AAP-CONGRESS Lok Sabha Elections 2024: 7-0 से हार, हार के बाद रार, आप और कांग्रेस का गठबंधन खत्म, विधानसभा चुनाव 2025 अलग लड़ेंगे
By सतीश कुमार सिंह | Updated: June 6, 2024 20:32 IST2024-06-06T20:20:27+5:302024-06-06T20:32:23+5:30
AAP-CONGRESS Lok Sabha Elections 2024: आप नेता गोपाल राय ने कहा कि गठबंधन केवल लोकसभा चुनावों के लिए था, विधानसभा चुनावों के लिए नहीं था।

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AAP-CONGRESS Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में दिल्ली चुनाव को लेकर गठबंधन हुआ था। इस बीच गठबंधन की पेंच ढीली पड़ गई और 2 माह में रास्ते अलग-अलग हो गए। दिल्ली विधानसभा 2025 चुनाव एक साथ नहीं लड़ेंगे। दिल्ली में 7 सीटों पर गठबंधन को पराजय का सामना करना पड़ा था। लोकसभा चुनाव के लिए बना आप और कांग्रेस का गठबंधन खत्म हो गया है। विधानसभा में दोनों दल अलग लड़ेंगे। आम आदमी पार्टी (आप) के दिल्ली प्रदेश संयोजक गोपाल राय ने बृहस्पतिवार को कहा कि कांग्रेस के साथ उनकी पार्टी का गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए था और उन्होंने संकेत दिया कि सत्तारूढ़ पार्टी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में अकेले ही चुनाव मैदान में उतरेगी।
कई दलों ने मिलकर चुनाव लड़ा था और ‘आप’ भी इसका हिस्सा थी
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर पार्टी विधायकों और वरिष्ठ नेताओं की बैठक के बाद राय ने कहा कि पार्टी ने लोकसभा चुनाव में ‘इंडिया’ को पूरा समर्थन दिया है। उन्होंने कहा, " ‘इंडिया’ गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए था। कई दलों ने मिलकर चुनाव लड़ा था और ‘आप’ भी इसका हिस्सा थी।
राष्ट्रीय राजधानी में आम आदमी पार्टी (आप) को जीत नहीं दिला सकी
फिलहाल दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए कोई गठबंधन नहीं हुआ है।" दिल्ली में लोकसभा चुनाव में ‘आप’-कांग्रेस गठबंधन को एक भी सीट नहीं मिली, जबकि भाजपा ने रिकॉर्ड तीसरी बार सभी सात संसदीय सीट पर जीत का परचम लहरा दिया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अंतरिम जमानत पर 10 मई को तिहाड़ जेल से बाहर आने के बाद भीषण गर्मी में धुआंधार प्रचार किया और रैलियों तथा रोड शो में भारी भीड़ जुटाई लेकिन उनकी यह कोशिश राष्ट्रीय राजधानी में आम आदमी पार्टी (आप) को जीत नहीं दिला सकी।
महाराष्ट्र, झारखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को शिकस्त देने की कोशिश में केजरीवाल ने न केवल ‘आप’ उम्मीदवारों के लिए बल्कि इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया) में सहयोगी दलों के उम्मीदवारों के लिए भी प्रचार किया। दिल्ली के अलावा उन्होंने महाराष्ट्र, झारखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों की भी यात्रा की।
जीत की संभावनाओं पर नकेल कस दी और सात सीट अपने नाम कर ली
लेकिन उनकी रैलियों में उमड़ी भारी भीड़ वोट में तब्दील नहीं हो सकी और दिल्ली ‘आप’ को भाजपा के हाथों करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। पंजाब में ‘आप’ ने 13 सीट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वह सिर्फ तीन सीट ही जीत पाई। दिल्ली में उसकी सहयोगी कांग्रेस ने पंजाब में उसकी जीत की संभावनाओं पर नकेल कस दी और सात सीट अपने नाम कर ली।
‘आप’ ने देशभर में कुल 22 सीट पर चुनाव लड़ा था, जिनमें पंजाब की 13, दिल्ली की चार, गुजरात की दो, असम की दो और हरियाणा की एक सीट शामिल हैं। लेकिन पार्टी गुजरात, हरियाणा, दिल्ली और असम में एक भी सीट नहीं जीत पाई। केजरीवाल को 21 मई को गिरफ्तार किया गया था। उनकी गिरफ्तारी के कारण ‘आप’ का चुनाव अभियान प्रभावित हो गया।
केजरीवाल बिना समय गंवाए पूरे जोश के साथ चुनाव प्रचार में कूद पड़े
पार्टी के घोषणापत्र, चुनाव लड़ने की रणनीति और लोगों से संपर्क साधने की गतिविधियों को लेकर निर्णय लेने में देरी हुई। हालांकि, केजरीवाल की अनुपस्थिति में उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल ने नेतृत्व करने की कोशिश जरूर की। उनकी पार्टी के नेताओं ने कहा कि अंतरिम जमानत पर बाहर आने के बाद केजरीवाल बिना समय गंवाए पूरे जोश के साथ चुनाव प्रचार में कूद पड़े।
मोदी 75 साल की उम्र में ‘‘रिटायर’’ हो जाएंगे
उन्होंने पार्टी के अभियान में नयी ऊर्जा भर दी। जेल से बाहर आने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को अपने पहले संबोधन में केजरीवाल ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने ‘‘उत्तराधिकारी’’ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के लिए वोट मांग रहे हैं क्योंकि मोदी 75 साल की उम्र में ‘‘रिटायर’’ हो जाएंगे।
पार्टी नेताओं ने फिर से एकजुट होकर ‘जेल का जवाब वोट से’ अभियान शुरू किया, जिसके तहत इसके वरिष्ठ नेताओं ने समर्थन जुटाने के लिए कई जनसभाओं का नेतृत्व किया, हस्ताक्षर अभियान और अन्य गतिविधियां शुरू कीं। ‘आप’ को उम्मीद थी कि केजरीवाल की गिरफ्तारी से लोगों में सहानुभूति पैदा होगी और यह पार्टी के पक्ष में काम करेगा, लेकिन जाहिर तौर पर ऐसा नहीं हुआ।
केजरीवाल ने पहली बार 2013 में कांग्रेस से बाहरी तौर पर मिले समर्थन से दिल्ली में ‘आप’ की सरकार बनाई थी
दिल्ली, हरियाणा और चंडीगढ़ में उनकी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा, लेकिन पंजाब में आम सहमति नहीं बन पाई। यह चुनाव केजरीवाल और ‘आप’ के लिए इस लिहाज से अहम था क्योंकि राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने के बाद ‘आप’ का यह पहला लोकसभा चुनाव था। केजरीवाल ने पहली बार 2013 में कांग्रेस से बाहरी तौर पर मिले समर्थन से दिल्ली में ‘आप’ की सरकार बनाई थी।
लेकिन यह सरकार सिर्फ 49 दिन ही चल पाई, क्योंकि केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में जन लोकपाल विधेयक पारित न करवा पाने के कारण इस्तीफा दे दिया। आप ने वर्ष 2015 और 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में शानदार जीत हासिल की लेकिन लोकसभा चुनावों में उसे आज तक कोई सफलता नहीं मिली है।