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देशभर में संसदीय लोकतंत्र पर 75 कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे: बिरला

By भाषा | Updated: September 25, 2021 19:51 IST

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बेंगलुरु, 25 सितंबर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शनिवार को कहा कि स्पीकर्स कॉन्फ्रेंस के 100 साल पूरे होने के जश्न के तौर पर देश के विभिन्न हिस्सों में संसदीय लोकतंत्र पर 75 विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

बिरला ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस साल स्पीकर्स कॉन्फ्रेंस आयोजित करने की परंपरा के 100 साल पूरे हो रहे हैं। इस तरह का पहला सम्मेलन 1921 में शिमला में हुआ था और 100 साल बाद एक बार फिर शिमला में सम्मेलन हो रहा है।’’

उन्होंने कहा कि प्रतिभागी पिछले 75 वर्षों में हासिल किए गए उद्देश्यों सहित संसदीय लोकतंत्र से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करेंगे। बिरला ने कहा, ‘‘इसके साथ, हम देश के विभिन्न हिस्सों में 75 विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रहे हैं, जिसमें लोकतंत्र की सबसे छोटी लेकिन सबसे महत्वपूर्ण और जिम्मेदार संस्था शामिल है। इनमें ग्राम पंचायत से संसद, नगर निगम, विधान सभा या पंचायतें हैं।’’

अध्यक्ष ने कहा कि यह लोक लेखा समिति (पीएसी) की भी शताब्दी है। इसी सिलसिले में 4 और 5 दिसंबर को नयी दिल्ली में एक अहम अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन होगा।

बिरला ने कहा, ‘‘अध्यक्ष, पीएसी अध्यक्ष, उसके सदस्य और अन्य देशों के पीएसी अध्यक्ष सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।’’

उन्होंने कहा कि विधानसभाओं, संसद और अन्य लोकतांत्रिक संस्थानों में युवाओं और महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कार्यक्रम होंगे। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में युवाओं और महिलाओं की भागीदारी पर एक अंतरराष्ट्रीय बैठक आयोजित करने की योजना है।

बिरला ने कहा कि कार्यक्रमों का एकमात्र उद्देश्य लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करना, उन्हें जवाबदेह बनाना और सदन को चलाने के लिए एक कार्ययोजना तैयार करना है। उन्होंने कहा, ‘‘हम सबसे निचले स्तर के संस्थानों में सदन चलाने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) पर एक सलाह देंगे, जिसका पालन राज्य कर सकते हैं।’’

विधानसभा अध्यक्ष अपने-अपने राज्यों में भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करेंगे।

कर्नाटक की अपनी यात्रा के बारे में लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि राज्य में लोकतंत्र का एक लंबा इतिहास रहा है।

राज्य के बीदर जिले के बसवा कल्याण में 12वीं सदी के समाज सुधारक बसवेश्वर द्वारा स्थापित अनुभव मंडप का जिक्र करते हुए बिरला ने कहा, ‘‘'कर्नाटक में सबसे पुराने लोकतंत्र की नींव रखी गई थी। इसलिए हम कहते हैं कि भारत लोकतंत्र की जननी है।’’

उन्होंने कहा कि वह आजादी के बाद के लोकतंत्र की बात नहीं कर रहे, बल्कि उस लोकतंत्र की बात कर रहे है जो हमेशा भारतीयों के कार्यों, व्यवहार और विचारों में निहित था। बिरला ने कहा कि पंचायत राज व्यवस्था लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतीक है, जिसका पालन हर ग्रामीण करता था।

संसद, विधानसभाओं और अन्य परिषदों में हंगामे और व्यवधान को चिंता का विषय बताते हुए बिरला ने कहा कि सदन में सदस्यों के सम्मानजनक व्यवहार के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के वक्ताओं और नेताओं के बीच व्यापक स्तर पर चर्चा हुई। बिरला ने कहा, ‘‘हम इस पर एक बार फिर शिमला में चर्चा करेंगे कि संसद और विधानमंडलों के अनुशासन, गरिमा और मर्यादा को कैसे बनाए रखा जाए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कोविड​​​​-19 महामारी के बावजूद, हमारे सदस्य देर रात तक सदन में बैठे और निर्धारित समय से अधिक समय तक कार्यवाही चली। चौथे सत्र के दौरान, सदस्य देर रात तक सदन में रहे।’’

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर चर्चा के सवाल पर उन्होंने कहा कि कई विधानसभाओं ने चर्चा करने की कोशिश की और कर्नाटक उनमें से एक है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर एक निजी विधेयक पर संसद में चर्चा हुई थी। उन्होंने कहा कि सार्थक परिणामों के लिए इस मुद्दे पर अधिक चर्चा और संवाद होना चाहिए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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