महाराष्ट्र में सरकार बनानो के लेकर जारी संशय के बीच शिवसेना ने विधायकों की बैठक बुलाई है। ये बैठक 22 नवंबर को होनी है। इस बीच महाराष्ट्र के शिवसेना विधायक अब्दुल सत्तार ने बताया है कि सभी एमएलए को आईडी कार्ड साथ लाने के लिए कहा गया है। अब्दुल सत्तार के अनुसार सभी विधायकों को 5 दिनों के लिए कपड़े आदि भी साथ लाने को कहा गया है।
न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार अब्दुल सत्तार ने कहा, 'सभी विधायकों को 22 नवंबर को बैठक के लिए बुलाया गया है। हमें आईडी कार्ड और पांच दिनों के लिए कपड़े लाने को कहा गया है। मुझे लगता है कि हमें दो से तीन दिन रहना होगा। इसके बाद अगले कदम के बारे में फैसला लिया जाएगा। निश्चित तौर पर उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री होंगे।'
बता दें कि महाराष्ट्र में फिलहाल राष्ट्रपति शासन लागू है और कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना सरकार गठन के रास्ते तलाश रही हैं। गौरतलब है कि 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा के 24 अक्टूबर को घोषित चुनाव नतीजों में कोई भी पार्टी पूर्ण बहुमत के लिये जरूरी 145 सीटें हासिल नहीं कर पाई। बीजेपी को 105 सीटों पर जीत मिली जबकि शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिलीं। गठबंधन कर चुनाव लड़ी बीजेपी और शिवसेना को बहुमत तो मिला लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान के चलते वे मिलकर सरकार नहीं बना पाईं।
बीजेपी और शिवसेना के अलग-अलग रास्ते अख्तियार करने के बाद शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के पास पहुंची। हालांकि, कई दौर की बातचीत के बाद भी अभी तक तीनों पार्टियों के बीच सरकार गठन को लेकर अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।
पीएम मोदी से मिले शरद पवार
इस बीच बुधवार को सियासी हलचल एक बार फिर बढ़ गई जब एनसीपी नेता शरद पवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने जा पहुंचे। पवार ने हालांकि इस मुलाकात के दौरान किसानों की स्थिति से जुड़ा पत्र पीएम मोदी को सौंपा। पवार ने पीएम मोदी सौंपी चिट्ठी में कहा कि अतिवृष्टि के कारण संतरे को बहुत नुकसान हुआ है।
पवार ने बताया कि संतरा किसानों से उन्होंने निजी तौर पर चर्चा भी की है। 60 से 70 फीसदी तक किसानों की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है। महाराष्ट्र में किसानों की हालत दयनीय है और जो बची हुई फसल है उनमें भी घुन लगने की आशंका है। किसानों के फसल को काफी नुकसान हुआ है और यह अभूतपूर्व हानि है।
हालांकि, मुलाकात के समय को लेकर भी सवाल खड़े हुए हैं। इससे दो दिन पहले पीएम मोदी ने राज्य सभा में एनसीपी की वेल में नहीं आने की नीति को लेकर तारीफ भी की थी।