लाइव न्यूज़ :

सिंघू सीमा पर प्रतिदिन खुद को जंजीर में लपेटता है एक किसान

By भाषा | Updated: November 20, 2021 20:02 IST

Open in App

(नितिन रावत)

नयी दिल्ली, 20 नवंबर पंजाब के रहने वाले कबाल सिंह हर सुबह कुर्ता-पायजामा पहनने के बाद खुद को भारी जंजीरों में लपेट लेते हैं और सिंघू सीमा स्थित कृषि कानून विरोध स्थल के चारों ओर घूमते हैं और वह इसे ‘‘किसानों की मानसिक स्थिति’’ बताते हैं।

फाजिल्का जिले के रहने वाले छोटे किसान कबाल सिंह (44) दिन भर जंजीर में लिपटे घूमते हैं और इसी अवस्था में प्रदर्शनों में हिस्सा लेते हैं। कबाल सिंह केवल रात को सोने से पहले जंजीर हटाते हैं।

सिंह ने शनिवार को दावा किया कि वह प्रदर्शन स्थल पर ऐसा पिछले दिसंबर से कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीच के कुछ दिन ऐसा नहीं किया जब वह अपने माता-पिता के अंतिम संस्कार के लिए अपने गृहनगर गए थे।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं पिछले साल दिसंबर में सिंघू सीमा विरोध स्थल पर आया था। मैं हर दिन एक प्रतीकात्मक विरोध के तौर पर खुद को जंजीर से लपेटता हूं। इसकी शुरुआत सुबह सात बजे होती है और रात को नौ बजे सोने से पहले इसे हटाता हूं।’’

सूती कुर्ता-पायजामा और हरे रंग की पगड़ी पहने कबाल सिंह स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह की छवि वाला एक बिल्ला पहनते हैं। उन्होंने कहा कि वह ‘‘किसानों की मानसिक स्थिति’’ को बताना चाहते हैं।

किसान तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली के विभिन्न सीमावर्ती इलाकों में करीब एक साल से प्रदर्शन कर रहे हैं। इसकी शुरुआत दिल्ली और हरियाणा के बीच सिंघू सीमा पर प्रदर्शन से हुई थी। वहां से यह आंदोलन धीरे-धीरे दिल्ली और उत्तर प्रदेश स्थित गाजीपुर सीमा और अन्य स्थलों तक फैल गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार की सुबह जब घोषणा की कि सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है, तो इन स्थलों पर विरोध करने वाले किसानों में राहत का भाव था।

सिंह ने कहा, ‘‘मैं बहुत खुश हूं और मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके फैसले के लिए धन्यवाद देता हूं। हालांकि, हमारी लड़ाई खत्म नहीं हुई है। कृषि कानूनों को निरस्त करने के साथ, हम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी भी चाहते हैं। सरकार द्वारा हमारी मांगें पूरी होने के बाद मैं संयुक्त किसान मोर्चा के मंच पर अपनी जंजीरें हटा दूंगा।’’

सिंह ने कहा कि अपने 11 महीने के लंबे प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन के दौरान उन्होंने कई करीबी लोगों को खो दिया है, लेकिन वह डटे रहे।

उन्होंने कहा, ‘‘विरोध शुरू होने से पहले, मैंने अपनी 20 वर्षीय बेटी पीलिया के चलते खो दी। मैंने उसके इलाज पर बहुत पैसा खर्च किया, लेकिन फिर भी उसे बचा नहीं सका। आठ महीने पहले, मेरे पिता का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। मेरी मां भी फिसल गई थी और उसका कूल्हा टूट गया था। उसके बाद उनकी सर्जरी हुई जो सफल नहीं रही और पिछले महीने उनका भी निधन हो गया।’’

सिंह ने याद किया कि उन्होंने दो मौकों पर अपनी जंजीरें हटाई थीं, पहले अपने पिता के निधन पर और फिर अपनी मां के निधन पर अपने शहर वापस जाने के लिए। उन्होंने कहा, ‘‘अब, मेरे परिवार में मेरी पत्नी और 14 साल का बेटा है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

क्रिकेटसबसे आगे विराट कोहली, 20 बार प्लेयर ऑफ़ द सीरीज पुरस्कार, देखिए लिस्ट में किसे पीछे छोड़ा

ज़रा हटकेShocking Video: तंदूरी रोटी बनाते समय थूक रहा था अहमद, वीडियो वायरल होने पर अरेस्ट

क्राइम अलर्ट4 महिला सहित 9 अरेस्ट, घर में सेक्स रैकेट, 24400 की नकदी, आपतिजनक सामग्री ओर तीन मोटर साइकिल बरामद

क्रिकेटYashasvi Jaiswal maiden century: टेस्ट, टी20 और वनडे में शतक लगाने वाले छठे भारतीय, 111 गेंद में 100 रन

क्रिकेटVIRAT KOHLI IND vs SA 3rd ODI: 3 मैच, 258 गेंद, 305 रन, 12 छक्के और 24 चौके, रांची, रायपुर और विशाखापत्तनम में किंग विराट कोहली का बल्ला

भारत अधिक खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत