पश्चिम बंगाल में चुनाव से पहले ‘आया राम गया राम’ संस्कृति प्रमुखता से उभर कर सामने आई

By भाषा | Updated: December 22, 2020 19:41 IST2020-12-22T19:41:43+5:302020-12-22T19:41:43+5:30

'Aaya Ram Gaya Ram' culture emerged prominently before elections in West Bengal | पश्चिम बंगाल में चुनाव से पहले ‘आया राम गया राम’ संस्कृति प्रमुखता से उभर कर सामने आई

पश्चिम बंगाल में चुनाव से पहले ‘आया राम गया राम’ संस्कृति प्रमुखता से उभर कर सामने आई

(प्रदीप्त तापदार)

कोलकाता, 22 दिसंबर एक राजनीतिक दल छोड़कर दूसरे का दामन थामने की ‘आया राम गया राम’ संस्कृति को कभी पश्चिम बंगाल में बुरा समझा जाता था लेकिन अगले साल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में यह चलन प्रमुखता से उभर कर सामने आया है।

गत एक दशक पहले तक राज्य के नेता दल बदलने वाले का उपहास करते नजर आते थे।

हालांकि जब से तृणमूल कांग्रेस 2011 में सत्ता में आई है, कांग्रेस और वामदलों के कई नेताओं ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा शुरू की गई “विकास की प्रक्रिया” में भाग लेने के लिए तृणमूल का दामन थामा।

अब चूंकि, तृणमूल कांग्रेस के नेता पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो रहे हैं ऐसे में सत्ताधारी दल को अपनी ही कड़वी दवा का स्वाद चखना पड़ रहा है।

पिछले साल के लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक कद्दावर नेता शुभेंदु अधिकारी समेत तृणमूल के 15 अन्य विधायक और सांसद भाजपा में शामिल हो चुके हैं।

मेदिनीपुर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की शनिवार को हुई रैली के दौरान राज्य सरकार में पूर्व मंत्री अधिकारी समेत 34 अन्य नेता भाजपा में शामिल हो गए थे जिससे तृणमूल को एक ही दिन में तगड़ा झटका लगा था।

इसके जवाब में भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष और विष्णुपुर से सांसद सौमित्र खान की पत्नी सुजाता मंडल खान, सोमवार को भाजपा का साथ छोड़कर तृणमूल में शामिल हो गईं।

एक दशक तक दार्जिलिंग में भाजपा का समर्थन करने वाले गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के बिमल गुरुंग ने आगामी चुनाव में तृणमूल कांग्रेस का साथ देने का फैसला लिया है।

नाम उजागर न करने की शर्त पर तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी को ‘आया राम गया राम’ की संस्कृति को बढ़ावा नहीं देना चाहिए था।

उन्होंने कहा, “हमारी पार्टी द्वारा कांग्रेस और वामदलों से ढेर सारे विधायक शामिल करना गलत था। वह अनैतिक राजनीति थी और हमें ऐसा नहीं करना चाहिए था। कभी-कभी अपने समर्थन का आधार बढ़ाने के लिए आपको ऐसे फैसले लेने पड़ते हैं जो आगे जाकर आपको प्रभावित करते हैं।”

पश्चिम बंगाल जैसे राज्य में जहां नेता की पहचान विचारधारा से होती थी, पार्टी छोड़ देने की घटनाएं दुर्लभ थीं।

तृणमूल और भाजपा के सूत्रों के अनुसार दोनों पार्टियों से अभी और नेता पाला बदलते नजर आएंगे।

हालांकि तृणमूल का कहना है कि पार्टी छोड़ने वाले विधायक “गद्दार” हैं, लेकिन विपक्षी दलों और राजनीति के विशेषज्ञों के मानना है कि तृणमूल ने वही काटा है जो उसने बोया था।

राजनीतिक विश्लेषक सुमन भट्टाचार्य ने कहा, “तृणमूल को उसकी ही कड़वी दवा की खुराक मिल रही है। जिस प्रकार उसने जनादेश को नकारा और विधायकों को बिना इस्तीफा दिए शामिल किया आज वही तृणमूल के साथ हो रहा है।”

हालांकि इससे तृणमूल का एक वर्ग सहमत है, पार्टी के सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा कि ऐसी कोई भी पार्टी नहीं है जो ‘आया राम गया राम’ की संस्कृति से मुक्त हो।

उन्होंने कहा कि यह भारत की राजनीति की वास्तविकता है।

उन्होंने भाजपा पर तृणमूल सांसदों को धमकाने का भी आरोप लगाया।

तृणमूल की दल बदलने की संस्कृति का मजाक उड़ाते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि तृणमूल को इस पर ज्ञान नहीं देना चाहिए।

उन्होंने कहा, “दल बदलने की संस्कृति पर बात करने वाली तृणमूल अंतिम पार्टी होगी। पिछले 10 सालों में तृणमूल ने पैसे और बाहुबल के प्रयोग से 40 से ज्यादा विधायकों को अपने पाले में किया है। क्या यह लोकतांत्रिक तरीके से किया गया है? तृणमूल को पहले इसका जवाब देना होगा, इसके बाद हमें ज्ञान दें।”

विपक्षी दल कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों ने तृणमूल पर राज्य में दल बदलने की संस्कृति को लाने का आरोप लगाया है।

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Web Title: 'Aaya Ram Gaya Ram' culture emerged prominently before elections in West Bengal

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