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नक्सल प्रभावित इलाके से पुरी के समुद्र तट तक पहुंचा एक उदीयमान रेत कलाकार

By भाषा | Updated: April 1, 2021 16:48 IST

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पुरी (ओडिशा), एक अप्रैल नक्सल प्रभावित मल्कानगिरि जिले के दूर-दराज के एक गांव से निकल कर पुरी के विश्व प्रसिद्ध बीच (समुद्र तट) तक पहुंचे 24 वर्षीय उदीयमान रेत कलाकार मुका कबासी अपनी कलाकृतियों से सभी का मन मोह रहे हैं।

सीमित संसाधनों वाले किसान परिवार में जन्मे और पले-बढ़े कबासी ने जब प्रसिद्ध कलाकार सुदर्शन पटनायक द्वारा संचालित रेत कला स्कूल में दाखिला लिया, तब उनका जीवन बदल गया।

कोया जनजाति से आने वाले कबासी ने कहा, ‘‘मेरा परिवार मुझे अच्छे स्कूल में भेजने का खर्च नहीं उठा सकता था। यहां तक कि मैंने खेतों में अपने माता पिता की मदद कर बहुत मुश्किल से पढ़ाई की और इसके बाद कुछ बेहतर करने के लिए उन्होंने हमेशा ही में मुझे प्रेरित किया।’’

उन्होंने बताया, ‘‘पटनायक की एक कलाकृति की तस्वीर स्थानीय अखबार में आई थी, जिसने मुझे प्रेरित किया। ’’

कबासी ने कहा, ‘‘मैंने उनसे सीखने का फैसला किया। लेकिन मल्कानगिरि से 600 किमी दूर पुरी पहुंचना असंभव लग रहा था। मैंने पैसे जुटाने के लिए मजदूरी की और बस में सवार हो कर उनसे मिलने गया। ’’

तीन साल होने को हैं, कबासी अब पुरी में नीलाद्री बीच पर एक जाने माने कलाकार हैं।

कबासी ने कहा, ‘‘मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि मैं विमान से यात्रा भी कर पाउंगा। लेकिन सपना हकीकत में तब्दील हो गया और मैं पिछले साल सुदर्शन सर के साथ एक कार्यक्रम में भाग लेने लखनऊ गया। मेरे परिवार के सदस्य शुरूआत में मेरे पुरी जाने के खिलाफ थे, लेकिन अब मेरे काम से उन्हें गर्व महसूस हो रहा है। ’’

पटनायक द्वारा संचालित स्कूल की छात्रवृत्ति के बदौलत कबासी ने स्नातक भी कर लिया है।

कबासी ने कहा, ‘‘मैंने वृक्ष बचाओ, समुद्र बचाओ और पर्यावरण बचाओ जैसे कई संदेश अपनी रेत कला के माध्यम से लोगों को दिया है।’’

कलीमेला इलाके के तुम्बागुडा गांव निवासी कबासी बचपन में मिट्टी की मूर्तियां बनाते थे।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कभी कल्पना नहीं की थी कि बचपन में मिट्टी की मूर्तियां बनाने का मेरा शौक एक दिन मुझे रेत पर कलाकृतियां बनाने वाला कलाकार बना देगा। ’’

पुरी में सुदर्शन सैंड आर्ट इंस्टीट्यूट की स्थापना 1995 में हुई थी। इसने 200 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया है जिनमें आधी से अधिक महिलाएं हैं।

वर्तमान में पटनायक के 31 छात्र हैं जिनमें 20 महिलाएं हैं।

पद्म श्री से सम्मानित एवं रेत पर कलाकृतियां बनाने को लेकर देश-विदेश में ख्याति हासिल कर चुके पटनायक (44)ने कहा, ‘‘मैं युवाओं को रेत पर कलाकृतियां बनाने वाला कलाकार बनने के लिए प्रेरित कर रहा हूं। मुका कबासी जैसे लोगों में देश का सरताज बनने और रेत कला के क्षेत्र में अपना नाम रोशन करने की क्षमता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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