापान साझेदारी पहले से कहीं अधिक गहरी और मजबूत हो गयी है। मैं आपके जल्द स्वस्थ होने की कामना और प्रार्थना करता हूं।’’

स्वास्थ्य कारणों से पद से इस्तीफा देना चाह रहे हैं जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे

जापान में अब तक के इतिहास में सबसे लंबे समय तक लगातार प्रधानमंत्री का पद संभालने वाले शिंजो आबे ने कहा कि स्वास्थ्य संबंधी कारणों की वजह से वह इस्तीफा देना चाह रहे हैं क्योंकि उनकी पुरानी बीमारी फिर से उभर आई है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि अपने अनेक लक्ष्यों को पूरा किए बिना पद छोड़ना ‘‘दिल को दुखाने’’ वाला है। आबे ने बताया कि उन्हें किशोरावस्था से ही अलसेरेटिव कोलाइटिस (आंत संबंधी दिक्कत) है और इलाज की वजह से स्थिति नियंत्रण में थी।

ग्रीष्मकाल से ही आबे के स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं जताई जा रही थीं। इस महीने यह चर्चा तब और तेज हो गई जब वह लगातार दो सप्ताह स्वास्थ्य जांच के लिए गए। उन्होंने बताया कि वह अभी नए सिरे से इलाज करा रहे हैं जिसमें इंटरावेनस (नसों के जरिए) इंजेक्शन लगाया जाता है। उन्होंने बताया कि कुछ सुधार है लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है कि इससे संबंधित परेशानी का इलाज हो ही जाएगा। इसलिए उन्होंने इलाज के बाद सोमवार को पद से हटने का निर्णय लिया ।

आबे ने शुक्रवार को कहा, ‘‘अपने लक्ष्यों को पूरा किए बिना पद छोड़ना, दिल दुखाने वाला है।’’ उन्होंने उत्तर कोरिया द्वारा वर्षों पहले कई जापानियों के अपहरण और रूस के साथ क्षेत्रीय विवाद नहीं सुलझाए जाने का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य संबंधी समस्या इस साल की शुरुआत तक नियंत्रण में थी लेकिन जून में जब वह सालाना जांच के लिए गए तो फिर से उन्हें इस समस्या के उभरने का पता चला। आबे का कार्यकाल सितंबर, 2021 में खत्म होने वाला है। ऐसी उम्मीद है कि जब तक पार्टी इस पद के लिए एक नया नेता नहीं चुन लेती है और संसद से औपचारिक मंजूरी नहीं मिल जाती है, तब तक आबे पद पर बने रहेंगे। आबे 2006 में 52 साल की उम्र में जापान के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री बने थे लेकिन एक साल बाद ही स्वास्थ्य संबंधी कारणों की वजह से वह पद से हट गए।

इसके बाद दिसंबर, 2012 में आबे सत्ता में लौटे। आबे ने जापान के इतिहास में लगातार सबसे ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री रहने का इतिहास सोमवार को बना लिया। इससे पहले 2,798 दिनों तक पद पर रहने का रिकॉर्ड इसाकु सातो के नाम था। आबे से पहले जापान की ऐसी छवि बनी हुई थी कि यहां के प्रधानमंत्री का कार्यकाल बेहद कम होता है। आबे के पद छोड़ने से स्थिरता के इस काल की समाप्ति होगी। जापान ने आबे के शासनकाल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ मजबूत संबंध देखे, लेकिन आबे के कट्टर राष्ट्रवाद की नीति ने कोरिया और चीन को नाराज करने का काम किया।

आबे ने जापान को मंदी से बाहर निकाला, लेकिन देश की अर्थव्यवस्था के सामने कोरोना वायरस महामारी के चलते एक नया संकट पैदा हुआ है। आबे अमेरिका द्वारा तैयार किए गए युद्ध विरोधी एवं शांतिवादी संविधान को औपचारिक तौर पर दोबारा लिखे जाने का लक्ष्य अपने कार्यकाल में पूरा नहीं कर सके क्योंकि इसपर उन्हें आम जन का ज्यादा समर्थन नहीं मिल सका।

आबे को पूर्व प्रधानमंत्री और अपने दादा नोबूसुके किशी के राजनीतिक विचारों के पदचिह्नों पर चलने के लिए तैयार किया गया था। किशी का ध्यान जापान को एक ऐसा ‘सामान्य’ और ‘सुंदर’ देश बनाना था जिसके पास बड़ी सैन्य शक्ति हो और जो अंतरराष्ट्रीय मामलों में अहम भूमिका निभाता हो।

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