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राजनीति में भागीदारी बढ़ाने के लिए 50 महिलाओं ने लिया प्रशिक्षण

By भाषा | Updated: March 8, 2021 21:21 IST

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नयी दिल्ली, आठ मार्च राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के मकसद से 50 उभरती महिला नेताओं ने अपनी तरह का पहला प्रशिक्षण कार्यक्रम सोमवार को सफलतापूर्वक पूरा किया।

‘शी लीड्स’ कार्यक्रम डिजिटल तरीके से 24 फरवरी से शुरू हुआ और सात दिनों में 35 घंटे से ज्यादा समय तक यह पाठ्यक्रम चला।

‘स्त्री शक्ति- द पैरेलल फोर्स’ ने इंडियन स्कूल डेमोक्रेसी, नेत्री फाउंडेशन और शक्ति के साथ तालमेल से चेवेनिंग एलुमनाई प्रोजेक्ट फंड (सीएपीएफ) के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम का मकसद देश में महिला राजनीतिक नेतृत्व को मजबूत करना है।

पहले बैच में 13 राज्यों की प्रशिक्षुओं का समूह था जिसमें छात्राएं, शिक्षक, वकील के साथ एक डॉक्टर भी थीं।

‘स्त्री शक्ति- द पैरेलल फोर्स’ की संस्थापक रेखा मोदी ने कहा, ‘‘महिलाओं के लिए राजनीतिक जगत में दावेदारी जताने का समय आ गया है। मुझे आशा है कि महिलाएं आकांक्षा करेंगी और देश का नेतृत्व करेंगी।’’

कार्यक्रम के आयोजकों के एक बयान के मुताबिक प्रशिक्षण के पहले भाग में उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल मारग्रेट आल्वा, लोकसभा सदस्य हीना गावित, समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता घनश्याम तिवारी और कांग्रेस के पूर्व सांसद एम वी राजीव गौड़ा जैसे वक्ताओं और विशेषज्ञों का समूह था।

बयान में कहा गया कि पत्रकारिता और समाज सेवा जैसे क्षेत्र के विशेषज्ञ भी कार्यक्रम में शामिल थे।

राजनीति में महिलाओं की नगण्य मौजूदगी का जिक्र करते हुए नेत्री फाउंडेशन की संस्थापक कांकशी अग्रवाल ने कहा, ‘‘महिलाएं तब दिखेंगी जब वह आगे आएंगी लेकिन वे सत्ता के जटिल ढांचे के कारण नजर नहीं आती और हमें यह महसूस हुआ कि यह ऐसी लड़ाई है जो लड़ी जानी चाहिए।’’

अग्रवाल ने कहा, ‘‘राजनीति में और महिलाओं को आने की जरूरत है क्योंकि इसमें हमारा सही प्रतिनिधित्व नहीं है।’’

प्रशिक्षण का दूसरा भाग छह मार्च को हुआ जिसमें आम आदमी पार्टी के विधायक पृथ्वी रेड्डी और बंदना कुमारी के साथ भाजपा की पूर्व सांसद अर्चना चिटनिस ने भी हिस्सा लिया।

‘शी लीड्स’ पहल के तहत कॉलेज और विश्वविद्यालय की छात्राओं के लिए सार्टिफिकेट कोर्स चलाए जाते हैं ताकि उनके भीतर यह भावना पैदा हो कि राजनीति में भी करियर बनाया जा सकता है।

दिल्ली विश्वविद्यालय का मिरांडा हाउस पहला ऐसा कॉलेज है जिसने तीन महीने का कार्यक्रम शुरू किया है।

मिरांडा हाउस की प्रधानाचार्य बिजयलक्ष्मी नंदा ने कहा, ‘‘यह पुरानी धारणा को तोड़ने का काम करेगी। एक यह कि राजनीति सही क्षेत्र नहीं है और दूसरी यह कि राजनीति महिलाओं के लिए नहीं है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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